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विजेता चौधरी, काठमांडू, भाद्र २४



जननेता तथा नेपाली साहित्य के महारथी विश्वेश्वरप्रसाद कोइराला की १०२ वीं जन्मजयन्ती मनाया जा रहा है । नेपाली राजनीति के आदर्श एवम् साहित्य में भी समान मुकाम हासील करने वाले कोइराला का जन्म १९७१ भाद्र २४ गते वाराणसी में हूवा था ।

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राजनेता कोइराला

जहानियाँ राणा शासन विरुद्ध संघर्ष कर उन्होंने नेपाली जनता को अधिकार उपलब्ध करबाया था । कोइराला ने वि.सं. २००३ साल में साथियों के साथ मिलकर नेपाली राष्ट्रीय कांग्रेस का स्थापना किया । बाद में वि.सं. २००६ में सुवर्णशम्शेर द्वारा स्थापना किया गया नेपाली प्रजातान्त्रिक कांग्रेस के साथ एकीकरण कर कोइराला सभापति बने । तथा २००७ में अन्तिम राण प्रधानमन्त्री मोहनशमशेर के मन्त्रिपरिषद में गृहमन्त्री बने थे । वि.सं. २०१५ फागुन ७ में हुये संसद का निर्वाचन में पार्टी को बहुमत प्राप्त होने के बाद कोइराला देश के पहले जननिर्वाचित प्रधानमन्त्री भी बने । और इसी के साथ उन्होंने एक इतिहास रचा ।

गौरतलब है कोइराला ने भारत स्वतन्त्रता के संघर्ष में भी अपना योगदान दिया था ।

वि.सं. २०१७ साल पुस १ गते तात्कालीन राजा महेन्द्र ने उनकी सरकार को अपदस्त कर २०१७ से ०२५ तक पूरे ९ वर्षेा तक कोइराला को सुन्दरीजल बन्दीगृह में रहना पडा । इस घटना को नेपाली राजनीति में आज तक अविस्मरणीय घटनाक्रम के रुप में देखा जाता है ।

कोइराला भारत में निर्वासित रह रहें अवस्था में नेपाल के उपर विदेशी का षडयन्त्र होने की बात पता लगने पर राष्ट्रीय मेलमिलाप की नीति लेकर वि. सं. २०३३ में नेपाल वापस आएँ । उस के बाद भी उनको फिर से २ वर्ष सुन्दरीजल बन्दीर्गह में बन्दी जीवन जिने के लिए बाध्य बनाया गया ।

साहित्यकार कोइराला

नेपाली साहित्य में फ्रयडवादी मनोविज्ञान के प्रणेता माने जाने वाले कोइराला सफर राजनीतिज्ञ के साथ साथ विशिष्ठ साहित्य हस्ताक्षर भी हैं । उनका दोषी चश्मा तथा श्वेतभैरवी दो कथा संग्रह में कूल २६ कथाएँ प्रकाशित हैं । इसी प्रकार मोदिआइन, सम्नीमा, तीन घुम्ती, हिटलर र यहुदी, बाबु, आमा र छोरा, नरेन्द्रदाई उपन्यास लगायत कवित, जेलजर्नल लगायत के कृति प्रकाशित एवमे अत्यन्त चर्चित है ।

कोइराला का निधन वि.सं. २०३९ साउन ६ गते गर्दन की अर्बुद रोग से हुइ थी ।



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