छपरा के सारण में माता जगदम्बा के साक्षात निर्देशन में नवरात्रा मनाया गया

छपरा से अजयकुमार झा । नवरात्रा में, मैं पिछले नौ दिनों से भारत के छपरा (सारण) स्थित अमनौर ग्राम के उस दिव्य स्थल पे हूँ, जहाँ पिछले 55 वर्षों से पूर्ण वैदिक रीती और हार्दिक उदारता के साथ सम्वुद्ध ऋषि श्री रामनिवाश सिंह जी के नेतृत्व में माता जगदम्बा के आदेस और निर्देशन में नवरात्रा महोत्सव मनाया जाता है। उनके व्यक्तित्व के लिए सिर्फ उनका ही उदाहरण दिया जा सकता है। क्योंकि, अधीक्षण इंजिनियर के पद से अवकाश प्राप्त सम्बुद्ध ऋषि श्री रामनिवाश सिंह जी का माँ जगदम्बा से वही सम्बन्ध है जो राम कृष्ण को काली से था। (माता पुत्र का) इनकी प्रज्ञा विवेकानंद जैसी तीक्ष्ण धार वाली है।इनमे स्वामी राम जैसा तंत्र शक्ति और मीरा जैसी भक्तिभाव समर्पण स्पष्ट दिखाई देता है। वही इनके काव्यों में अष्टावक्र का सांख्य शुत्र, प्रभुपाद का प्रेमाभक्ति रस, याज्ञवल्क्य का कर्मरहश्य जैसे अनमोल मोती बिखरे पड़े हैं। इनके द्वारा रचित सैकड़ो भजन ज्ञान और भक्ति के लिए अद्वितीय है। वही (शक्ति रहश्य) (मातृभाव सुधा) पुस्तक तथा दो में सृजित (मानव मर्म) गीता,जिसकी अदभुद दिव्यता किसी भी चेतना को झकझोर के रख देने बाला है। वो एक सफल पिता होने के साथ साथ महा करुणावान अभिभावक होने के कारण आज 500 से अधिक संताने उन्हें अपना प्रातःस्मर्णीय देव तुल्य अभिभावक मानते हैं।
वर्त्तमान कलयुग में सतयुगी पारिवारिक और कौटुम्बिक सदभाव,समर्पण,शालीनता और सभ्यता को यहाँ प्रत्यक्ष रुपमे वृद्ध माता पिता,उच्च पदस्थ संताने तथा बच्चों के बिच का प्रेम और सेवा भाव तथाकथित आधुनिकता को धरासायी कर दिया है। जो की आज के समाज के लिए प्रेरणा का आधार माना जाएगा। उनके जीवन साकार और निराकार अदभुत सगम है। भक्ति और प्रज्ञा प्रयाग है। प्रेम और करुना का मधुर मिश्रण है। धैर्य और क्षमा का सागर है। ज्ञान और सहिष्णुता का हिमालय है। ऐसे अनगिनत दिव्यताओं का प्रत्यक्षीकरण मैंने इनमे किया है।
राम रतन सिंह कालेज मोकामा के बनस्पति विज्ञान के प्राध्यापक तथा अमनौर के सहायक आचार्य श्री अरविन्द कुमार जी से वार्ता के क्रम में यहाँ के भव्य पूजनोत्सव की संक्षिप्त जानकारी मिली। उन्होंने कहा कि दुर्गा के तीन महाशक्तियाँ महाकाली महालक्ष्मी महासरोश्वतीसहित नवो रूप का पूजन,सोलह मात्रिका शक्तियाँ, 64 योगिनियाँ,नव गृह, सर्वतो भद्र मंडल के निर्माण कर 256 से अधिक दैविक शक्तियों का, दस दिगपाल,क्षेत्रपाल , यम, महिष, राम परिवार, जयन्ती-जया विजया,अपरा,अपराजिता, शक्ति के साथ सभी शक्ति पीठों आदि का पूजन नवरात्र पर्यन्त होता है। साथहि प्रारम्भ के तीन दिन शिवपरिवार का पूजन डेढ़ लाख पार्थिवेश्वर महादेव के रुपमे पूजन एवं रुद्राभिषेक होता है। इसके स्वरूपों का मैं स्वयं प्रत्यक्षदर्शी होते हुए भी वर्णन नहीं कर सकता। सोलह से अधिक उत्तम वस्तुओं से छह घंटा से अधिक समय तक पूजा होते मैंने देखा है।
जगदम्बा के स्नान में प्रति दिन दो घंटा से अधिक समय लगते देखा। छप्पन व्यंजनों तथा अदभुत श्रृंगार के साथहि पूर्ण हार्दिकता के साथ कुमारी पूजन का दृश्य विश्व के लिए उदाहरणीय है।उधर 3 क्विंटल से अधिक का एकदम शुद्ध और उत्तम और बहुमूल्य वस्तुएँ हवन में प्रयोग होते देख एक पल के जो कोई भी नए लोग चकित हो जाते हैं। इसके साथहि कमसेकम 108 आवृत्ति दुर्गा सप्तसती का पाठ किया जाता है, कुछ भक्त रामायण का पाठ करते हैं, तो कुछ लोग उनके द्वारा दुर्गा सप्तसती से दिया गया विशेष मन्त्रों का हजारों मालाएँ जाप करते हैं। ऐसे अनेकों कार्यक्रम मैंने प्रत्यक्ष देखा।
