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चीनी एयरलाइन कंपनियों पर नेपाल के कर (वैट) का 400 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया

काठमान्डु 30नवम्बर

नेपाल में उड़ान अवतरण करने वाले चीनी एयरलाइन कंपनियों द्वारा नेपाल के मूल्य वर्धित कर (वैट) का 400 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया है जिसे नहीं देने के लिए विभिन्न तरीके से सरकार में लॉबिंग की जा रही है। काठमांडू स्थित चीनी दूतावास ने नेपाल सरकार को पत्र लिख कर सरकार द्वारा लगाए गए वैट को ही नहीं मानने का संकेत दिया है।

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पिछले वित्तीय वर्ष विक्रम संवत 2080/81 में सरकार द्वारा लाये गये बजट (वित्तीय अधिनियम 2080) में हवाई सेवाओं पर वैट का प्रावधान लागू किया गया था। उस व्यवस्था के बाद आंतरिक राजस्व विभाग ने एक अधिसूचना जारी कर सभी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय हवाई सेवाओं पर भी वैट लगाने की जानकारी देते हुए रजिस्टर्ड करने को कहा था।

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वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता महेश भट्टराई के अनुसार नेपाल आने वाली सभी अंतरराष्ट्रीय विमान कंपनियां पंजीकृत हो गईं और कर भी देने लगीं लेकिन नेपाल में उड़ान अवतरण करने वाली एक भी चीनी विमान कंपनियों ने न तो वैट में अपने आपको रजिस्टर्ड करवाया और न ही टैक्स जमा किया है। मंत्रालय के प्रवक्ता ने दावा किया है कि नेपाल द्वारा लगाए गए कानूनों को मानना तो दूर चीनी विमान कंपनी इस प्रावधान को ही हटाने के लिए पैरवी कर रही है।

वर्तमान में एयर चाइना, चाइना साउदर्न एयरलाइंस, चाइना ईस्टर्न एयरलाइंस और सिचुआन एयरलाइंस चीन से सीधे नेपाल में उड़ान अवतरण कर रही है। आंतरिक राजस्व विभाग का कहना है कि जब से वैट लागू किया गया है तब से अब तक चारों चीनी एयरलाइंस का करीब 400 करोड़ रूपये टैक्स हो गया है जिसे अब तक जमा नहीं किया गया है।

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वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि नेपाल में चीनी दूतावास ने पत्र लिखकर नेपाली सरकार पर अपने देश की एयरलाइन कंपनियों पर वैट न लगाने का दबाव बनाना शुरू किया है। चीनी दूतावास के तरफ से इस बार बजट से पहले पत्र भेजकर कहा था कि अंतरराष्ट्रीय हवाई टिकटों पर वैट बुनियादी सिद्धांतों और कानूनों के खिलाफ है। इतना ही नहीं चीनी दूतावास के तरफ से बार-बार अपने देश की एयरलाइन कंपनियों को पत्र लिखकर वैट में रजिस्टर्ड नहीं होने और वैट के एवज में दिए जाने वाले कर का भुगतान नहीं करने को कह रहा है।

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चीन की एयरलाइन कंपनियों के नेपाल स्थित स्थानीय एजेंटों का कहना है कि सरकार के तरफ से बार बार तकादा आने पर उन्होंने अपने अपने संबंधित एयरलाइन कंपनियों को इसके लिए आग्रह कर रहे हैं पर चीनी दूतावास के दबाव के कारण अब तक वैट में रजिस्टर्ड भी नहीं हो पाया है।

 

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