Fri. Mar 29th, 2024

हिमालिनी  अंक अगस्त , अगस्त 2019 |प्राचीन समय से ही जन्म दिन कहाँ से शुरु हुआ और क्यों इसके विषय में अनेक कहानियाँ सुनते आए हैं । कुछ इतिहासकारों का मानना है कि मोमबत्ती जलाने और बुझाने की परम्परा ग्रीस से आई है । उस समय जलती हुई मोमबत्ती लेकर ग्रीक भगवान के पास जाते थे और उनका मानना है कि केक पर लगी मोमबत्ती को बुझाने से उसका धुआँ लोगों की मनोकामना के साथ भगवान के पास जाता है ।

यह चलन पीढी दर पीढी चलती आ रही है । मोमबत्ती बुझाने के समय मन में कोई कामना करते हैं जो मोमबत्ती बुझाने के साथ ही ईश्वर तक पहुँचती है और पूरी होती है । दक्षिण के देशों में यह परमपरा किसी ना किसी रुप में मौजूद है । ई ।वि. १७४१ साल में जर्मन से शुरु हुवा मोमबत्तियाँ बुझाने का रिवाज । माना जाता है जर्मन के एक धर्म गुरु, समाज सेवी रिलोक चुचण्ड दास के जन्म दिन पर मोमबत्ती जलाकर खुशियाँ मनायी गयी थी । उस समय रिलोक चुचण्ड दास का जन्म दिन त्योहार के रुप में मनाया जाता था । तभी से यह प्रथा धीरे धीरे सारी दुनियाँ में चलन में आ गया ।

एक और दक्षिण देशों की मान्यता के अनुसार जर्मन के लोग केनडल फस्टवेल के दौरान जन्मदिन मनाने का समारोह होता था । उस समय केक के बीच मे केन्डल जलाकर रखा जाता था उसे जीवन की ज्योति का प्रतीक कहा जाता था ।

नेपाल और भारत की परम्परा दक्षिण देशों से एकदम अलग है । हमारे धर्म के अनुसार जन्म दिवस युरोप जैसा नही मनाना चाहिए । कुछ जानकारों के अनुसार हिन्दु धर्म में दीपक को अग्नि देव का स्वरूप माना गया है । भगवान के सामने प्रसाद और घी दीपक जलाकर अग्नि देव की उपस्थिति और मन्दिर में मनाना चाहिए इससे नकरात्मक उर्जा एवं बुरी शक्तियाँ दूर रहती हंै । आत्मा प्रकाशित होती है । शतमी गुणो का प्रतीक होती है । जिसका जिक्र उपनिषद में है । प्रकाश नवीनता का सूचक है । तमाम लोग मानते हैं कि जन्मदिन पर दीपक या मोमबत्ती बुझाने से हम अपने आने वाले समय को नकारात्मकता की ओर ले जाते हैं । इस लिए बहुतों का मानना है कि बर्थ डे पर मोमबत्ती बुझाने के बजाय उम्र अनुसार भगवान के सामने दीपक उसी के हाथ से जलवाना चाहिए क्योंकि हिन्दू देश में मोमबत्ती और दीपक जलाना शुभ माना गया है । यदि पूजा का दीपक जलते जलते बुझ गया तो असशभ माना जाता है । यह तो प्रार्थणा का दीपक होती है । क्योंकि बुझाना मनोकामना की पूर्णता में बाधा बनती है । मूँह से फूँककर दीपक या मोमबत्ती को बझाना जूठा और अशुभ माना जाता है । हमारे धर्म में मोमबत्ती से अधिक दीपक जलाने को शुभ माना जाता है । ईसी तरह भागवत कथा में भी भगवान श्री कृष्ण के जन्म उत्सव क िचर्चा की गई है ।

हमारे हिन्दु धर्म में जन्म दिन इस तरह मनाया जाता है ।
– जन्म दिन तिथि के अनुसार मनाना चाहिए ।
– सवेरे उठ कर बड़ों से आशिर्वाद लेना चाहिए ।
– जन्म दिन के दिन घर में कोई भी प्राणी की हत्या नही करनी चाहिए
– मांसाहारी और शराब भोजन नहीं करना चाहिए ।
– उस दिन गगांजल मिलाकर स्नान करें ।
– केश और नाखुन नहीं काटना चाहिए ।
– मन्दिर या घर में पूजा करें ।
– जिस का जन्म दिन है । उसी के हाथ से दीपक जलवाना चाहिए वर्ष के अनुसार ।
– कभी भी दीपक या मोमबत्ती बुझाना नहीं चाहिए । हमारा जीवन प्रकाशमय होे ।
– जन्म दिवस मनाएँ तो जरुर पर माता पिता के साथ मनाएँ क्योंकि आप पर उनका हक पहला होता है ।
– दोस्त और परिवार के साथ मिलकर पूजा करे ।
– केक काटना नहीं चाहिए हमारी संस्कृति काटना नही है ।
– इसलिए बच्चाें को चाकू देकर काटना मत सिखाएँ हम अपने बच्चे को जोड़ना सिखाएँ ।
– मिठाई, फलफूल, से पूजा करे साथ मे केक भी रख सकते हंै ।

हालांकि केक पर मोमबत्ती बुझाने की विधि अपने अपने सस्कृतियों की मान्यता है मगर साफ है कि केक काटना मोमबत्ती बुझाना पश्चिमी देशों से हमारे देश में आया है । दोस्ताें हरेक चीजों की अपनी अपनी मान्यता है । अपने आस और विश्वास के साथ मनाना चाहिए ।
आप के लिए
फूलो की सुगंध से सुगंधित हो जीवन
आप का,
तारों की चमक से सम्मिलित हो जीवन
आप का,
उम्र आपका हो सूरज जैसा,
याद रखे जिसे हमेशा दुनियाँ,
जन्मदिन में महफिल सजाए
आप ऐसा,
शुभ दिन ये आए आप के जीवन में
हजार बार,
आपके कोई शत्रु और रोग न छुए
हंसते हुए जीवन को,
और हम आपको ‘जन्मदिन मुबारक”
कहते रहें बार बार ।



About Author

आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.

1 thought on “जन्म दिन कैसे मनाएँ ? अर्चना झा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Loading...
%d bloggers like this: