चुनाव ने मधेश के मिजाज को स्पष्ट कर दिया है : श्वेता दीप्ति
( देश की जनता स्थायित्व खोज रही है, सम्पादकीय- दिसम्बर २०१७ ) जनता के बीच चुनाव का शोर थम चुका है । उसने अपना प्रतिनिधि चुन लिया है, पर अब बारी प्रतिनिधियों की है कि वो देश का प्रतिनिधित्व किसे सौंपते हैं ? परिणाम वामगठबन्धन के पक्ष में गया है । कोई अनदेखा कयास न लगाया जाय तो देखी जाने वाली तस्वीर यही कह रही है कि आने वाली सरकार वामगठबन्धन की होगी और एमाले अध्यक्ष केपी ओली देश के नए प्रधानमंत्री । जबतक घोषणा नहीं होती तब तक राजनीति के गलियारे में शक–ओ–शुबहा की पूरी गँुजाइश बनी रहती है । फिलहाल तो परिणाम यह कह रहा है कि देश की जनता स्थायित्व खोज रही है और इसके लिए उसने स्पष्ट बहुमत भी दे दिया है । देश को स्थायी सरकार की आवश्यकता है क्योंकि विगत में जो किस्तों का खेल चला है, वह देश हित में कदापि नहीं था । सरकार जिसकी भी बने पर वो जनता के मत और भावनाओं की कदर करे और देश को स्वार्थ हित से ऊपर उठकर आगे बढ़ाने की सोच रखे । संक्रमणकाल की दुहाई सबने बहुत दे दी, अब देश में वो माहोल बनाए कि यहाँ के युवा बाहर ना जाएँ, देश विदेश यहाँ निवेश करने के इच्छुक हों । देश को एक गति देने की आवश्यकता है । अपने पड़ोसियों पर शक ना करें बल्कि उनसे लाभान्वित होने की योजनाएँ बनाएँ ।
चुनाव ने मधेश के मिजाज को भी स्पष्ट कर दिया है । दो नम्बर प्रदेश के परिणाम ने यह बता दिया है कि उनकी एकजुटता इसलिए हुई है कि वो मधेश के अधिकार और पहचान की लड़ाई का निदान चाहते हैं । इसके लिए बनने वाली सरकार को पूर्वाग्रह से ऊपर उठ कर सोचना होगा । देश सबका है और जो सत्ता पर काबिज होते हैं वो देश की समग्र जनता के प्रतिनिधि होते हैं । उनसे एक जिम्मेदार अभिभावकत्व की उम्मीद की जाती है । उम्मीद है कि पूर्व के अडि़यल रुख से निकल कर मधेश की समस्या का समाधान निकाला जाएगा ।
एक बार फिर हम नए साल की ओर कदम बढ़ा चुके हैं, एक नई उम्मीद के साथ । इसके साथ ही हिमालिनी अपने एक और सार्थक वर्ष को गुजार २१वें वर्ष के सफर के लिए तैयार है । हिमालिनी परिवार अपने पाठक वर्ग, विज्ञापनदाताओं और शुभेक्षुओं की आभारी है और भविष्य में भी सहयोग और स्नेह की अपेक्षा करती है । नववर्ष २०१८ की मंगलमय शुभकामनाएँ ।