मधेश के किसानआधुनिक खेती करें : अर्थ शास्त्री श्री गोविंद साह
जनकपुरधाम, मिश्रीलाल मधुकर । मधेश में आधुनिक खेती की आवश्यकता है। किसान सब्जी,फल तथा जड़ी बूटी की खेती करें।इससे आमदनी अधिक होगा। उपयुक्त बातें नेपाल के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री श्री गोविन्द साह ने गुरुवार को सोडेप कार्यालय जनकपुरधाम में पत्रकारों को जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि धान, गेंहू,तेलहन,दलहन आज से 30बर्ष पहले धनुषा, महोतरी, सिरहा सहित मधेश प्रदेश में खूब उत्पादन होता था। लेकिन आज भारत से चावल मंगाना पड़ता है चूरिया पहाड़ के दोहन से नदियां सूख रही है।सदानीरा कमला,कोशी,बागवती सहित अन्य नदियों के जलस्तर में कमी आ गयी है। कमला नदी धनुषा,सिरहा जिला के लिए किसान के लिए बरदान है।आज कमला नदी केबजूद पर खतरा उत्पन्न हो गया है। खेती के लिए जल और मल(खाद) चाहिए। नेपाल में दोनों का अभाव है।40साल से नेपाल में मल(खाद) कारखाना निर्माण की बात चल रही है, लेकिन अभी तक नहीं बन सका है। यही स्थिति मैन पावर का है। 40लाख युवा विदेश में काम करने चले गये है फिर खेती कौन करेगा? अगर सब्जी,फल तथा जड़ी बूटी की खेती की जाय तो किसानों का आय अधिक होगा।इसके लिए किसानों को प्रशिक्षित करना होगा।डा.गोविंद साह ने कहा कि मधेश की जमीन उपजाऊ है लेकिन इसको बैज्ञानिक पद्धति से खेती की जाए तो नेपाल एक संपन्न राष्ट्र बन सकता है। इसलिए सरकार मल (खाद)औरजल का समुचित प्रबंध करें । मौके पर मदन भंडारी स्वास्थ्य विज्ञान प्रतिष्ठान के प्राण.डा.लोकेन्द्र यादव, सामाजिक अभियंता चांदनी साह मौजूद थीं।मधेश के किसानआधुनिक खेती करें -पर्यावरणविद श्री गोविंद साह। मधेश में आधुनिक खेती की आवश्यकता है।किसान सब्जी,फल तथा जड़ी बूटी की खेती करें।इससे आमदनी अधिक होगा। उपयुक्त बातें ने मेंपाल के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री श्री गोविन्द साहने गुरुवार कोसोडेप कार्यालय जनकपुरधाम में पत्रकारों को जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि धान, गेंहू,तेलहन,दलहन आज से 30बर्ष पहले धनुषा, महोतरी, सिरहा सहित मधेश प्रदेश में खूब उत्पादन होता था। लेकिन आज भारत से चावल मंगाना पड़ता है चूरिया पहाड़ के दोहन से नदियां सूख रही है।सदानीरा कमला,कोशी,बागवती सहित अन्य नदियों के जलस्तर में कमी आ गयी है। कमला नदी धनुषा,सिरहा जिला के लिए किसान के लिए बरदान है।आज कमला नदी केबजूद पर खतरा उत्पन्न हो गया है। खेती के लिए जल और मल(खाद) चाहिए। नेपाल में दोनों का अभाव है।40साल से नेपाल में मल(खाद) कारखाना निर्माण की बात चल रही है, लेकिन अभी तक नहीं बन सका है। यही स्थिति मैन पावर का है। 40लाख युवा विदेश में काम करने चले गये है फिर खेती कौन करेगा? अगर सब्जी,फल तथा जड़ी बूटी की खेती की जाय तो किसानों का आय अधिक होगा।इसके लिए किसानों को प्रशिक्षित करना होगा।डा.गोविंद साह ने कहा कि मधेश की जमीन उपजाऊ है लेकिन इसको बैज्ञानिक पद्धति से खेती की जाए तो नेपाल एक संपन्न राष्ट्र बन सकता है। इसलिए सरकार मल (खाद)औरजल का समुचित प्रबंध करें । मौके पर मदन भंडारी स्वास्थ्य विज्ञान प्रतिष्ठान के प्राध्यापक डा.लोकेन्द्र यादव, सामाजिक अभियंता चांदनी साह मौजूद थीं।