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राजनीतिक आन्दोलन में महिला की भूमिका:पुष्पा ठाकुर

नेपाल में प्रजातान्त्र को स्थापित, सुदृढÞ एवं पर्ुनबहाली कराने के लिए हुए हरेक आन्दोलन में महिलाओं ने अपना योगदान तथा सहयोग करते हुए महत्वपर्ूण्ा एवं निर्ण्ाायक भूमिका निभाया है। निरंकुश राजतन्त्र का अन्त करते हुए ‘संघीय लोकतान्त्रिक गणतन्त्र’ स्थापना कराने के संर्घष्ा में महिलाओं ने अपने हाथों में हथियार उठाने से भी परहेज नहीं किया, वरन पुरुषों के कंधे-से-कंधा मिलाते हुए अपनी आहुती भी दी है। इसके बावजूद भी देश की संरचना में उसका निर्ण्ाायक प्रतिनिधित्व अभी तक प्रायः नगण्य ही है।
पितृ सत्तात्मक सोच, सामन्तवादी प्रवृत्ति एवं रुढिवादी परम्परा के कारण नेपाल की महिलाएं राजनीतिक, सामाजिक, प्रशासनिक, आर्थिक एवं शैक्षिणक रूप से बहुत ही पिछडÞी हर्ुइ है। नेपाल की कुल जनसंख्या का ५१ प्रतिशत जनसंख्या महिलाओं की है। जिस देश की लगभग आधी आबादी पिछडÞी हर्ुइ हो, जहाँ की महिलाएं २१वी सदी में भी घरेलू हिंसा, दहेज की आग, डायन, बालविवाह जैसी कुप्रथा का शिकार बन रही हो, उस देश का समग्र विकास कदापि सम्भव नहीं हो सकता है। महिलाओं के हितों की रक्षा करने हेतु न तो पर्याप्त कानून है और जो है, उसका कार्यान्वयन पक्ष भी सशक्त नहीं है। इन हालातों को बदलने के लिए लोकतान्त्रिक राज्य व्यवस्था में राजनीतिक दलों की भूमिका महत्वपर्ूण्ा एवं निर्ण्ाायक होती है। इस सत्य को समझते हुए संघीय लोकतान्त्रिक गणतन्त्र के पक्षधर राजनीतिक दलों की महिला नेतृत्व ने अपने संयुक्त प्रयास से फागुन २४, २०६२ को एक साझा राजनीतिक मंच के रूप में अन्तर पार्टर्ीीहिला संजाल का गठन किया। लैंगिक समानता और सामाजिक न्याय पर आधारित समतामूलक समाज निर्माण करने के लिए विभिन्न राजनीतिक पार्टर्ीीी महिला नेतृ एकवद्ध एवं कटिबद्ध होकर महिला मुद्दे पर सहकार्य कर सके, ऐसा साझा मञ्च है, अन्तर पार्टर्ीीहिला संजाल।
अन्तर पार्टर्ीीहिला संजाल में १६ राजनीतिक पार्टर्ीीावद्ध है। जिन्होंने संविधानसभा में प्रतिनिधित्व किया है। उन में केन्द्रिय स्तर की महिला नेतृ शामिल है। अन्तर पार्टर्ीीहिला संजाल में आवद्ध १६ राजनीतिक पार्टिया निम्न लिखित हैंः- एकीकृत नेकपा माओवादी, नेकपा-माओवादी, नेपाली कांग्रेस, नेकपा एमाले, मधेशी जनअधिकार फोरम -नेपाल), मधेशी जनअधिकार फोरम -लोकतान्त्रिक), तर्राई-मधेश, लोकतान्त्रिक पार्टर्ीीसद्भावना पार्टर्ीीराष्ट्रिय प्रजातन्त्र पार्टर्ीीनेकपा माले, नेकपा संयुक्त, नेपाल सद्भावना पार्टर्ीीआनन्दीदेवी), चुरे भावर राष्ट्रिय एकता पार्टर्ीीनेपाल), समाजवादी प्रजातान्त्रिक जनता पार्टर्ीीनेपाल), दलित जनता पार्टर्ीीनेपाः राष्ट्रिय पार्टर्ीी
संजाल का मूल उद्देश्य हैः-
सिंघीय लोकतान्त्रिक गणतन्त्र, शान्ति एवं मानव अधिकार की स्थापना।
रिाजनीतिक दल एवं राज्य की सम्पर्ूण्ा संरचना तथा नीति-निर्माण के क्षेत्रों में महिलाओं की जनसंख्या के आधार पर समावेशी, समानुपातिक प्रतिनिधित्व की सुनिश्चितता।
मिहिला अधिकार के पक्ष में हुए सम्पर्ूण्ा राष्ट्रिय, अन्तर्रर्ााट्रय सन्धी-सम्झौता का पर्ूण्ा रूप में पालन एवं कार्यान्वयन के लिए निरन्तर रूप से संर्घष्ा करना।
