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रविन्द्र डोगरा
रविन्द्र डोगरा

हिमालिनी  अंक मई 2020 । मेरे जीवन में समाज सेवा ही परमोधर्म है । जी हाँ इसी कथन को चरितार्थ कर रहे हैं हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश के एक युवा जिनका है रविन्द्र डोगरा । वे, पिछले एक दशक से दिल्ली शहर छोड़कर अपने पैत्रिक स्थल करसो गाँव का नाम रोशन कर रहें हैं । वे सैनिक परिवार से हैं कोविड–१९ करोना प्रकरण दौरान लोकडाउन में उन्होंने हजारों की संख्या लोगों को मास्क, ग्लव्स, सेनीटैजÞेर्स, राशन, जीवन रक्षक दवाएं अपने आसपास क्षेत्र में वितरण कर एक अनोखी पहचान बनाई है । इन्हीं उपलब्धियों पर विशेष नजर रखते हुए हमारे दिल्ली ब्यूरो प्रमुख एस.एस.डोगरा ने उनसे संपर्क किया । आपके समक्ष पस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश ः

० आपका जन्म व पढाई कहाँ हुई ?
– मेरा जन्म तो हिमाचल में ही हुआ लेकिन मेरी पढाई दिल्ली में हुई क्योंकि मेरे पिता भारतीय सेना में दिल्ली ही में कार्यरत थे ।
० बचपन में आपकी क्या अभिलाषा थी ?
– अपने पिता की भांति मैं भी आर्मी ऑफिसर बनना चाहता था लेकिन अब समाजसेवक बनकर बहुत खÞुशी महसूस होती है ।

० आपने दिल्ली जैसे बड़े शहर को छोड़कर गाँव में बसने का निर्णय क्यों लिया ?
– बड़े शहरों में इंसानियत मर चुकी है और सबसे बड़ी बात मैं अपने पैत्रिक स्थल पर रहकर असहाय एवं जरूरतमंद गरीब लोगों की सेवा करना चाहता था ताकि मैं अपने ज्ञान एवं अनुभवों के आधार पर उन्हें मूलभुत आवश्यकताओं को मुहैया करवाने में सहायक साबित हो सकूँ ।

० हिमाचल प्रवास के दौरान, अपने कार्यों एवं गतिविधियों पर प्रकाश डालिए ?
– मैंने लगभग एक दशक में सैकड़ों लोगों को वृद्धावस्था पेंसन, विधवा एवं दिव्यंग पेंसन लगवाई जिन्हें पिछले ३०–४० वर्षों से राज्य एवं केंद्र सरकार ने अनदेखा किया हुआ था । साथ ही सैनिक विधवाओं तथा बिना माता–पिता की अनाथ लड़कियों शादियाँ करवाने में विशेष योगदान किया । सरकारी योजनाओं के तहत ग्रामीण इलाको में सड़क निर्माण, जल(आपूर्ति, परिवहन सुविधाओं को प्रशासन एवं सरकार के दरवाजे खटखटाते हुए साकार किया ।

० आप हिमाचल प्रदेश की मुख्य समस्याएँ बताएँ ?
– सन १९७१ से लेकर आज तक हमारा राज्य स्किल डेवलपमेंट, खेलों के विकास, युवाओं को रोजगार दिलाने, पर्यटन–विकास, शौर्य एवं जल स्रोतों का सदुपयोग, उपजाऊ भूमि होने के बावजूद किसानों के माध्यम से अन्न, हर्बल, फलों को राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने में पूरी तरह से नाकामयाब रहा है । इन विषयों पर आज भी अगर गंभीरतापूर्वक कदम उठाकर लागू किया जाए तो हमारा राज्य भारत का न.ज्ञ हो सकता है ।

० युवाओं के लिए क्या सन्देश देना चाहेंगें ?
– सभी युवाओं से मेरा विनम्र आग्रह है के वे नशाखोरी एवं अहम् को त्यागें । साथ ही, वे, बिना किसी स्वार्थ के हर व्यक्ति की मदद एवं इज्जत करें. और नारी का भी सम्मान करें ।

० आप अपने जीवन यापन हेतु कैसे व्यवस्था करते हैं ?
– ईश्वर की कृपा एवं अपनी मेहनत से मैं खेती–बाड़ी, कुछ पुरानी बचत, विदेशी फंडिंग से ही असहाय–जरुरतमंदों की सेवा रूपी जरूरी खर्चों की व्यवस्था कर पाता हूँ । सौभाग्यवश, इंग्लैण्ड की निवासी सुश्री तहमीना मिजर्Þा सहित कुछ आसपास राज्यों के निवासी भी व्यक्तिगत तौर पर मेरे मिशन को सुचारू रूप से चलने में आर्थिक एवं नैतिक सहायता करते रहते हैं ।

० पहाड़ी इलाके में ग्रामीणों के लिए रोजगाररकमाई के अवसर कैसे उत्पन्न किए जा सकते हैं ?
– देखिए डोगरा जी, पहाड़ी क्षेत्र में जीवन बड़ा कठोर होता है और ऐसे में ग्रामीण इलाकों में सरकार को विशेष रूप से किसानों में विश्वास पैदा करना चाहिए कि वे उत्तम कोटि का अनाज पैदा कर सकें जिसे सरकार उचित दामों पर खÞरीदे । जिससे ग्रामीणों को गाँव में रहकर भी कमाई हो सकती है । और सरकार युवाओं में स्किल डेवलपमेंट, आई टी, इलेक्ट्रॉनिक्स, मैकेनिकल, सोलरएनर्जी, बागवानी, पर्यटन, पुष्प एवं फल उत्पादन, मीडिया, फिल्म जैसे उपयोगी विषयों में प्रशिक्षण केंद्र विकसित करने चाहिए । तथा ट्रेनिंग पूरी करने के बाद विषय विशेष के लिए व्यवसाय स्थापित करने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान कर प्रोत्साहित करना चाहिए. यदि उपरोक्त सुझावों को सच में लागू कर दिया जाए तो स्वतः ही हिमाचल राज्य भारत का सबसे समृद्ध एवं खुशहाल राज्य बन सकता है ।

० भविष्य में आपकी क्या योजनाएं हैं ?
– मैं, जल्द ही, कुछ सहयोगियों के साथ मिलकर डेयरी एवं पÞmूड प्रोसेसिंग योजनाओं को स्थापित करने जा रहा हूँ । जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा और ग्रामीण क्षेत्र में आर्थिक सम्पन्नता भी आएगी । मेरा जीवन लक्ष्य ही हिमाचल का सर्वागीण विकास है ।



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