Thu. Mar 28th, 2024

डा‍ श्वेता दीप्ति



जय मिथिला जय मिथिला जय मिथिला
हे जगत जननी माँ तुझे प्रणाम, हे जनक नन्दिनी तुझे प्रणाम ।
भले हैं या हम बुरे हैं माँ, पर हैं हम तेरी ही संतान
हे जगत ….
तुम करुणा की सागर हो माँ, तुमसे ही सीखा धैर्य वरण ।
हम कहीं रहें हम कहीं बसे, आश्रय हम सबका तेरा चरण ।
हे जगत ….
आशा हो तुम विश्वास हो तुम, तुम ही हो हम सबका सम्मान
अँधियारा जब जब छाए माँ, तुम राह दिखाना, करना कल्याण ।
हे जगत…
हर युग में रावण पैदा हुआ, हर युग में सीता हरण हुआ
हर बार बुराई का सर्वनाश हुअा, जब तुमने काली रूप धरा ।
हे जगत …
तू सौम्यरूप, है शक्तिरूप, है हम सबकी तू मातृस्वरूप
हम नमित हैं चरणों में तेरी, स्वीकार कर हमारा भावपुष्प ।
हे जगत..

 



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