फोरम और राजपा के बीच पार्टी एकता हो सकती है : प्रदीप यादव
संघीय समाजवादी फोरम नेपाल के युवा नेता हैं– प्रदीप यादव । आप प्रदेश नं. २ से संघीय संसद में प्रतिनिधित्व भी करते हैं । आप पर्सा जिला स्थित निर्वाचन क्षेत्र नं. १ के निर्वाचित सांसद हैं । कहा जाता है कि पर्सा जिला में फोरम नेपाल को स्थापित करने का योगदान यादव को जाता है, इसीलिए ८ साल से यादव पार्टी के लिए पर्सा जिला अध्यक्ष भी है । जुझारु युवा नेता तथा सांसद के साथ लिलानाथ गौतम ने सम–सामयिक राजनीतिक विषयों में केन्द्रित रहकर बातचीत की है । प्रस्तुत है बातचीत का सम्पादित अंश–
० आप लोग तो सत्ताधारी पार्टी हैं । प्रतिपक्षी दल नेपाली कांग्रेस का कहना है कि सरकार अधिनायकवाद और सर्वसत्तावाद की ओर उन्मुख हो रहा है । क्या सरकार सच में ही अधिनायकवाद का अभ्यास कर रही है ?
– यह बिल्कुल गलत आरोप है । यहां एक बात खयाल होना चाहिए कि जब नेपाली कांग्रेस सत्ता में थी, वह अपनी ही डफली बजाती थी, किसी की भी नहीं सुनती थी । जब नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी और संघीय समाजवादी फोरम की संयुक्त सरकार बनी है, जो दो तिहाई बहुमत की भी है, तब विभिन्न बहाना बनाकर संघीय संसद् और सड़क में कांग्रेस नाटक मञ्चन कर रही है । अभी नाटक मञ्चन करने का समय नहीं है,अर्थात् सरकार के काम में अवरोध करना ठीक नहीं है । हमारे सामने संविधान संशोधन का मुद्दा है, विकास और समृद्धि का मुद्दा भी है । उसके लिए सहकार्य कर आगे जाना होगा । अब देश निर्माण का समय है, अनावश्यक मुद्दा उठाकर नाटक मञ्चन करने का समय नहीं ।
हां, कुछ विचाराधीन मुद्दा है, जो मधेशी, जनजाति, मुस्लिम, महिला, आदिवासी से संबंधित है, उन लोगों की आवाज को सम्बोधन के लिए संविधान संशोधन कर समृद्धि की यात्रा में आगे बढ़ना है, समृद्ध नेपाल निर्माण करना है । ऐसी अवस्था में कांग्रेस ने जो बहानाबाजी शुरु की है, उसका कोई भी तुक नहीं है । सच कहे तो कांग्रेस बिना मुद्दा ही सड़क संघर्ष में उतर आयी है ।
० कांग्रेस का कहना है कि सर्वसत्तावाद के अभ्यास अन्तर्गत ही संसदीय विशेष सुनवाई समिति ने सर्वोच्च अदालत के कामू प्रधानन्यायाधीश दीपकराज जोशी को प्रधानन्यायाधीश बनाने के लिए अस्वीकार किया । उसका यह भी मानना है कि अब न्यायपालिका के ऊपर कार्यापालिका हाबी हो गयी है, स्वतन्त्र न्यायपालिका का अस्तित्व नहीं रहा है । क्या कहेंगे ?
– हां, कार्यपालिका और न्यायपलिका के बीच का जो सम्बन्ध है, उस को परिभाषित करना जटिल है । लेकिन अभी जो भी हुआ है, वह संविधान सम्मत और न्यायसम्मत तरीके से हुआ है । प्रधानन्यायाधीश के लिए सिफारिश व्यक्ति उक्त पद के लिए योग्य हैं या नहीं ? कानूनतः इसमें निर्णय करने का अधिकार संसदीय सुनवाई समिति का है । इसीलिए उसने अपना अधिकार प्रयोग किया है । अधिकार प्रयोग करते वक्त समिति ने योग्य व्यक्ति को अयोग्य करार नहीं दिया है । प्रधानन्यायाधीश के लिए जो व्यक्ति सिफारिश हो कर आए थे, उनकी शैक्षिक योग्यता अर्थात् सर्टिफिकेट से लेकर कार्यसम्पादन मूल्यांकन भी विवादित है । ऐसे व्यक्ति कैसे सर्वोच्च अदालत में नेतृत्व प्रदान कर सकते हैं ? इसीलिए जो हुआ है, वह ठीक ही हुआ है ।
इसे सुनिये
० संघीयता कार्यान्वयन में भी कुछ विवाद दिखाई दे रहा है, प्रदेश सरकार का मानना है कि केन्द्र सरकार अधिकार हस्तान्तरण करने के लिए बहाना–बाजी कर रही है । क्या यह सच है ?
