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ब्रिटेन में महिलाओं के ख़तने का छिपा संसार BBC Hindi

BBC Hindi :बीबीसी के कार्यक्रम न्यूज़नाइट की एक रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन और फ़्रांस में कोई 20,000 युवा महिलाएँ ख़तने के कारण फ़ीमेल जेनिटल म्युटिलेशन (एफ़जीएम) यानी महिला जननांगों की विकृति के ख़तरे से गुज़र रही हैं मगर इन दोनों देशों में इसे लेकर अधिकारियों का रवैया अलग-अलग है.

ग्लास्गो की 23 वर्षीया अयाना ख़तने से हुई इस तकलीफ़ की शिकार हैं. अपनी 11 वर्षीय बच्चे को गोद में समेटकर वो कहती हैं, “मैं यहाँ आकर बहुत ख़ुश हूँ. मुझे पति के साथ शारीरिक संबंध से होने वाला दर्द नहीं झेलना पड़ता. वो बच्चा जनने से भी अधिक असह्य था.”

अयाना ने जबरन शादी से बचने और अपनी बेटी को ख़तने से बचाने के लिए राजनीतिक शरण ले ली और अब वो ऐसे इलाक़े में रहती है जहाँ सरकार ने शरणार्थियों के लिए फ्लैट उपलब्ध कराए हैं.

वो बताती हैं कि अभी भी ग्लास्गो में ऐसी माएँ हैं जो अपनी बेटियों का ख़तना होने दे रही हैं. वो कहती हैं,”हमारे मोहल्ले में दो बच्चियाँ थीं, एक तीन साल की, एक दो सप्ताह की, जिनका उम्रदराज़ औरतों ने ख़तना किया.”

“मैं यहाँ आकर बहुत ख़ुश हूँ. मुझे पति के साथ शारीरिक संबंध से होनेवाला दर्द नहीं झेलना पड़ता. वो बच्चा जनने से भी अधिक असह्य था”

अयाना

महिलाओं के ख़तने में महिला जननांगों के क्लिटोरिस का हिस्सा काट दिया जाता है या यदि बर्बर रूप से बयां किया जाए तो महिला जननांग का बाहर रहनेवाला सारा हिस्सा काट दिया जाता है और मात्र मूत्रत्याग और रजोस्राव के लिए छोटा द्वार छोड़ दिया जाता है.

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ख़तने के दौरान जटिलताएँ होने से मौत हो सकती है और संभोग तथा बच्चे पैदा करना एक यंत्रणादायक अनुभव हो सकता है.

अफ़्रीका और मध्य-पूर्व के कई हिस्सों तथा वहाँ से आने वाले आप्रवासियों के बीच ये प्रथा अभी भी जारी है. कुछ लोग मानते हैं कि महिला की पूर्णता के लिए ख़तना होना ज़रूरी है.

ऐसी भी मान्यता है कि इससे महिलाओं की यौन-इच्छा घटती है और उसके विवाहेतर संबंध बनाने की संभावना कम रहती है.

ग्लासगो में मेरी मुलाक़ात कुछ सोमालियाई महिलाओं से हुई जिनमें सबका ख़तना हुआ था.

एक ने कहा, “मैं दो साल पहले यहाँ आई, तबसे कुछ नहीं सुना. इस बारे में जानकारियाँ दी जानी चाहिए थीं ताकि लोग जान सकें कि क्या सही है क्या ग़लत.”

सज़ा

“पहले तो लड़कियाँ बेहद उत्साहित होती हैं, उन्हें लगता है कोई पार्टी हो रही है, बाद में उन्हें पता चलता है कि क्या होने जा रहा है और वे तब डर जाती हैं”

अमीना

ग्लास्गो से 800 किलोमीटर दूर ब्रिस्टल में कुछ स्कूली छात्राओं ने बताया कि ख़तना एक आयोजन की तरह होता है.

