Fri. Mar 29th, 2024



भारत में  नागरिकता संशोधन कानून  के खिलाफ कई जगहों पर हिंसक प्रदर्शन जारी  हैं। विपक्ष चाराे तरफ से सत्ता पक्ष काे घेरने के लिए जाेर लगा रही है ।  कांग्रेस जो आज लोगों को इसका विरोध करने की सलाह दे रही है उसके ही नेता और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बांग्‍लादेश से आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों के लिए नागरिकता की मांग कर चुके हैं। वहीं सीपीआई-एम के नेता और पार्टी के पूर्व महासचिव प्रकाश करात इन लोगों को नागरिकता देने की मांग को लेकर पत्र लिख चुके हैं। लेकिन राजनीतिक हित के नाम पर ये सभी अब विरोध करने वालों में शामिल हैं। लेकिन, दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी हैं तो इस कानून को सही बता रहे हैं। इनमें बांग्‍लादेश की लेखिका तसलीमा नसरीन भी शामिल हैं।

इस कानून को लेकर हो रहे विरोध को वह पहले भी गलत करार दे चुकी हैं। हाल ही में उन्‍होंने दो ट्वीट (Taslima Nasreen Tweet) किए हैं। इनमें से एक ट्वीट में उन्‍होंने लिखा है विरोध और अनिश्चितताओं के बीच यह सच है कि भारत में मुस्लिम राष्‍ट्रपति (Muslim President in India) बन सकता है और बांग्‍लादेश में एक हिंदू चीफ जस्टिस (Hindu Chief Justice in Bangladesh) बन सकता है। इन दोनों देशों की सच्‍चाई ये भी है कि यहां पर सदियों से दोनों धर्मों के लोग शांतिपूर्ण तरीके से रहते आए हैं। यह वो सबसे अच्छी चीज है जो हम कर सकते हैं।अपने दूसरे ट्वीट में तसलीमा ने कहा है कि ये बेहद अजीब है कि भारत द्वारा किए गए नागरिकता संशोधन कानून को लेकर बांग्‍लादेश, पाकिस्‍तान और अफगानिस्‍तान के अधिकारी खुद को परेशान कहें। लेकिन उन्‍हें ये सोचना चाहिए कि क्‍या उनका देश धर्मनिरपेक्ष है? भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और हमेशा धर्मनिरपेक्ष देश रहेगा। भारत के पड़ोसियों को चाहिए कि वे भी धर्मनिरपेक्ष बनने की कोशिश करें।

कुछ दिन पहले किए गए अपने कुछ अन्‍य ट्वीट में भी उन्‍होंने उन लोगों की सोच पर सवाल उठाया है जो लोग खुद और दूसरों को उनकी जाति धर्म के आधार पर आंकते या देखते हैं। उन्‍होंने लिखा है कि जब भी हम खुद को धर्म, देश, जाति, क्‍लास, सामाजिक तानेबाने को लेकर गौरवांवित महसूस करते हैं तो इस पर हमें गंभीरता से विचार करना चाहिए कि इनमें ऐसा क्‍या है जो गर्व किया जा सके। इसके अलावा एक और ट्वीट में उन्‍होंने लिखा है गुंडागर्दी और पब्लिक प्रॉपर्टी को नष्‍ट कर कुछ हासिल नहीं किया जा सकता है। यह सभी धर्म के बंधन को तोड़कर या पीछे छोड़कर खुद को शिक्षित कर वैज्ञानिक, कलाकार, तर्कवादी, मानवतावादी बनकर दूसरों का सम्मान पा सकते हैं। तसलीमा नसरीन बांग्‍लादेश की जानी मानी लेखिका हैं जो कट्टरवादी सोच पर लगातार अपनी लेखनी से प्रहार करती रही हैं। यही वजह है कि वे बांग्‍लादेश के कट्टर मुल्‍लाओं के हमेशा से निशाने पर रही हैं। वह 2004 से ही भारत में रह रही हैं। 1994 में उनके लेखन पर मचे बवाल के बाद उन्‍होंने देश छोड़ दिया था।

एक ट्वीट में तसलीमा ने यहां तक लिखा है कि वह भारत छोड़कर कहीं नहीं जा रही हैं। वह यहां पर स्‍वीडन से आई हैं और उनकी निगाह में भारत से रहने लायक अच्‍छी जगह कोई दूसरी नहीं हो सकती है। मैं अब भी यही मानती हूं। काफी संख्‍या में हिंदू पश्चिमी देशों में रहते हैं लेकिन वो मेरी तरह से नहीं सोचते हैं। यह देश उनसे ताल्‍लुक रखता है तो देश को प्‍यार करते हैं।

नागरिकता संशोधन कानून की जहां तक बात है तो उन्‍होंने कई बार इस बारे में खुलकर अपनी बात रखी है। इसको लेकर जब विरोध मुखर हुआ तो उन्‍होंने एक ट्वीट किया था। इसमें उन्‍होंने लिखा था कि डर किस बात का है? भारत बांग्‍लादेश से आए मुस्लिमों को वापस नहीं भेज रहा है। यह केवल गैर कानूनी रूप से भारत में रह रहे शरणार्थियों के लिए है। पश्चिम के कई देश भी अब मुस्लिम शरणार्थियों को अपने यहां पर स्‍वीकार कर रहे हैं। हम सभी इसकी वजह भी जानते हैं।

दैनिक जागरण से

 



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