Fri. Mar 29th, 2024

midday_mealबिहार: मिड डे मील और 22 अहम सवाल । सरकारी विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ने के लिए मिड डे मील सरकार की महत्वकांक्षी योजना है ।
बिहार में छपरा जिले के एक सरकारी स्कूल में मिड डे मील खाने के बाद 23 बच्चों की मौत ने इस योजना को लागू करने के तौर तरीकों पर कई सवाल उठाए हैं ।
आम लोगों में जहां इसे लेकर रोष है, वहीं कुछ ऐसे सवाल हैं, जिनके जवाब सब जानना चाहते हैं । कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब मे प्रस्तुत है बीबीसी व्दारा तैयार किया गया बिस्तृत रिपोर्ट ।
बच्चों ने क्या खाया था?बच्चों ने आलू और सोयाबीन की तरी वाली सब्ज़ी और चावल खाए थे ।
खाने में क्या मिला था?
शुरुआती ख़बरों में पता चला है कि सब्ज़ी में ज़हरीला कीटनाशक ऑर्गेनो फॉस्फोरस मिला हुआ था । आशंका है कि जिस तेल में यह सब्ज़ी बनी, ये पदार्थ उसमें मिला हुआ था । बच्चों के शुरुआती लक्षण और उल्टी की गंध से डॉक्टरों को लगा कि यह ऑर्गेनो फॉस्फोरस का असर हो सकता है ।
ज़हर वाले बर्तन में खाना बना या तेल में ज़हरीला पदार्थ था?midday eating
खाना बनाने वाली महिला मंजू का कहना है कि तेल में
ज़हरीला पदार्थ था । जब उन्होंने कड़ाही में तेल डाला तो तेल का रंग काला हो गया और तेज़ गंध आई । उन्हें शक हुआ लेकिन फिर भी उन्होंने सब्ज़ी बना दी ।
मंजू के पास तेल कहाँ से आया?अध्यापिका मीना देवी ने खाना बनाने के लिए पाँच लीटर वाले कंटेनर से ढ़ाई सौ मिली लीटर तेल निकाल कर उन्हें दिया था ।
ऑर्गेनो फॉस्फोरस क्या है?
खेतों में फसलों को कीड़े मकोड़ों से बचाने के लिए इसका प्रयोग होता है । मतलब इसका प्रयोग कीटनाशक के तौर पर होता है । यह देहाती इलाकों में दुकानों पर आसानी से मिल जाता है ।
बच्चों के खाने में ज़हर कैसे पहुँचा?
इसका कोई स्पष्ट जवाब समाने नहीं आया है । बिहार के शिक्षा मंत्री पीके शाही का कहना है कि लगता है कि मशरख ब्लॉक में अध्यापिका के पति अर्जुन राय की दुकान से यह तेल आया होगा । लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हुई है ।
क्या प्रधान अध्यापिका के पति की दुकान में यह रसायन बिकता था?
प्रधान अध्यापिका के पति अर्जुन राय ने इस बात का खंडन किया है कि उनकी दुकान से तेल या कोई और सामान आया । उन्होंने कहा कि उनकी ऐसी कोई दुकान नहीं है जहाँ वो खुद सामन बेचते हों । उनकी तरफ से कहा गया है कि उन्होंने अपनी दुकान किराए पर दे रखी थी । हो सकता है कि वहाँ से किसी ने सामान खरीदा हो ।
क्या बच्चों ने स्वाद में गड़बड़ी की शिकायत की थी?
बच्चों ने कहा था कि खाने में कुछ गड़बड़ है ।  इस शिकायत पर खाना बनाने वाली महिला मंजू ने भी खाना चखा । उनकी भी तबियत खराब हो गई ।
फिर भी खाने को क्यों नहीं फेंका गया?शिकायत मिलने पर खाना फेंक दिया गया । थोड़ा ही खाना खाने से बच्चों की तबियत खराब हो गई । इससे लगता है कि उसमे तेज़ ज़हर था ।
फेंके गए खाने का क्या हुआ?
ऐसी ख़बरें मिली हैं कि फेंके गए खाने को खाने से दो कुत्ते, दो कौए और एक गाय मर गई ।
क्या विद्यालय में कोई प्राथमिक उपचार किट थी?
नहीं. कोई प्राथमिक उपचार किट नहीं थी.