– हां, निश्चित रुप में यह सच है । केन्द्र सरकार को लग रहा है कि प्रदेश सरकार को अधिकार हस्तान्तरण करेंगे तो हमारा साम्राज्य खतम हो जाएगा । क्योंकि केन्द्र सरकार ने पहले से ही जो साम्राज्य चलाया था, संघीयता कार्यान्वयन किया जाएगा तो वह साम्राज्य रहनेवाला नहीं है । इसीलिए केन्द्रीकृत शासन व्यवस्था में अभ्यस्त लोगों को अधिकार हस्तान्तरण करना मुश्किल हो रहा है । केन्द्र सरकार को अभी भी लग रहा है कि पूरे देश का मालिक मैं ही हूं । इसीलिए केन्द्र सरकार में जो सोच हैं, उसमें परिवर्तन होना जरुरी है । संघीयता कार्यान्वयन के लिए प्रदेश सरकार को पूर्ण अधिकार प्राप्त होना चाहिए, आत्मनिर्णय का अधिकार प्रदेश में रहना चाहिए । प्रदेश सरकार अपना निर्णय खुद कर सकें, यह अधिकार उनको मिलना चाहिए ।
० किसी तरह का अधिकार प्रदेश सरकार चाहती है, जो केन्द्र से नहीं मिल रही है ?
– बहुत सारा अधिकार केन्द्र से लेना बांकी है । अभी तो प्रदेश सरकार के पास पुलिस का एक हवलदार को चलाने का अधिकार भी नहीं है । प्रदेश सरकार के मुख्यमन्त्री की हालत आज ऐसी है, जिनके पास नेपाल पुलिस के एक हवलदार को किसी दूसरे जगह पर स्थान्तरण का अधिकार भी नहीं है, उसका अधिकार केन्द्र सरकार के पास ही है । अब पुलिस ऐन प्रदेश सरकार को देना चाहिए । सातो प्रदेश में पुलिस की जो संरचना कार्यरत है, वह प्रदेश सरकार के मातहत होना चाहिए । इसीतरह लोकसेवा आयोग भी है, जो आज भी केन्द्र सरकार के मातहत ही है ।
० पिछली बार विशेषतः प्रदेश नं. २ में एक बात चर्चा में रही, कहा गया कि जन्मसिद्ध नागरिकता प्राप्त करनेवालों के सन्तानों को वंशज की नागरिकता प्राप्त नहीं हो रही है । क्या सच में ही उन लोगों को नागरिकता नहीं मिल रही है ?
– हां, जन्मसिद्ध नागरिकों की सन्तानों को नागरिकता से वंचित रखकर उन लोगों के ऊपर अन्याय हो रहा है । इसीलिए प्रदेश नं. २ के सरकार को यह बात उठानी पड़ी– उन लोगों को नागरिकता मिलनी चाहिए । संविधान में ही व्यवस्था है कि जन्मसिद्ध नागरिकों के सन्तानों को वंशज की नागरिकता मिलेगी । संविधान में व्यवस्था होते हुए भी प्रमुख जिला अधिकारी ने नागरिकता देने के लिए अस्वीकार किया ।
० प्रमुख जिला अधिकारी क्यों नागरिकता नहीं दे रहे हैं ? इसके बारे में उन लोगों का क्या कहना है ?