17 वर्षीया अमीना बताती है, “वो एक समूह में ख़तना करती हैं, शायद ये सस्ता होता होगा…पहले तो लड़कियाँ बेहद उत्साहित होती हैं, उन्हें लगता है कोई पार्टी हो रही है, बाद में उन्हें पता चलता है कि क्या होने जा रहा है और वे तब डर जाती हैं.”

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ये ख़तना विशेषज्ञ बुज़ुर्ग महिलाएँ करती हैं, जिन्हें इमाम कहा जाता है और जो इस काम में दक्ष होती हैं.

ब्रिटेन में लगभग 20,000 बच्चे और शायद इतनी ही तादाद में फ़्रांस में भी ख़तने के कारण ख़तरे में होते हैं.

ब्रिटेन और फ़्रांस में ख़तने को लगभग एक ही समय, 80 के दशक में, अवैध घोषित कर दिया गया था.

मगर फ़्रांस में जहाँ 100 माता-पिताओं और ख़तना करने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई हुई, ब्रिटेन में एक को भी सज़ा नहीं हुई है.

दरअसल समस्या ये है कि फ़्रांस में जो होता है वो ब्रिटेन में लगभग असंभव है.

समस्या

“हमारा उद्देश्य तो बच्ची की रक्षा करना है ना? यदि किसी के साथ ऐसा हुआ है, तो हम उसे मनोवैज्ञानिक सहयोग दे सकते हैं या यदि वो चाहे तो ऑपरेशन भी हो सकता है”

डॉक्टर ऐमेलू

फ़्रांस में माताओं और बच्चियों को छह वर्ष की आयु तक विशेष चिकित्सालयों में जाना पड़ता है जहाँ बच्चियों के जननांगों की नियमित जाँच की जाती है.

छह साल के बाद ये ज़िम्मेदारी स्कूल के चिकित्सकों को दे दी जाती है जो निगरानी करते रहते हैं, ख़ास तौर पर ऐसे समुदाय से आने वाली लड़कियों की जिनमें ख़तने का ख़तरा अधिक होता है.

मैं ये जानकारी दे रही, पेरिस के एक बाहरी इलाक़े में काम करनेवाली डॉक्टर ऐमेलू से कहा कि ब्रिटेन में ये व्यवस्था किसी को मंज़ूर नहीं होगी.

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डॉक्टर ऐमेलू पूछती हैं, “क्यों? हमारा उद्देश्य तो बच्ची की रक्षा करना है ना? यदि किसी के साथ ऐसा हुआ है, तो हम उसे मनोवैज्ञानिक सहयोग दे सकते हैं या यदि वो चाहे तो ऑपरेशन भी हो सकता है.”

गिनिया बिसाउ की एक महिला का ऑपरेशन कर रहे डॉक्टर फ़ोल्डर्स ने मुझे बताया,”मैं इसके जननांगों की क्लिटोरिस और लेबिया वाले हिस्सों को फिर से लगा दूँगा जिसे छह साल की उम्र में काट दिया गया था. इसमें केवल आधा घंटा लगेगा. “

वो कहते हैं इसके बाद वो महिला सामान्य शारीरिक संबंध और बच्चे जन सकेगी.

दुनिया भर में इस विषय पर विशेषज्ञ मानी जानेवाली डॉक्टर कॉम्फ़ॉर्ट मोमोह कहती हैं कि ब्रिटेन में अभी ख़तने के लेकर 17 स्पेशलिस्ट क्लीनिक काम कर रहे हैं.

वो बताती हैं, “ख़तने के बाद उनकी ऐसी सिलाई हो जाती है कि ऐसी महिलाओं के बच्चों को जनने के समय बच्चे बाहर नहीं निकल पाते.”

वो कहती हैं कि ब्रिटेन में हाल के समय में सोमालिया में युद्ध के कारण वहाँ से शरणार्थियों की संख्या जिस तेज़ी से बढ़ी है उससे ये समस्या भी बढ़ रही है और इससे निपटने के लिए पर्याप्त क्लीनिक नहीं हैं.

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