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यहां की जनता को उमेश व उपेन्द्र को चुनना हैं, मै विश्वस्त हुँ कि जनता मुझें हि चुनेगी: उमेश यादव

नेपाल में प्रतिनिधि व प्रदेश सभा के चुनावों की रणभेरी बज चुकी है। और सभी दल अपनी-अपनी चुनावी तैयारियों में जुट चुकी है। इसी तैयारी के दौरान सप्तरी के क्षेत्र 2 से वाम गठबंधन के प्रत्याशी एवं पूर्व मंत्री ‘उमेश याादव’ से चुनावी रणनीति के बारे में विस्तार से बातचीत की। प्रस्तुत है ‘उमेश यादव’ से हुए बातचीत के प्रमुख अंश :


देश की राजनीति लगभग दो दिशाओं में बंट चुकी है एक है वामपंथी तो दूसरा लोकतांत्रिक। इसका कितना असर इस चुनाव पर पड़ने वाला है?
इसमें मुख्यतः दो दर्शन है एक मार्क्सवादी तो दूसरा गैर मार्क्सवादी दर्शन। मार्क्सवादी वैज्ञानिक समाजवाद की ओर ले जाती है तो गैर मार्क्सवादी साम्राज्यवाद में ले जाकर पूंजी का केंद्रीकरण कर संसार में गरीबी बढ़ाती है। और ये स्वाभाविक है। जिसका असर इस चुनाव पर तो अवश्य ही पड़नेवाला है और हो भी रहा है। वामपंथ में आपको वंशवाद नजर नहीं आएगा वहीं लोकतांत्रिक गठबंधन में परिवारवाद व वंशवाद साफ दिखता है।

हालिया स्थानीय चुनाव में माओवादी केन्द्र तीसरे स्थान पर रही, क्या यह भी एक कारण रहा माओवादी केन्द्र का वाम गठबंधन में शामिल होने का?

नहीं, किसी भी चीज के विकास एवं विनाश में आंतरिक कारण प्रमुख होता है एवं बाहरी सहायक के रूप में काम करता है। स्थानीय चुनावों में माओवादी के तीसरे स्थान पर प्रमुख रहने का कारण था – पार्टी संगठन सुदृढ़ नहीं रह सका, पार्टी कमिटी का नियमित रूप से बैठक नहीं हो पाना। इसके अलावा माओवादी कार्यकाल में जनता के हित में जो भी कार्य हुए, उसका उचित प्रकार से प्रचार-प्रसार नहीं हो पाया, उल्टे एक-दूसरे पर आरोप लगाकर समय बिता दिया गया। जिसके कारण जनता दिगभ्रमित हो गयी और जनता निराश हो गयी। लेकिन तीसरे स्थान पर रहने के बावजूद माओवादी को जो वोट मिले, उससे हमलोगों का उत्साहवर्धन हुआ।

यह भी चर्चा है कि प्रतिनिधि व प्रादेशिक सभा के चुनाव परिणाम पश्चात् माओवादी केन्द्र एमाले पार्टी में विलय करने जा रही है। यह कितना सच है?

नहीं, हमें लगता है भ्रम और झूठ-फरेब की खेती हो रही है। हमलोग पार्टी में विलय होने नहीं जा रहे हैं। चुनाव के बाद नेकपा एमाले और नेकपा माओवादी दोनों का विघटन होगा और एक ही कम्युनिस्ट केन्द्र का निर्माण होगा। यह एक खुशखबरी की बात है। माओवादी के इतिहास को देखेंगे तो पता चलेगा कि माओवादी पार्टी चार छोटे-छोटे कम्युनिस्ट पार्टी मिलकर नेकपा एकता केन्द्र का निर्माण हुआ था। और नेकपा एकता केन्द्र बनकर के जनयुद्ध की तैयारियां हुयी थी। उसके बाद भी नेकपा एकता केन्द्र का विघटन करके नेकपा माओवादी बना था। और उस आधार पर हमलोग ज्ञण् वर्षीय युगान्तकारी जनयुद्ध की लड़ाई लड़े थे। इसके बाद शांति-प्रक्रिया मे आकर एकता केन्द्र के साथ हमलोगों की एकता हुयी और एकीकृत नेकपा माओवादी बनाए। वहां पर भी टूट-फूट व विभाजन हुआ। उसके बाद भी फिर हमलोग एकीकृत हुए। कहने का यथार्थ यह कि जब(जब हमलोग विघटित होकर नया पार्टी बनाते हैं तो नया-नया चीज भी हासिल करते हैं और लड़ाई लड़कर भी जनता को सार्वभौम और सत्ता संपन्न बनाते हैं। और अभी माओवादी केन्द्र और एमाले दोनों ही पार्टी का विघटन करने जा रही है और विघटन के बाद जो नया पार्टी बनाएंगे, वह इस देश में वैज्ञानिक समाजवाद लाने का काम करेगी।

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आप सप्तरी के क्षेत्र नं. 2 से प्रतिनिधि सभा के प्रत्याशी हैं। और आपके विपक्ष में लगभग डेढ़ दर्जन उम्मीदवार हैं। ये उम्मीदवार आपके लिए कितना बड़ा चुनौती है?