सिंविधान-सभा के द्वारा बनने वाले संविधान में अन्तरिम संविधान में व्यवस्था किए गए महिला अधिकार सम्बन्धी व्यवस्था को सुनिश्चित करते हुए महिलाओं के अधिकारों की अन्य व्यवस्थाओं को भी सम्मिलित कराना एवं विभेदकारी कानून को बर्खास्त कराना या संशोधन कराने के लिए सतत दबाव सृजना करना।
लिैंगिक समानता के लिए समुदाय पर आधारित राष्ट्रिय, अन्तर्रर्ााट्रय एवं क्षेत्रीय संजाल तथा संघ-संस्थाओं से समन्वय करना।
सिंचार माध्यमों को लैंगिक संवेदनशीलता अभिवृद्धि तथा असमानता के विरुद्ध जनचेतना अभिवृद्धि के लिए प्रेरित करना।
शिान्ति प्रक्रिया में महिला सहभागिता सुनिश्चित करना।
अिन्तरपार्टर्ीीहिला संजाल के सदस्यों की क्षमता अभिवृद्धि करते हुए संस्थागत विकास एवं महिला हिंसामुक्त नयां नेपाल निर्माण करना।
अपने उद्देश्य पर्ूर्तिहेतु संजाल महिला सभासदों के ककस, राष्ट्रिय महिला आयोग, अन्य महिला अधिकार एवं मानव अधिकार के क्षेत्र में कार्यरत विभिन्न संघ-संगठनों के साथ सहकार्य करते हुए महिला के मुद्दे पर साझा अभियान संचालन निरन्तर रूप से कर रही है। संजाल के द्वारा किए गए कुछ महत्वपर्ूण्ा कार्य निम्नानुसार है-
२ि०६२/६३ के जनआन्दोलन पश्चात् पुनः स्थापित संसद द्वारा निर्मित अन्तरिम संविधान मस्यौदा समिति एवं सरकार में महिला प्रतिनिधित्व नहीं होने पर अन्तर पार्टर्ीीहिला संजाल के नेतृत्व में पुनः सडक संर्घष्ा एवं सिंहदरबार घेराव किया गया, जिसके फलस्वरूप सरकार में भी महिला का प्रतिनिधित्व कराया गया एवं अन्तरिम संविधान मस्यौंदा समिति में भी विभिन्न पार्टर्ीीे चार महिलाओं को शामिल किया गया।
अिन्तरिम संविधान को अन्तिम स्वरूप देने के समय में संजाल के द्वारा दिए गए दबाव के कारण ही संविधान सभा निर्वाचन में न्यूनतम ३३ प्रतिशत महिला उम्मीदवार बनाने का प्रावधान रखा गया।
सिंजाल ने ६९ जिला में अपना जिला स्तरीय संजाल निर्माण कर लिया गया है एवं गठित हुए जिला में क्षमता अभिवृद्धि प्रशिक्षण सम्पन्न हो चुका है।
२ि०६३ में ‘संविधानसभा में महिलाओं की समान सहभागा एवं अन्तर पार्टर्ीीहिला संजाल की भूमिका’ विषयक, ‘अन्तरिम संविधान संशोधन एवं महिला सवाल’ विषयक, ‘संविधान सभा तथा महिला प्रतिनिधित्व’ विषयक, अन्तरक्रिया कार्यक्रम किया गया।
२ि०६४ में संविधान सभा तथा राज्य व्यवस्था पर अन्तरक्रिया तथा मन्त्रिमण्डल में महिला प्रतिनिधित्व के सवाल को सम्बोधन करने हेतु प्रधानमन्त्री को ज्ञापन पत्र दिया गया। संविधान सभा निर्वाचन में महिलाओं का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमन्त्री सहित सात राजनीतिक दलों को ज्ञापन पत्र दिया गया। संविधानसभा में महिलाओं का समान प्रतिनिधित्व के लिए ‘महिला पत्रकारों की भूमिका’ तथा चैत्र २८ गते होनेवाले निर्वाचन में महिलाओं को क्यों और कैसे जिताए विषय में पत्रकार सम्मेलन किया गया।
२ि०६५ में सद्भावना पार्टर्ीीी अध्यक्ष श्रीमती आनन्दी देवी सिंह को अपरहणमुक्त कराने के लिए पत्रकार सम्मेलन किया गया।
