बेटी वा बेटा, दोनों अपना खून, तो भेद कैसा : अंकिता सुमार्गी
हाइकु अंकिता सुमार्गी
आजका दिन
करता है स्वागत
आप सभी का
बुद्धका देश
हमारी मातृभूमि
नेपाल देश
ठण्डी की धूप
सरकारी नौकरी
मजेकी नीद
भरे से नहीं
खाली पेटसे पूछो
रोटी की चाह
विश्व बचाओ
हरियाली बढ़ाओ
पेड लगाओ
हिन्दू मुश्लिम
हम सभी का इन्सान
तो बैर कैसा ?
प्रेम विकास
दो देशोंका मिलन
देश विकास
बेटी वा बेटा
दोनों अपना खून
तो भेद कैसा
स्वर्ग वही जहां
नारी सम्मान
उन्नति वही
क्यू पूजते हो ?
पत्थर के भगवान
पूजे माँ पिता
सहारे बने
है बेवस लाचार
वृद्ध अवस्था
सावन झरी
दे तन को शीतल
वर्खा बहार
लगाई मैने
सवान की मेहन्दी
तेरे नाम की
बहू बेटियां
बांधे दो परिवार
दोनों है शान
बिटिया नहीं
दूसरे की बेटी से
बेटा चाहिए
बेटी बचाओ
कुंवारी ही मरेंगे
कुल विनाश
देवी की पूजा
मन्नते जगराते
बेटे के लिए
पवित्र नदी
मनमोहक प्रकृति
देश नेपाल
प्रेम मिलन
साहित्य जमघट
सुन्दर दृश्य