क्या बच्चों को उचित इलाज मिल पाया?midday_meal_death
स्थानीय पत्रकार अमरनाथ तिवारी ने बताया कि हालत बिगड़ने पर बच्चों को गाँव के ही उपचार केंद्र ले जाया गया ।  वहाँ पर डॉक्टर और नर्स मौजूद नहीं थे । बच्चों के माता पिता स्कूटर और मोटरसाइकल जैसे अपने निजी वाहनों पर ही उन्हें छपरा ले गए । वहाँ डॉक्टरों ने बच्चों की गंभीर हालत देखते हुए उन्हें पटना रेफर कर दिया । छपरा से बच्चों को एम्बुलेंस में पटना अस्पताल ले जाया गया ।
क्या प्रधानाध्यापिका पर कोई कारवाई हुई?
प्रधान अध्यापिका मीरा देवी को शिक्षा विभाग ने निलंबित कर दिया है । मशरख थाने में उनके ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है ।
वह अब कहाँ है?
उनके घर पर ताला लगा है । वह अपने पूरे परिवार के साथ ग़ायब हैं । गाँव वाले प्रधान अध्यापिका को ही पूरे मामले के लिए ज़िम्मेदार मान रहे हैं । हो सकता है कि वह डर कर गाँव से चली गई हों । अभी किसी को नहीं पता कि वह कहाँ हैं ।
विद्यालय में कितने शिक्षक थे?विद्यालय में एक ही शिक्षिका थीं । लगभग दो साल पहले आईं अध्यापिका भी बच्चों को पढ़ाती थीं । विद्यालय की शिक्षिका तीन महीने से मैटरनिटी लीव पर हैं इसलिए वह आतीं नहीं थीं । केवल प्रधान अध्यापिका ही सभी बच्चों को पढ़ाती थीं । शिक्षक ना होने की वजह से वहाँ पढाई का कोई स्तर नहीं था । बच्चे केवल मिड डे मील और मुफ़्त किताबों के लालच में वहां आते थे.
बच्चों को दफ़नाने से पहले माता- पिता से पूछा?
पोस्टमॉर्टम के बाद बच्चों के शव वापस मिलने पर उनके अभिभावकों ने ही उन्हें दफ़नाया ।
पुलिस जाँच में क्या छानबीन हो रही है?
जाँच के बिंदुओं को सरकार ने स्पष्ट नहीं किया है । केवल यह कहा गया है कि सारण प्रमंडल के डीआईजी पुलिस और कमिश्नर मिल कर काम करेंगे ।
नीतीश सरकार ने अब तक क्या किया?
राज्य सरकार ने तीन क़दम उठाए । पहला, प्रत्येक मृतक के परिवार को दो -दो लाख रुपए का मुआवज़ा दिए जाने की घोषणा की । दूसरा, डीआईजी पुलिस और कमिश्नर को संयुक्त जाँच सौंप दी गई है । तीसरा, छपरा और मशरख में बेहतर इलाज का इंतज़ार कर रहे बच्चों को घटना के करीब 12 घंटे बाद पटना लाया गया ।
छपरा या सारण?
दोनों एक ही जगह के नाम हैं । पहले छपरा कहा जाता था अब आधिकारिक तौर पर इसका नाम सारण हो गया है ।
प्रशासनिक चूक या राजनीतिक षड्यंत्र?बीबीसी संवाददाता मणिकांत ठाकुर के अनुसार यही माना जा रहा है कि समय से इलाज कराने में सरकार विफल रही । दिन में 12 बजे के आसपास बच्चों ने खाना खाया ।
उन्हें पटना अस्पताल में ले जाने का फ़ैसला लेने में सरकार को 12 घंटे लग गए । अगर तत्काल फैसला ले लिया जाता तो शायद इतने बच्चे नहीं मरते । प्रशासन की तरफ से हुई देरी के कारण लोगों में रोष है ।
समझा जाता है कि अपनी ज़िम्मेदारी से बचने के लिए शिक्षा मंत्री ने जाँच पूरी हुए बिना राजनीतिक षड्यंत्र की बात कही ।
राजनीतिक षड्यंत्र की बात कैसे आई?
चूंकि प्रधान अध्यापिका के परिवार के लोग और उनके पति विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल के कार्यकर्ता हैं, इस कारण शिक्षा मंत्री ने राजनीतिक साज़िश की आशंका जताई ।
आरजेडी का क्या कहना है?
इस दल ने चुनौती दी है कि नीतीश सरकार यह साबित करे कि यह आरजेडी की साज़िश है । आरजेडी ने कहा है कि एक तरफ तो सरकार अपने अधिकारियों से जाँच करा रही है और दूसरी तरफ उसके मंत्री जाँच पूरी होने से पहले ही कह रहे हैं कि यह विपक्ष की साज़िश है । ऐसी स्थिति में जाँच निष्पक्ष कैसे हो पाएगी ।वर्तिका



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