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28अगस्त

दो साल की बच्‍ची शकीबा का बचपन दूसरों से अलग और दर्द भरा है। इसकी वजह है उसकी बांह जो कि जन्‍मजात विकृति के कारण 3 किलो की है और दिखने में अजीब है।

इस अनुपातहीन शरीर के कारण अब उसे नजरअंदाज किया जा रहा है। अपने गांव में वह अकेली पड़ गई है और गांव वाले अपने बच्‍चों को उसके साथ खेलने नहीं दे रहे हैं।

कुछ बच्‍चों में जन्‍म के साथ ही कुछ विकृतियां होती हैं लेकिन यदि समय पर इलाज ना मिले तो इसके गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं। अभी भी इस प्रकार के बच्‍चों को पूरी तरह से स्‍वास्‍थ्‍य की सुविधा मिलना एक दूर की कौड़ी है।

बांग्‍लादेश की शकीबा की सीधी बांह में एक छोटी सी गांठ हो गई थी। समय के साथ यह गांठ भी बढ़ती गई।

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अब ये हाल है कि उसकी बांह पर यह गठान तीन किलो वजनी हो गई है। उसका चलना और खड़े रहना भी दूभर हो गया है।

बताया जा रहा है कि यह बच्‍ची हीमनगीयोमिया से पीडि़त है और इसके चलते पनपी गांठ ने उसका जीना मुश्किल कर दिया है।

ऐसे में उस पर भावनात्‍मक प्रहार भी हुआ। गांव वालों ने उससे दूरी बना ली है और अपने बच्‍चों को उसके पास भी नहीं फटकने दे रहे।

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उन्‍हें लगता है कि यदि उनके बच्‍चे इसके साथ खेलेंगे तो वे भी इस रोग से ग्रस्‍त हो जाएंगे। बच्‍ची के पिता उसके इलाज का खर्च वहन करने में अक्षम हैं। ऐसे में उन्‍हें केवल भगवान पर भरोसा है।



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