कोई चला गया, कोई जाएगा, कोई यहि डेरा जमाके बैठेगा : कौशल गोपालवंशी
#सब_साता_मोहका_खेला
कोई चला गया, कोई जाएगा, कोई यहि डेरा जमाके बैठेगा ।
कोई गुलामीको गाला लगाएगा, कोई अपनी पहचानको खोर मे डालेगा ।
कोई बैठा तयारी अपने घरमे लगाके मेला, सब साता मोहका खेला ।
कोई धोती छोडके बन गए है टोपी बाला, सब साता मोहका खेला।
अब उठजा वीर तुम एकेला, फिरसे उपर उठाना है अपना विचारधारा ।
कभी दक्षिणपन्थी तो कभी उतरपन्थी, कबतक लेगा दुस्रोकि सहारा ।
अब चल निकल जा वीर एकेला, फिरसे लागुकर्ना है अपना विचारधारा ।
कोन दिया है कितना धोका , छोडदो यिन सबका लेखाजोखा।
संघर्ष हि है एकमात्र अपना काला, सब साता मोहका खेला ।
जब बनाना है काटो पर रस्ता, तब क्यौ चाह्तो हो यात्रा सस्ता ।
हर घरमे बैठा है घुसपैठा, तब क्यो नहि रख्तो घरमे लाठिभाला।
नाजाने कितना और खाना है धोका, अब तो हुवा सिर्फ नौ बार धोका।
चल छोडो यिन सबका कारणामा , सब साता मोहका खेला ।
जब रचना है मधेस इतिहास, तब क्यो होतेहो यित्ने मे ह्रास ।
जब मान्ते हो लेनिन मार्क्स और मण्डेला,तो क्यो नहि पहचान्ते हो हिटलर और राना
चल जानेदो यिन लोभीपापीका मेला , सब साता मोहका खेला।


९८५१२३८७०८
लेखक: कौशल गोपालवंशी
९८५१२३८७०८