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जमीम हत्याकाण्ड का करांची कनेक्सन

जमीम शाह हत्याकाण्ड के बाद शुरूआती दौर में पुलिस से लेकर मीडिया तक और नेता से लेकर जनता तक सभी ने अपने अपने तरीके से इस हत्याकाण्ड के बारे में विश्लेषण किया। सभी के विश्लेषण में



JAMIM-SHAH
JAMIM-SHAH_

एक बात समान रूप से कही जा रही थी जमीम की हत्या करने वाले सभी भारतीय संगठित अपराध गिरोह के सदस्य थे। इस हत्याकाण्ड को अंजाम देने वाला भारतीय अपराधी था, मुख्य योजनाकार भारतीय अपराधी था और इस पूरी हत्याकाण्ड का मास्टरमाईण्ड लखनऊ की जेल में बन्द बबलू श्रीवास्तव था। इन सभी का तार जोड कर लोग अपने अपने तरीके से कयास लगा रहे थे। इस हत्याकाण्ड की जांच में जुटी पुलिस की टीम भी इसी र्इद गिर्द अपनी जांच को केन्द्रित की हर्ुइ थी। लेकिन अचानक एक सुराग मिला और इस पूरे हत्याकाण्ड का तार भारत के लखनऊ जेल से होते हुए फिर करांची में जाकर जुडÞ गया।
जमीम शाह की हत्या कई दिनों तक नेपाल में सर्ुर्खियों में रही। स्वाभाविक भी था। एक मीडिया घराना चलाने वाले व्यक्ति की हत्या के बाद दूसरे मीडिया वाले उसको प्रमुखता देंगे ही। नेपाल में जैसा कि हमेशा से होता आया है, किसी भी पत्रकार या मीडिया संचालक पर हुए हमला के बाद पूरे देश में एक आन्दोलन चलता है। जमीम शाह की हत्या के बाद भी वैसा ही हुआ। हालांकि अधिकतर पत्रकार संगठन और विरोध या आन्दोलन करने वाले इस बात को भलिभांति जानते थे कि जमीम का अतीत क्या था और उसके कारोबार कहां कहां फैले हुए थे। जमीम के रिश्ते किन लोगों से था। यह सब बात जानते हुए भी आन्दोलन किया जा रहा था। क्योंकि भारत विरोधी मानसिकता से ग्रसित अधिकांश पत्रकार के लिए भारत को गाली देने और उसके विरोध में बोलने का मौका मिल गया था। इसी बीच तत्कालीन सूचना तथा संचार मंत्री शंकर पोखरेल के एक बयान ने पत्रकारों का गुस्सा और अधिक बढा दिया था। पोखरेल ने कहा कि जमीम शाह की हत्या से पत्रकारिता क्षेत्र का कोई भी लेना देना नहीं है। इतना ही नहीं पोखरेल ने यहां तक कह दिया था कि नेपाल में पत्रकारों या संचारजगत से जुडे अधिकांश लोगों की हत्या के पीछे पत्रकारिता नहीं बल्कि उनका अतीत या फिर उनका दूसरा व्यवसाय कारण रहता है।
शंकर पोखरेल के इस बयान में काफी हद तक सच्चाई थी। जमीम शाह की हत्या पत्रकारिता या फिर उनके संचार मालिक होने की वजह से नहीं हर्ुइ थी बल्कि उनका अतीत उनकी हत्या का सबब बना। सोने की तस्करी से अपना काला व्यवसाय शुरू करने वाले जमीम शाह नेपाल में दाऊद इब्राहिम के काफी करीबी में से एक माने जाते थे। भारतीय खुफिया एजेन्सियों द्वारा जमीम शाह के बारे में तैयार की गई रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि नेपाल में दाऊद के डि कम्पनी को बढावा देने और उसके कारोबार को संभालने वाला जमीम शाह ही है। दाऊद के नाम पर जमीम ने यहां कई कारोबार की शुरूआत की थी। नेपाल के केबल कारोबार हो या फिर सेटेलाईट चैनल या फिर स्पेस र्टाईम नेर्टवर्क इन सभी में दाऊद का ही पैसा लगा हुआ था। जमीम के राजनीतिक रिश्ते की वजह से कभी भी पुलिस ने उसके बारे में कुछ भी पता लगाने की कोशिश नहीं की। कई बार भारत की तरफ से औपचारिक रूप से यह आग्रह किया गया कि नेपाल में दाऊद का नेर्टवर्क पनप रहा है और जमीम उसका मोहरा बना हुआ है। लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री गिरिजा कोइराला से लेकर संचार मंत्री विजय कुमार गच्छेदार सभी जमीम शाह के रुतबे और पैसे से इतने प्रभावित थे कि कोई भी उस पर हाथ डालने की हिम्मत करना तो दूर उसे छू भी नहीं पा रहा था।