संख्यात्मक रूप से हमारे विपक्ष में इतने सारे उम्मीदवार हैं। वैसे ये चुनाव मूलतः दो ध्रुवों के बीच ही रूख करेगा। एक तरफ यानि वामगठबंधन की ओर से मेरी उम्मीदवारी एवं संघीय समाजवादी फोरव और राजपा के संयुक्त गठबंधन की ओर से उपेन्द्र जी रहेंगे। बीच में और जो कोई उम्मीदवार है, उनका कोई खास भूमिका नहीं रहेगा। यहां की जनता को या तो उमेश यादव को चुनना है या फिर उपेन्द्र यादव को। और मुझे लगता है कि यहां की जनता उमेश यादव को ही चुनेगी।

बागी, स्वतंत्र उम्मीदवारों के अलावा और भी दलों के उम्मीदवार आपके सामने होंगे ऐसे में बागी उम्मीदवार को लेकर आपकी क्या सोच है?

वाम गठबंधन की ओर से कोई बागी उम्मीदवार नहीं है। उनलोगों में बागी जो हैं, वो उन्हें ही क्षति करेगी।

आपके विरूद्ध संघीय समाजवादी फोरम के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र यादव खुद मैदान में है। ऐसे में आप दोनों के बीच कितना कड़ा मुकाबला होने जा रहा है?

मुकाबला तो कड़ा ही है। मैं इसका अवमूल्यन नहीं करता हूं। यह नहीं भूलना चाहिए कि इस क्षेत्र से राष्ट्रीय अध्यक्ष की भी हार हुयी है। इससे पहले भी मोरंग से उपेन्द्र यादव जी चुनाव लड़े थे, जिसमें वो हार गए थे, उस समय भी वो राष्ट्रीय अध्यक्ष ही हुआ करते थे। अब सवाल उठता है कि मोरंग व सुनसरी की जनता को छोड़कर वो क्यूं भागे? वहां की जनता की भावनाओं से आदरणीय उपेन्द्र जी ने खिलवाड़ किया। इसलिए वहां की जनता को फेस करने में उपेन्द्र जी के मन में डर समा गया।

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विक्रम संवत 2070 में जब मैंने चुनाव लड़ा था तो जनता से तीन-चार अपील की थी। ज्ञ. मैं संविधान सभा में जाकर अपना रोल अदा करूंगा और संविधान निर्माण के पक्ष में मेरी क्रियाशीलता रहेगी, वो काम मैंने किया है।

मैंने कहा था कि मैं जनता की निगरानी में रहूंगा। इससे पहले यहां से जो भी जनप्रतिनिधि हुए, वो चुनाव में ही केवल दर्शन दिया करते थे। लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया। मैं निरंतर जनता के बीच में रहा और उनके कार्यों को करता रहा।
सप्तरी के विकास, सम्मान एवं समृद्धि के लिए मुझसे जितना हो सका, मैंने प्रयास किया। कई सारे कार्य पाइपलाइन से निकलकर आगे बढ़ चुका है।

आप पिछले कार्यकाल में भी सांसद रहे और सिंचाई मंत्री भी बने। इस कार्यकाल में आपने जनता के हित में ऐसे कौन(कौन से कार्य किए, जिससे जनता आपको दुबारा वोट कर सके?

मैंने सप्तरी के संदर्भ में एक नारा दिया था ‘द ग्रेट सप्तरी – द बेस्ट सप्तरी’, ‘ग्रीन राजविराज-क्लीन राजवरिाज’। मैंने इसके तहत रूपनी-राजविराज-कुनौली सड़क के लिए चार लाइन की मांग की थी लेकिन दो लाइन स्वीकृत होकर टेंडर प्रक्रिया में आगे बढ़ चुका है। राजविराज का विमान सेवा कई सालों से अवरूद्ध था जिसका अब तक काफी कार्य हो चुका है और इसे प्रारंभ करने की अवस्था में लाने के लिए तेजी से काम चल रहा है। सगरमाथा अंचल अस्पताल में भौतिक पूर्वाधार अवस्था में सुधार हुआ है। सप्तरी में आंतरिक राजस्व कार्यालय पुर्नस्थापित होने के अंतिम कगार पर है। राजविराज से अतिक्रमण को हटाने में मेरी अप्रत्यक्ष भूमिका रही। इस कार्य में नगरपालिका ही आगे रही।

