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वर्तमान संविधान में महिला अधिकार : क्या खोया क्या पाया

काठमान्डौ, २६ फरवरी



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हिमालिनी हिन्दी मासिक पत्रिका ने नया बानेश्वर काठमान्डौ स्थित मसला काटेज में अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर अपने समय सन्दर्भ विचार श्रृंखला की अगली कड़ी में वर्तमान संविधान में महिला अधिकार क्या खोया क्या पाया विषयक अन्तक्रिया आयोजित किया ।

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कार्यक्रम के मुख्य वक्ता अधिवक्ता दीपेन्द्र झा ने वर्तमान संविधान में महिलाओं के अधिकार और अंतरिम संविधान में जो अधिकार उन्हें प्राप्त था उसकी व्याख्या की और कहा कि वर्तमान संविधान महिलाओं के अधिकार के सन्दर्भ में अत्यन्त संकुचित है जिनकी पुनः व्याख्या आवश्यक है । कई मायनों में यह संविधान पश्चगामी है । इसी तरह नेपाल टेलीविजन की पत्रकार आरती चटौत ने कहा कि वर्तमान संविधान ने महिलाओं के अधिकार की कटौती की है किन्तु घबराने की बात नहीं है बल्कि आवाज बुलन्द करने की बात है ताकि उन अधिकारों को प्राप्त किया जा सके महिला अधिकार का सवाल सिर्फ महिलाओं से नहीं मानवता से है इसके लिए सबको एकसाथ आना होगा । राजनीतिज्ञ सरिता गिरि ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि महिलाएँ सदैव यहाँ दूसरे दर्जे की नागरिक ही मानी जाएगी और यह संविधान नई पीढ़ी को बरगलाने वाला है । इतना ही नहीं अंगीकृत नागरिक को अगर राज्य सम्मान नहीं देता तो उसे उसका घर भी नकार सकता है ।

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सशक्ति नेपाल की अध्यक्ष पद्मिनी प्रधानांङ्ग ने एक साथ हर वर्ग की महिलाओं के लिए संविधान में अधिकार की बात कही और कहा कि महिला हर क्षेत्र में नकारी जाती रही हैं इसके लिए आवाज उठाने की आवश्यकता है उन्होंने कहा कि संसद मे जो महिला प्रतिनिधि हैं उन्हें इस सन्दर्भ में आवाज उठाना चाहिए था किन्तु अफसोस कि वो ऐसा नहीं कर पायीं ।

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इसी तरह सामाजिक कार्यकर्ता मीना स्वर्णिकार, गायिका कोमल वली, संघीय समाजवादी फोरम की निर्मला यादव, नेतृ संघीय समाजवादी फोरम की मंजु अंसारी इन सबने अपने अपने महत्वपूर्ण विचार रखे । कार्यक्रम में तमरा के विदेश सचिव देवेश झा, हिमालिनी की स्तम्भ लेखिका मधु झा, थर्ड एलायंस के रणधीर चौधरी, स्वतंत्र पत्रकार प्रकाश उपाध्याय, नेतृ इ्रदिरा झा, डा. रीना यादव, आध्यात्मिक गुरु विश्वनाथन, नवनारी की सम्पादक जानुका ढकाल, पत्रकार अमरेन्द्र यादव, विभिन्न मीडिया से सम्बद्ध लोगों की उपस्थिति थी । कार्यक्रम का संचालन हिमालिनी संपादक डा.श्वेता दीप्ति ने किया और कार्यक्रम का समापन हिमालिनी की महाप्रबन्धक कविता दास द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ ।

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