66 वर्षीय श्री गोपेश्वर जी पिछले 50 वर्षों का अनुभव साझा करते हुए बताते हैं की यहाँ के
शोडसोपचार पूजन बिधि जो निरंतर विस्तीर्ण होते जा रहा है जिसका एक कारण युवाओं में बढ़ते समर्पण और संस्कार भी है।
हम सभी सहभागी लोग सपरिवार स्वस्थ और संस्कारबान हैं। बच्चें उच्च पदासीन हैं
समग्र हिंदुस्तान में बीस जगह हो रहे बिधिवत पूजा में इसका सर्वोत्कृष्ट स्थान है। आगे कहते हैं कि सन 2017 में इनकी लड़की के सादी में चारो ओर भयानक वर्षा हुई लेकिन इनके घर के आसपास पानी नहीं पड़ा। ऐसे अनेकों उदाहरण यहाँ मिल जाएंगे।
मोतिहारी के ऋषि सिंह जी बताते है 23 वर्षों से मैं यहाँ आता हूँ।मैं मोतिहारी से टमटम से आता था,आज अपनी कारें हैं। बच्चे अच्छे युनिभर्सिटी में अध्ययनरत हैं। हम 100% खुस हैं। एक महीने के भीतर दो दो मृत्युरूपी दुर्गघटनाओं से पूर्णतः सुरक्षित रह पाया। यह सब माता की कृपा और महात्मा जी के आशीष के कारण है।
गुजरात से आलोक शांडिल्य जी बताते हैं, किमैं पिछले नौ वर्षों से बिना किसी संकोच के यहाँ से जुड़ा हूँ। माता का आशीष और महात्मा जी का प्रेम अहर्निश वरसता रहता है।
मुजफ्फरपुर से अनुपम कुमार जी कहतें हैं,की अबतक जो चाहा वो पूरा हुआ है। महात्मा जी 70 वर्ष के होते हुए भी इस 300 सय सक्रीय भक्तों को हमेसा उर्जा प्रदान करते रहते हैं। कोई भी फोन करे तो, प्रथम वाक्य के रूप में “माता को याद करो” “जदम्बा को याद करो, सब ठीक रहेगा”। इस प्रकार हमें प्रेरित और सुरक्षित करते रहतें हैं।
महात्मा जी के बड़े भैया श्रीनिवाश जी कहतें हैं, की उनके बारे में वर्णन नहीं कर सकता। वो मुझसे उम्र में छोटे जरुर हैं,लेकिन कहते कहते गला अवरुद्ध हो गया। देवता तुल्य भाई के प्रति श्रद्धा से उनकी आँखे नम हो गई। आगे कहते हैं, माता तो दिनरात चमत्कार ही चमत्कार दिखातीं रहतीं हैं। निकट भविष्य में ही यह स्थान तो शक्तिपीठ के रुपमे पूजा जाएगा।
श्री मुकुल जी , मोतीहार से बताते हैं की मैं पिछले 20 वर्षों से ईस दस दिन के लिए व्यवसाय बंद कर के आता हूँ, सप्तसती का पाठ करने। मैं जानता हूँ,की जो इस दस दिन में माता के शरण में कमाता हूँ,वही वर्ष भर खाता हूँ।
इसी प्रकार अमृतम कुमार जयपुर से कहते हैं की महात्मा जी हमारे लिए सुप्रीम जज हैं,प्रेरणा श्रोत हैं और माता हामारी आधार श्रोत हैं।
महात्मा जी बाते करने पर उन्होंने कुछ ही शब्दो में कहा की यह पूजा मैं नहीं करता न मेरे लिए संभव है। यह तो माता स्वयं करबाती हैं। उन्होंने आगे मेरे लिए जितना आप सत्य हैं, उतना ही माँ जगदम्बा। इतनी अदभुत दिव्यताओं को छुपाने का कारण जानना चाहूँगा! इसके उत्तर में वही ,कि सब माता करतीं हैं। मैं तो हूँ ही नहीं। धन्यवाद!
नवरात्रा के सम्पूर्ण पूजन बिधि को उनके प्रतिउत्पन्न मति से संपन्न पुत्र अंशु सिंह, जो बैंक अफ बरोदा के मैनेजर पद पे आसीन हैं। वो पूरी तन्मयता और समर्पण के साथ निर्वाह कर रहें हैं। और महात्मा जी के कार्यों को आगे बढ़ा रहे हैं। वही इनकी लक्ष्मी स्वरूपिणी अर्धांगिनी श्री मति कान्ति सिहं, इनकी हरेक भावनाओं को माता का ही आदेस मानकर परिवार के सम्पूर्ण दायित्व को पूर्ण जिम्मेबारी के साथ सभी बहुओं और बच्चों का देखभाल तथा खानपान के साथ ही पुजनका सामग्री ,भोगका व्यंजन तैयार करने में तल्लीन दिख पर रहीं थीं।
मैं अपनी कलम को यही विश्राम देना उचित समझता हूँ। जय हो!