उसके बाद राजविराज में चक्रपथ निर्माण का कान्सेप्ट लाया और इसे कार्यान्वयन में ले गया। जैसे कि बिरौल चैक, शिवथान, डूमरी, देउरीभरूआस फर्सेठ, झलही, नया टोल सिंघयौन, रंजीतपुरस खर्साल, पर्साही, जगदरी, मलेठ नहर चैक तक एक चक्रपथ की बात की। और इसके लिए छ करोड़ रूपए का टेंडर प्रक्रिया आगे बढ़ चुका है। हमने ही नगरपालिका को आगे रखकर राजविराज में जगह-जगह फोहर उठाने की व्यवस्था किया लेकिन यह उतना प्रभावकारी नहीं हो सका। ग्रीन राजविराज के लिए जगह-जगह वृक्षारोपण का काम जारी है।

राजविराज को बाढ़ से बचाने के लिए खांडो नदी नियंत्रण आयोजना स्थापित किया। पहले सप्तरी में कुल 20-30 करोड़ रूपया आता था लेकिन जब मैं सिंचाई मंत्री बना तो उसी वक्त 40-50 करोड़ रूपया सप्तरी को रूपांतरण कर दिया था। और बजट भाषण के क्रम में मैंने सप्तरी के लिए सिंचाई मंत्रालय के तहत ज्ञ अरब घढ करोड़ रूपए विनियोजित किया। साथी ही कोसी बैरेज से कमला तक नहर बनाने के लिए सुनसरी सिंचाई मोरंग आयोजना के तहत चतरा बैरेज निर्माण प्रक्रिया को आगे बढ़ाया। झलही, गोरियागोइठम, लालापट्टी, तिलाठी, लौनिया, हरिहरपुर, जगदरी समेत तमाम जगहों पर रोड की आरसीसी ढलान यानि कि सड़क निर्माण प्रक्रिया आगे बढ़ा और मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि सप्तरी के पूर्व ट निर्वाचन क्षेत्र में से क्षेत्र घ में जितना सड़क निर्माण का कार्य आगे बढ़ा, उतना किसी भी क्षेत्र में नहीं हुआ। कितने ही नए सड़क, पोखरा(तालाब, कुंआ आदि के काम को आगे बढ़ाया। मुझे लगता है कि राजविराज का अधिकांश सड़क आरसीसी ढ़लान की ओर आगे बढ़ चुकी है। और शहरी विकास मंत्रालय के द्वारा लगभग डेढ़ अरब रूपए के कार्यक्रम सप्तरी के लिए स्वीकृत होकर टेंडरप्रक्रिया में जा चुका है। और मैं यह दावे के साथ कहता हूं कि इससे पहले जो भी प्रतिनिधि यहां से जीते हैं, इतना काम नहीं कर सका, जितना मैं कर चुका हूं।

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यदि आप इस बार प्रतिनिध सभा का चुनाव जीतते हैं तो आपका आगे की रणनीति क्या रहेगी?

सबसे पहले मैं सप्तरी के लोगों के सम्मान में वृद्धि के लिए संसद में भूमिका अदा करूंगा। जनता की जनजीविकाओं में सुधार के लिए मेरा पहल रहेगा। तथा जिला के भौतिक पूर्वाधार निर्माणों के संदर्भ में एक अभियान के तहत आगे बढ़ेंगे। यहां के बेरोजगारी को स्थानीय स्तर पर ही कृषिजन्य में रोजगार की संभावनाओं को आगे बढ़ाएंगे। राजविराज विमानस्थल तो संचालन होगा ही साथ ही राजविराज को ड्राई एयरपोर्ट स्तरोन्नति करने के लिए मेरा पहल रहेगा।

 

अन्त में जनता से आप क्या कहना चाहेंगे?

मेरा आग्रह और अपील जनता से यही रहेगा कि तमाम जनता के हक-अधिकार के लिए मृत्यु पत्र में हस्ताक्षर करके मैं जनयुद्ध के संघर्ष में गया था। इतना मुझे विश्वास है कि सप्तरी के विकास हेतु जितना मैंने पिछले कार्यकाल में किया, उसे देखते हुए मुझे प्रोत्साहित करने के लिए जनता मुझे ही चुनेगी। जो मोरंग-सुनसरी की जनता को धोखा दे सकता है, तो वो आपको धोखा नहीं देगा, इसकी क्या गारंटी है? हम जनता से आग्रह करना चाहते हैं कि वो अवसरवादियों से सावधान रहे। ये लोग कभी सेवक बन ही नहीं पाया। मैं हमेशा जनता का सेवक बनकर रहा न कि मालिक बनकर। इसलिए इस सेवक को चुनकर हमें प्रोत्साहित करें। s-enaiummid

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