– वे लोग कहते हैं कि जब केन्द्र से नागरिकता देने के लिए सर्कुल आएगा, तब देंगे । इसीलिए प्रदेश नं. २ की सरकार को केन्द्र सरकार के गृहमन्त्री को पत्र लिखना पड़ा । मैंने भी संघीय संसद् में इसके बारे में आवाज उठायी है, प्रधानमन्त्री और गृहमन्त्री से भी प्रश्न किया । दो महीने पहले संसद् भवन में आकर प्रधानमन्त्री ने प्रतिबद्धता भी व्यक्त किया था कि जन्मसिद्ध नागरिकों के सन्तानों को नागरिकता मिलनी चाहिए । लेकिन दो महीने हो गए, अभी तक नहीं मिल रहा है ।
० जानकार लोगों का कहना है कि संविधान के अनुसार जन्मसिद्ध नागरिकों के सन्तानों को वंशज की नागरिकता तो मिल सकती है, लेकिन उसके लिए अभी कानून नहीं बना है । कानून के लिए तो आप लोग भी जिम्मेदार हैं, है न ?
– हां, इसमें कानून का कुछ बखेड़ा भी है । जब विवाद सामने आया तो मन्त्रिपरिषद् ने एक कानून बनाने का निर्णय भी किया है । मुझे विश्वास है कि अब कुछ ही दिनों के बाद कानून बन कर संसद में आएगा, उसको पास किया जाएगा । उसके बाद जन्मसिद्ध नागरिकों के सन्तानों को वंशज की नागरिकता मिलगी । यह काम निकट भविष्य में ही शुरु होगा, ऐसी मेरा विश्वास है ।
० प्रदेश नं. २ में फोरम नेपाल के लालबाबु राउत जी मुख्यमन्त्री हैं । लेकिन हम लोग सुन रहे हैं कि मुख्यमन्त्री राउत को हटाकर फोरम नेपाल वहां किसी और को मुख्यमंत्री बनाने की तैयारी में है और नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी के साथ गठबन्धन किया जा रहा है । क्या यह सच है ?
– नहीं, यह सरासर लगत है । फोरम नेपाल और राजपा के बीच सहकार्य टूटनेवाला नहीं है, यह तो पवित्र गठबन्धन है । हम लोग हरदम दबाव देते रहेंगे कि आनेवाले दिनों भी दोनों पार्टी सहकार्य करके ही चले । मैं तो यह भी कहता हूं कि अगर पार्टी एकता करना पड़े तो उसके लिए भी हम लोगों को तैयार रहना होगा । इसीलिए प्रदेश नं. २ में नेकपा के साथ मिलकर नयांं सरकार बनाने की जो बाद आपने सुनी, वह मनगढन्त बात है, इसमें कोई भी सत्यता नहीं है । फोरम नेपाल और राजपा का गठबन्धन टूटनेवाला नहीं है । मुख्यमन्त्री लालबाबु राउत जी ही रहेंगे, इसमें कोई परिवर्तन होनेवाला नहीं है । क्योंकि फोरम–राजपा का गठबन्धन यहां की जनता का म्याण्डेट है । दोनों पार्टी को सहकार्य कर आगे जाने के लिए ही यहां की जनता ने मत दिया है । उस मत को अपमान नहीं करना चाहिए । अगर कोई गठबन्धन तोड़ने की बात करते हैं तो हम लोग प्रतिकार करेंगे, गठन्धन टूटने नहीं देंगे ।
० आपने पार्टी एकता के संबंध में भी कहा, क्या राजपा और फोरम नेपाल के बीच पार्टी एकता सम्भव है ?
– राजनीति में कुछ भी असम्भव नहीं है । इसीलिए फोरम नेपाल और राजपा के बीच एकता की सम्भावना को लेकर बहस करना बिल्कुल जायज है । हां, इसके लिए हम लोगों को ही पहल करनी चाहिए । अगर दोनों पार्टी एक हो जाए तो दोनों पार्टियों के लिए अच्छा ही होगा ।
० प्रदेश नं. २ के राज्यमन्त्री डिम्पल झा अभी चर्चा में हैं । मन्त्री झा अपने गृह जिला जाते वक्त उनके आगे–पीछे जो गाड़ियां थी, उसके बारे में सामाजिक संजाल में काफी आलोचना भी हो रही है । कोई भी मन्त्री को इसतरह गाड़ी का काफिला लगाकर जिला भ्रमण में जाने की जरुरत है ?
