सर्वोच्च ने किया फैसलाः बिना मुआब्जा अब काठमांडू में सड़क बिस्तार नहीं हो सकता
काठमांडू, २२ मार्च । सर्वोच्च अदालत ने फैसला किया है कि बिना मुआब्जा अब काठमांडू उपत्यका में सडक बिस्तार नहीं किया जा सकता । सर्वोच्च अदालत के ५ न्यायाधिशों की इजलास ने विहीबार ऐसा निर्णय किया है । निर्णय में कहा गया है कि अब उपरान्त क्षतिपुर्ति संबंधी नीतिगत निर्णय के बाद ही काठमांडू में सड़क बिस्तार संबंधी निर्णय किया जाए ।
न्यायाधीश मीरा खडका, विश्व प्रसाद श्रेष्ठ, अनिल कुमार सिन्हा, सपना प्रधान मल्ल और टंकबहादुर मोक्तान की संयुक्त इजलास ने ऐसा निर्णय किया है । स्मरणीय है, गत भाद्र ३ गते सरकार ने सर्वोच्च अदालत में एक निवेदन पेश करते हुए कहा था कि सड़क बिस्तार कार्य असहज होने के कारण सर्वोच्च अदालत द्वारा इससे पहले किया गया निर्णय को पुनरावलोकन होना चाहिए । सरकारी की उसी निवेदन के ऊपर विचार–विमर्श होने के बाद सर्वोच्च ने अपने पुराने ही फैसला को सही ठहराते हुए यह फैसला की है ।
सरकार ने कलंकी–नागढुंगा सड़क बिस्तार प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के बाद स्थानीय बासियों ने मुआब्जा मांग करते हुए सर्वोच्च में रिट निवेदन पंजीकृत करवाया था । सर्वोच्च के न्यायाधीश हरिकृष्ण कार्की सहित तीन न्यायाधिशों ने रिट के ऊपर फैसला करते हुए कहा था कि जिसके पास घर–जमीन की कागजात है, उसको मुआब्जा देकर ही सड़क बिस्तार किया जाए । सर्वोच्च की यही निर्णय के ऊपर पुनर्विचार करने के लिए सरकार ने सर्वाेच्च से अनुरोध किया था ।