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रमेश झा
काठमांडू। सनातन फाउण्डेशन भक्तपुर द्वारा प्रकाशित भूचन्द्र वैद्य द्वारा लिखित ‘एसेन्स आँफ गीता’ के विमोचन हाल ही में हुआ। प्रमुख अतिथि डा. चिन्तामणि योगी, विशिष्ट व्यक्तित्व डा. प्रयागराज शर्मा, डा. प्रमोद कुमार झा, कृष्ण खनाल, तथा हरि शर्मा आदि विशिष्ट व्यक्तियों ने सामूहिक रुप से पुस्तक का विमोचन किया। भरत बहादुर थापा की अध्यक्षता में सम्पन्न उक्त कार्यक्रम में अनुवादक डा. भूचन्द्र वैद्य ने अपनी कृति ‘एसेन्स आँफ दी गीता’ के सर्न्दर्भ में अपने विचार व्यक्त किए।
डा. वैद्य द्वारा रचित ‘एसेन्स आँफ दी गीता’ कृति की विशेषता के बारे में सह-प्रा. विनय कुशियैत ने बताया कि जब तक मानव मन में शंका-उपशंका रहेगी, तब तक व्यक्ति लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सकता है। गीता शंका-उपशंका हटाकर लक्ष्य प्राप्ति की ओर उन्मुख करती है।
राजनीति क्षेत्र में अच्छी पकडÞ रखने वाले हर्रि्रसाद शर्मा ने कहा- डा. वैद्य ने वियोगान्त जीवन से मुक्ति पाने के लिए गीता का अनुशीलन करने का मार्ग अपनाया, जो अमूल्य मार्ग है। गीता कर्म, ज्ञान और भक्ति की त्रिवेणी है। गाँधी ने गीता को अहिंसा के रुप में देखा है तो विनोवाभावे ने दूसरे रुप में। गीता को हरेक व्यक्ति ने अपने-अपने दृष्टिकोण से देखा है और गीता से कुछ न कुछ ग्रहण किया है। शाश्वत कालजयी कृति युद्धभूमि में कृष्ण के मुख से प्रकटित उपदेश समूह ही श्रीभगवद्गीता है। प्रस्तुत पुस्तक डा. वैद्य की र्समर्पण भाव का परिणाम है। यह किताब अंग्रेजी में आने से आज के युवा वर्ग को अपनी ओर आकषिर्त कर सकती है, जिससे गीता का प्रचार-प्रसार अवश्य होगा।
प्रा. कृष्ण खनाल ने कहा कि इस पुस्तक के माध्यम से समाज को ज्ञान-विज्ञान को समझने का मौका मिलेगा। वैद्य जी की गीता नई पीढÞी तक कर्म का सन्देश पहुँचाने में एक सशक्त भूमिका निर्वाह करेगी। गीता किसी को भी एक कर्म में सीमित नहीं करती है, अपितु अपने-अपने कर्म के प्रति प्रेरित करती है।
डा.प्रा. प्रमोद कुमार झा ने कहा, मैने अपने विषय के अतिरिक्त कोई भी किताब यदि पढÞी है तो वह है गीता। डा. वैद्य रचित गीता अग्रेजी भाषा में आई है, जो आज के युवा वर्ग को कुमार्ग से हटाकर सुमार्ग में लाने के लिए प्रेरित करेगी। वैद्यजी मन, वचन और कर्म तीनों से ‘विद्या ददाति विनयं…’ जैसी नीति को पर्ूण्ा रुप से चरितार्थ करते हैं। इसी सर्न्दर्भ में डा. झा ने अपने पिता स्व. सुरेश झा द्वारा रचित मैथिली गीता एवं पन्नालाल चोखानी कृत सीता से सम्बन्धित सीडी भी वैद्य जी को समर्पित की।
डा. प्रयागराज शर्मा ने कहा गीता योग का प्रतीक है, योग के करण ही आज हमलोग एक जगह उपस्थित हुए हैं। ऐसा योग डा. भूचन्द्र वैद्य ने अपनी गीता के माध्यम से दिया है। गीता में संजय ने धृतराष्ट्र को संदेश दिया पर आजकल हम सब धृतराष्ट्र है कारण हम लोग गीता का उपदेश नहीं लेते हैं। इस अवस्था में डा. वैद्य द्वारा लिखित गीता ने हमारे अन्धेपन को दूर करने का प्रयास किया है। वैद्य कर्मयोगी हैं, और अपनी साधना में बहुत आगे बढÞ चुके है। गीता का अध्ययन मानव को नई ऊर्जा प्रदान करता है और कर्म के प्रति प्रेरित करता है।
प्रमुख अतिथि डा. चिन्तामणि योगी ने कहा गीता कर्म, ज्ञान और भक्ति का सागर है। इस सागर रुपी गीता लिखने वाले डा. भूचन्द्र वैद्य जैसे सुयोग्य व्यक्ति चाहिए, जिसके द्वारा नेपाली-अंग्रेजी भाषा में गीता लिखी गई है। मानव को जीवन में सत्संग, सद्ग्रन्थ, सर्त्कर्म की जरुरत हो तो वह गीता को पढÞे। इसे पढÞने से विषाद के क्षण में भी प्रसाद मिलता है, आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है। र्सार्थक ज्ञान चाहनेवाला इन्सान डा. वैद्य द्वारा अंग्रेजी भाषा में रचित गीता का अध्ययन करे।
इसे पढÞने से जीवन में आनेवाले हीनभाव और तनाव सब खत्म हो जाते हैं। गीता जीवन का एक दर्पण है, जो मानव को सच्चा मार्ग सिखाता है। अन्त में ध्रुवचन्द्र वैद्य ने सनातन फाउण्डेशन भक्तपुर के उद्देश्य के बारे में प्रकाश डाला।
अन्त में अध्यक्षीय विचार व्यक्त करते हुए भरतबहादुर थापा ने कहा- गीता असमञ्जस में फँसे मानव को गीता सुमार्ग दिखाने वाला ग्रन्थ है। कर्मयोगी डा. वैद्य द्वारा अंग्रेजी में लिखित गीता हमारे समक्ष आयी है, जिसे हमे पढÞना चाहिए। इसे पढÞकर कृष्ण कौन है – इस को हम जान सकते है, समस्या समाधान कर सकते है तथा जागरुक नागरिक बन सकते हैं।



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