– हां, मैंने भी सामाजिक संजाल में देखा है कि उसके बारे में काफी आलोचना हुई है । लेकिन मुझे लगता है कि उसमें राज्यमन्त्री झा जी की कोई भी गलती नहीं है । क्योंकि वहां राज्यमन्त्री ने गाड़ी नहीं मंगाई थी । जनता खुद अपने मन्त्री को स्वागत करने के लिए अपनी–अपनी गाड़ी लेकर आए थे । जनता अपने मन्त्री का इस तरह स्वागत करना चाहती हैं तो क्या आप उसको रोक सकते है ? जनता की इच्छा और खुशी ही वही है तो इस बात को बतंगर बनाना ठीक नहीं है । दूसरी बात राज्यमन्त्री झा एक लोकप्रिय नेतृ हैं, आन्दोलनकारी और संघर्षशील महिला भी हैं । राजनीति में इसतरह उभर रही महिलाओं को हतोत्साहित नहीं करना चाहिए । महिला मन्त्री हैं, उनके मनोबल को ऊँचा करना चाहिए ।
० चुनाव से पहले आपने अपने मतदाताओं के सामने कुछ प्रतिबद्धता तो की होगी, उसके लिए आज आप क्या कर रहे है ?
– हां, चुनाव से पहले जनता के सामने मैंने दो–तीन प्रतिबद्धता की थी । प्रथम प्रतिबद्धता थी– मधेश का जो मुद्दा है, उसको सम्बोधन कर संविधान में संशोधन कराना और मधेशी, जनजाति, मुस्लिम, आदिवासी, पिछड़ा वर्ग, महिला आदि को अधिकार सम्पन्न बनाना । दूसरी प्रतिबद्धता थी– पर्सा जिला के लिए । पर्सा जिला विकास के दृष्टिकोण से पिछड़ा हुआ जिला है, जहां सदियोंं से कांग्रेसियों ने राज किया, लेकिन काम कुछ भी नहीं । गांँव की एक भी सड़क पक्की नहीं है । अपने वादा के प्रति मैं आज भी प्रतिबद्ध हूं और अपनी ओर से काम भी कर रहा हूं । अपने कार्यकाल (५ साल) के भीतर अपने वादा के अनुसार कुछ न कुछ मैं करके ही रहूंगा ।
० अपने निर्वाचन क्षेत्र में आप कुछ विकास निर्माण का काम कर रहे है ? कुछ उदाहरण दे सकते हैं ?
– अभी हम लोग नीति निर्माण में लगे हुए हैं, आज के लिए हमारी मुख्य जिम्मेदारी भी यही है । विकास को लक्षित कर बननेवाले नीति निर्माण में मैं अपने क्षेत्र के लिए क्या कर सकता हूं, वह तो करुंगा ही । लेकिन सांसदों के लिए निर्वाचन क्षेत्र को लक्षित कर सरकार की ओर से आज तक एक रुपयां भी बजट नहीं मिला है । प्रदेश सरकार भी कानून निर्माण में लग रही है । हां, स्थानीय सरकार की ओर से विकास के लिए कुछ काम हो रहा है, जिसके साथ हम लोग सहकार्य भी कर रहे हैं ।
० वीरगंज में कहा जाता है कि आप का और वीरगंज महानगरपालिका के मेयर विजय सराबगी के बीच सम्बन्ध ठीक नहीं है । वास्तविकता क्या है ?
– पार्टी के भीतर विभिन्न पदाधिकारियों के बीच कभी–कभार मत–मतान्तर होता है, आपस में विचार–विमर्श चलता है । उसको देखकर सम्बन्ध को तिक्तितापूर्ण कहकर व्याख्या करना ठीक नहीं है । हम लोगों के बीच अच्छा सम्बन्ध है, सहकार्य के साथ ही आगे बढ़ रहे हैं । हाल ही में वीरगंज महानगरपालिका ने नगरबासियों के लिए ‘राजश्व’ में कुछ वृद्धि किया था, उसके बारे में काफी विरोध भी हुआ । बाद में हमारी सलाह में ही उसको स्थगित किया गया, अभी माहौल सामान्य है ।
० कहा जाता है कि मेयर सराबगी के ऊपर पार्टी का काफी दबाव है । आरोप है कि महानगर के अन्दर कुछ टेण्डर हुआ था, उसमें आप लोग हाबी हुए हैं । सच क्या है ?
