भारतीय राजदुत श्री मन्जीव सिंह पुरी जी के कार्यकाल समाप्ति पर विदाई समाराेह का आयाेजन फोटो सहित
२६ दिसम्बर, काठमांडू । नेपाल के लिये भारतीय राजदुत श्री मन्जीव सिंह पुरी जी का कार्यकाल समाप्त होने पर आज २६ दिसम्बर को विदाई कार्यक्रम का आयाेजन किया गया । इस कार्यक्रम के आयोजक नेपाल भारत मैत्री समाज के साथ साथ अन्य नौ संस्थाएं नेपाल राष्ट्रीय मारवाड़ी परिषद्, डी ए वी सुशील केडिया विश्व भारती विद्यालय, पतन्जली योगपीठ नेपाल, नेपाल विश्व हिन्दु संघ, नेपाल भारत मैत्री युवा संघ, नेपाल जैन परिषद् काठमांडू, श्री गुरुद्वारा गुरु नानक सत्संग व्यवस्थापन समिति, जैन महिला मण्डली काठमांडू तथा हिमालिनी थे ।
यह कार्यक्रम विशेष रुप से मन्जीव सिंह पुरी जी की विदाई की थी । विशिष्ट अतिथि के रुप में श्री पुरी एवं उनकी सहधर्मिणी श्रीमती पुरी की गरिमामय उपस्थिति थी । मुख्य अतिथि पूर्व प्रधानमन्त्री बाबूराम भट्टराई, तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियाें में राप्रपा के पूर्व अध्यक्ष श्री पशुपति शमशेर जंगबहादुर राणा, पूर्वमन्त्री सुनिल बहादुर थापा, राजपा के तरफ से महेन्द्रराय यादव, पूर्व विदेशमन्त्री प्रकाशसरण महत सुजाता काेईराला भारतीय दूतावास के डीसीएम श्री अजय कुमार तथा आर एस एस के इन्द्रेश कुमार जी की महत्तवपूर्ण उपस्थिति कार्यक्रम में थी ।
इस कार्यक्रम में वक्ताओं ने अपने मन्तव्यो में पुरी जी के कार्यकाल की सराहना करते हुये उन्हें धन्यवाद दिया तथा उनके सुखद भविष्य की कामना की ।
उक्त कार्यक्रम में राप्रपा के पूर्व अध्यक्ष राणा ने कहा कि पुरी जी का कार्यकाल एक सफल कार्यकाल रहा । उन्होंने कहा कि पुरी जी से पहले नेपाल और भारत के बीच सिर्फ चार ही नाका थे अभी सात नाकाएं हैं जो नेपाल मे लिये एक उपलब्धि है । उन्होंने यह भी कहा कि पुरी जी के कार्यकाल में ही रक्सौल से अमलेखगंज पाइपलाइन संभव हो पाया है । भूकम्प के समय भी उन्होंने व्यक्तिगत ढंग से भी नेपालियों की सहायता किया ।
इसी प्रकार पूर्वप्रधानमन्त्री बाबूराम भट्टराई ने कहा कि पुरी जी का कार्यकाल नेपाल में विवाद रहित रहा जो अपनेआप में महत्वपूर्ण है । उन्होंने कहा कि नेपाल का भाग्य भारत से जुडा हुआ है जिसे अलग करना नामुमकिन है ।
कार्यक्रम में पूर्व विदेशमन्त्री महत ने कहा कि राजदुत पुरी जी बहुत ही सहृदयी तथा इमानदार व्यक्ति हैं । वो खुद भी हमेशा हंसते हैं तथा दूसरे को भी टेंसनमुक्त होकर हंसने का सलाह देते हैं । अंत में श्री पुरी ने अपने सम्बाेधन में कहा कि आज मैं अपना काम खत्म कर के जा रहा हूँ कल काेई और आएँगे । यह ताे चलता ही रहता है । पर आप इस मंच से मैं यह जरुर कहूँगा िक नेपाल का भारत से सम्बन्ध कभी समाप्त नहीं हाे सकता है । साथ ही नेपाल ने जाे समृद्ध नेपाल का नारा दिया है इसके लिए उसे स्वंय प्रयास करना हाेगा । भारत हमेशा नेपाल का शुभचिंतक है वहाँ के नागरिक कभी भी नेपाल का अहित नहीं साेच सकते पर यह नेपाल पर निर्भर करता है कि वह इस मित्रता की भावना काे कैसे अपने हित में लाए । नेपाल का भविष्य नेपाल के हाथ में है जिसमें भारत सहयाेग के लिए तैयार है । अंत में सभी सम्बद्ध संस्थाओं ने श्री पुरी काे स्मृति चिन्ह प्रदान किया और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की ।