मिन्त्रिपरिषद् द्वारा संविधान सभा के लिए मनोनित किए जानेवाले २६ सांसदों में से आधी महिला को मनोनित करवाने के लिए दबावमूलक रैली निकाली गई। साथ ही प्रधानमन्त्री को ज्ञापनपत्र दिया गया। महंगी विरुद्ध रैली, महिला हिंसाविरुद्ध पत्रकार सम्मेलन, सरकार में ३३ प्रतिशत महिला प्रतिनिधित्व के लिए अन्तरक्रिया एवं महिला सशक्तिकरण के लिए लौगिंक बजेट की आवश्यकता विषय पर पत्रकार सम्मेलन किया गया।
२ि०६६ में संविधान सभा के सभाध्यक्ष को ‘संविधान में समावेश किए जानेवाले महिलाओं के साझा सवालों के विषय में सुझाव सौंपा गया। अन्तर्रर्ाा्रीय श्रमिक महिला दिवस के उपलक्ष्य में रैली निकाली गई।
२ि०६७ में बर्दिया तथा धनुषा में हुए महिला हत्या एवं बलात्कार के विरोध में विशाल रैली निकाली गई। संविधान निर्माण प्रक्रिया सुचारु एवं शान्ति तथा संविधान सुनिश्चित करने के लिए धर्ना एवं संविधान सभा के सभाध्यक्षको ज्ञापनपत्र दिया गया। घरेलूहिंसा कसूर सजाय नियमावली निर्माण और तुरन्त कार्यान्वयन करने के लिए दबावमूलक कार्यक्रम किया गया तथा नीति-निर्माण स्तर पर महिलाओं की समान सहभागिता, देश में उत्पन्न गतिरोध अन्त करते हुए राष्ट्रीय सहमति बनाकर देश को संभावित दर्ुघटना से बचाने के उद्देश्य से अनेक कार्यक्रम किए गए।
२ि०६८ में संजाल ने अन्य महिला अधिकारवादी के साथ मिलकर प्रधानमन्त्री झलनाथ खनाल की सरकार में ३३ प्रतिशत महिला समावेश कराने हेतु ज्ञापनपत्र दिया। ‘नयाँ संविधान में निर्वाचन प्रणाली एवं महिलाओं के समानुपातिक सामावेशी प्रतिनिधित्व’ के लिए संवैधानिक समिति के सभाध्यक्ष को ज्ञापन पत्र दिया गया। साथ ही संविधान सभा के सम्पर्ूण्ा सभासदों को ज्ञापन पत्र सौंपा गया।
२ि०६९ में नयाँ संविधान में नागरिकता सम्बन्धी व्यवस्था के लिए अन्तरक्रिया कार्यक्रम किया गया। साथ ही संविधान निर्माण किए बगैर संविधान सभा के अन्त पश्चात् उत्पन्न राजनीतिक/संवैधानिक संकट एवं इसके निकास के लिए पहले तो कानूनविद्, नागरिक समाज तथा राजनीतिक विशेषज्ञ से अन्तरक्रिया की गई और फिर उनके सुझावों को समेटते हुए राजनीतिक दलों के बीच उत्पन्न तिक्तता एवं संवादहीनता की स्थिति को तोडÞने के लिए सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के शर्ीष्ास्थ नेता को एक ही मंच पर उपस्थित कराते हुए उनसे वर्तमान राजनीतिक/संवैधानिक संकट को समाप्त करने की प्रतिवद्धता ली गई।
अन्तर पार्टर्ीीहिला संजाल में आवद्ध महिलाओं ने महत्वपर्ूण्ा निर्ण्र्ाालिए है, जिससे यह साबित होता है कि वे अपने गुद्दे पर कितनी एकतावद्ध एवं कटिवद्ध हं, जैसे मन्त्रिपरिषद में ३३ प्रतिशत महिला सम्मिलित नहीं किए जाने पर जयपुरी र्घर्ती ने प्राप्त मन्त्री पद को ठुकरा दिया। कनिष्ठता एवं वरिष्ठता का ध्यान दिए बगैर दिए गए मन्त्री पद को राधा ज्ञावली ने ठुकरा दिया। इस तरह के अनेक निर्ण्र्ाासंजाल में आवद्ध महिला नेतृ ने लेकर यह दिखला दिया कि वे सत्ता में पदलोलुपता के लिए नहीं शामिल होना चाहती। सत्ता प्राप्त कर समानुपातिक समावेशी समतामूलक समाज निर्माण कर नेपाल को विश्व के समक्ष एक सुन्दर, शान्त एवं समृद्ध नेपाल के रूप में स्थापित करना ही उनका लक्ष्य है।
-लेखिकाः तमलोपा पार्टर्ीीार्य सम्पादन समिति के सदस्य है।)

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