– ठेका–पट्टा अपनी प्रक्रिया के अनुसार चलती है, उसमें मैं कुछ भी नहीं बोलता हूं । मैं राजनीतिक इस्यू के बारे में बात करता हूं, ताकि जनता को फायदा हो, जनता को निराश होना नहीं पड़े । वीरगंज महानगरपालिका के जनता ने हम लोगों को दिल खोल कर मतदान किया है, इसीलए मैं चाहता हूं कि उन लोगों को कोई भी तकलीफ नहीं हो । ठेका के विषय में मुझे कुछ भी कहना नहीं है ।
० क्या आप सराबगी जी के काम से सन्तुष्ट हैं ?
– हां, मैं उनके काम से पूर्ण रूप से सन्तुष्ट नहीं था । लेकिन हाल ही में उन्होंने प्रतिबद्धता व्यक्त की है कि आनेवाले दिनों में सहकार्य करके ही आगे जाना है । अगर हम लोग सहकार्य के साथ आगे चलेंगे तो वहां रहनेवाले जनता को भी लाभ होगा । इसीलिए आगामी दिनों में हम लोग एक साथ ही आगे बढ़ेगे । यह जरुरी भी है । क्योंकि मैं वहां का सांसद हूं, पार्टी का जिला सभापति भी हूं । जो जहां भी हो, जनता के बीच में सेवक बनकर रहना चाहिए । किसी को भी जनता का मालिक बनने का अधिकार नहीं है । मैं सराबगी जी के साथ सहकार्य कर ही जनता का सेवक बनना चाहता हूं । सराबगी जी को भी संघीय सांसद, प्रदेश सांसद तथा वहां के स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ सहकार्य करके ही आगे बढ़ना होगा ।
० विवादों के बीच में ही कुछ हफ्ता पहले एक समाचार भी आया था कि आप को जिला अध्यक्ष से हटाया जा रहा है, क्या यह सच है ?
– मैं तो ८ साल से जिला का अध्यक्ष हूं । जिस दिन पर्सा जिला में पार्टी के पक्ष में खड़ा होने के लिए ५ लोग नहीं थे, उसी दिन से मैं वहां का सभापति हूं । संघीय समाजवादी फोरम हो अथवा पर्सा जिला निवासी जनता, उसके लिए मैंने क्या किया ? इसके बारे में वहां की जनता मूल्यांकन भी कर रही हैं । मेरे खयाल से पार्टी नेतृत्व कभी भी मेरे ऊपर ऐसा नहीं सोच सकती । क्योंकि पार्टी को भी पता है कि पर्सा जिला में पार्टी को मजबूत बनाने का श्रेय मेरा ही है । जहां तक जिला अध्यक्ष से मुझे हटाने की बात है, मैं खुद ही अब जिला अध्यक्ष में रहना नहीं चाहता हूं । क्योंकि ८ साल से जिला अध्यक्ष हूं और अब तो सांसद भी बन चुका हूं । इसलिए मैं खुद निकट भविष्य में ही जिला का नेतृत्व किसी दूसरे मित्र को हस्तान्तरण करनेवाला हूं । लेकिन किसी से हटाने से मैं हटनेवाला नहीं हूं ।
० अन्त में, वीरगंज के लोगों में अपेक्षा थी कि केन्द्र सरकार में आप को मन्त्री बनाया जाएगा, राजनीतिक वृत्त में भी यह चर्चा हो रही थी । लेकिन आप मन्त्री नहीं बन पाए, जिसके चलते वीरगंजबासी की ओर से काफी प्रतिक्रिया भी आ रही हैं । इसके बारे में क्या कहेंगे ?
– शायद पार्टी ने महसूस किया होगा कि मन्त्री के रूप में मेरी जरुरत नहीं है, इसीलिए मुझे मन्त्री नहीं बनाया गया । जिस दिन पार्टी को मेरी जरुरत पड़ेगी, मुझे विश्वास है– उस दिन पार्टी अवश्य ही मुझे आवश्यक जिम्मेदारी देगी । हां, वीरगंज निवासी जनता को जो अपेक्षा थी, अभी वह पूरी नहीं हो पाई, लेकिन निराश होने की जरुरत नहीं है । समय बहुत बांकी है, पार्टी अध्यक्ष, पार्टी के अन्य पदाधिकारी अवश्य ही पर्सा जिला को देखेंगे, वीरगंज के ऊपर न्याय करेगें, यह मेरा विश्वास है ।
हिमालिनी, अंक अगस्त २०१८ |