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पुतिन ने तालिबान को मान्यता दी, क्या अब भारत की बारी ?

मॉस्को, 4 जुलाई .

रूस तालिबान सरकार को औपचारिक मान्यता देने वाला पहला देश बन गया. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के ऑर्डर से मॉस्को ने तालिबान को अपनी प्रतिबंधित संगठनों की सूची से हटा दिया है. इसके साथ ही नए युग की शुरुआत हो गई है. सोवियत संघ के समय अफगानिस्तान भंवर में फंस गया था. ये रूस और अमेरिका के बीच शीत युद्ध का अड्डा बन गया था. तब सोवियत संघ ने अपनी आर्मी वहां भेज दी थी. इससे निपटने के लिए अमेरिका ने पाकिस्तान के सहयोग से मुजाहिदीन तैयार किए. जब रूसी सेना वहां से हट गई तो अफगानिस्तान को इसका परिणाम झेलना पड़ा. दशकों तक आपसी नस्लीय लड़ाई में पिसने का फायदा उठाते हुए पाकिस्तान ने तालिबान को उकसाया और अफगानिस्तान पर उसका कब्जा हो गया. वर्ल्ड ट्रेड टॉवर पर आतंकी हमले के बाद अमेरिका वापस अफगानिस्तान लौटा क्योंकि उसी का जिन्न उसे खा रहा था. तालिबान तो हार गया लेकिन अमेरिका जीत नहीं सका और 2020 में उसने आर्मी बुला ली और उसी दिन तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया.
अब पुतिन के इस फैसले को मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है. रूस से भारत की दोस्ती जगजाहिर है. ऑपरेशन सिंदूर के समय पाकिस्तान के दावों पर तालिबान ने भी भारत का साथ दिया. बिक्रम मिस्री तालिबान विदेश मंत्री से मिल भी चुके हैं. पुतिन के फैसले के बाद भारत भी तालिबान को मान्यता दे सकता है.
रूसी विदेश मंत्रालय ने बताया कि उसने अफगानिस्तान के नए राजदूत गुल हसन हसन से प्रमाण पत्र प्राप्त किया है. मंत्रालय ने कहा कि अफगान सरकार की आधिकारिक मान्यता द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देगी.
अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया और तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए इसे “अन्य देशों के लिए एक अच्छा उदाहरण” कहा. तालिबान ने अगस्त 2021 में अमेरिकी और नाटो बलों की वापसी के बाद अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था. तब से, वे अंतरराष्ट्रीय मान्यता पाने की कोशिश कर रहे हैं जबकि अपने सख्त इस्लामी कानून को लागू कर रहे हैं.
अब तक किसी भी देश ने तालिबान को औपचारिक मान्यता नहीं दी थी, लेकिन तालिबान ने कई देशों के साथ उच्च स्तरीय बातचीत की है और चीन और संयुक्त अरब अमीरात सहित कुछ देशों के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए हैं.
फिर भी, तालिबान सरकार महिलाओं पर प्रतिबंधों के कारण वैश्विक मंच पर अलग-थलग रही है.हालांकि तालिबान ने 1996 से 2001 तक अपने पहले शासनकाल की तुलना में अधिक उदार शासन का वादा किया था, लेकिन 2021 के अधिग्रहण के तुरंत बाद महिलाओं और लड़कियों पर प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया.
महिलाओं को अधिकांश नौकरियों और सार्वजनिक स्थानों, जैसे पार्क, स्नानगृह और जिम से प्रतिबंधित कर दिया गया है, जबकि लड़कियों को छठी कक्षा से आगे की शिक्षा से वंचित कर दिया गया है.
रूसी अधिकारियों ने हाल ही में अफगानिस्तान को स्थिर करने में मदद के लिए तालिबान के साथ जुड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया है और अप्रैल में तालिबान पर प्रतिबंध हटा दिया.
रूस के अफगानिस्तान में राजदूत, दिमित्री झिरनोव ने राज्य चैनल वन टेलीविजन पर बताया कि तालिबान सरकार को आधिकारिक मान्यता देने का निर्णय राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की सलाह पर लिया था.

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