जमीम के हत्याकाण्ड में पुलिस ने त्रिलोक सिंह उर्फबब्बू को योजनाकार के रूप में पेश किया। लखनऊ की जेल में बन्द और कभी दाऊद का खास माना जाने वाला बबलू श्रीवास्तव ने इस हत्याकाण्ड के लिए आदेश देने की बात का दावा पुलिस करती है। इसके लिए शार्प शूटर मोहम्मद वकार जिसने जमीम शाह पर गोली चलाई थी वह भी डि कम्पनी के लिए काम किया करता था। जब ये सभी एक ही गैंग के लिए काम करते थे तब आखिर इस हत्याकाण्ड को दूसरा रूप क्यों दिया जाता रहा यह सवाल नेपाल में पुछना मर्ूखता है। जमीम की हत्या में जांच के ही दौरान एक और रहस्य से पर्दा उठा। पुलिस यह मानकर चल रही थी बबलू श्रीवास्तव के कहने पर त्रिलोक सिंह ने योजना बनाई और नेपाल में ही कुछ लोगों को मिलाकर इस हत्याकाण्ड को अंजाम दिया गया। पुलिस के कुछ अधिकारियों और नेपाली मीडिया को यह भी लग रहा था कि दाऊद के साथ काम करने की वजह से ही भारतीय एसटीएफ के आँपरेशन में जमीम को मारा गया है। लेकिन पुलिस को जांच के दौरान एक बांगलादेशी के इस पूरे हत्याकाण्ड में संलग्न होने का प्रमाण मिला तो उसे भी सोचने पर मजबूर होना पडा कि आखिर जमीम हत्याकाण्ड का करांची से बांगलादेश के बीच का कनेक्सन क्या है –
जमीम शाह की हत्या के अब तक मुख्य योजनाकार माने जाते रहे त्रिलोक सिंह के मोबायल काँल की जांच होने पर एक नयां नम्बर दिखा। एनसेल के नम्बर ९८०८४७१४३८ पर त्रिलोक सिंह ने कई बार बात की थी। इतना ही नहीं जिस दिन जमीम शाह की हत्या हर्ुइ थी उस दिन इसी नम्बर से लखनऊ की जेल में बन्द बबलू श्रीवास्तव के मोबायल नम्बर ९१-९९५६०९९६८२ पर कई बार सर्ंपर्क किए जाने का राज खुला। जब उस नम्बर के बारे में पता लगाया गया तो मालूम हुआ कि वह नम्बर एक बांगलादेशी नागरिक मुक्कलेसु जामन नामक व्यक्ति का है। पुलिस को यह देख कर आर्श्चर्य लगा कि आखिर एक बांगलादेशी नागरिक का जमीम शाह की हत्या में क्या संबंध हो सकता है। पुलिस को उस समय एक और झटका लगा जब उस बांगलादेशी नागरिक ने बबलू श्रीवास्तव और त्रिलोक सिंह के अलावा जमीम की हत्या वाले दिन एक पाकिस्तानी नम्बर ००९२-३००८२३५५६७ पर भी सर्ंपर्क किया था। काठमाण्डू के नयां बानेश्वर स्थित एवरेष्ट होटल में रुके इस बांगलादेशी नागरिक का जमीम की हत्या में किसी ना किसी रूप से संबंध के बारे में पुलिस ने कई ठोस प्रमाण जुटाए। मुक्क्लेसु जामन इससे पहले भी कई बार नेपाल आ चुका था। जमीम हत्या के समय दस दिनों के पर्यटक वीजा पर नेपाल आए जामन ने लखनऊ जेल में बन्द बबलू श्रीवास्तव के दूसरे मोबायल नम्बर ००९१-९७९३२८४७२१ में कई बार सर्ंपर्क किया था। इसके अलावा बांगलादेशी नागरिक ने भारत के दो अन्य नम्बरों ००९१-८८०८७४४३५१ और ००९१-८१२७८३५१७५ पर भी कई बार सर्ंपर्क किया था।
सी-१८१४५२५ नम्बर के पासपोर्ट से नेपाल आने वाले इस संदिग्ध बांगलादेशी नागरिक के करांची कनेक्सन के बारे में नेपाल की पुलिस ने पाकिस्तान के दूतावास से जानकारी मांगी लेकिन काठमाण्डू स्थित पाकिस्तानी दूतावास ने इस संबंध में कोई जानकारी देने से मना कर दिया। हां बागलादेश के दूतावास ने उसके पते के बारे में बताते हुए उसके अब तक के नेपाल भ्रमण की पूरी जानकारी उपलब्ध करा कर सहयोग किया था। हालांकि दाऊद का बांगलादेश में भी काफी सर्ंपर्क है। लेकिन जमीम हत्याकाण्ड में बांगलादेशी नागरिक की संलग्नता और उस का पाकिस्तान कनेक्सन पर पुलिस और अधिक जानकारी इकठ्ठी नहीं कर पाई।



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