सम्पूर्ण सौन्दर्य का, पूंजीभूत तत्त्व, समाया है तेरे वजूद में :डॉ वन्दना गुप्ता
माेरपंखी स्पर्श
– डॉ वन्दना गुप्ता
मुँह धोये सवेरे में,
जब सूर्य की अनुपम किरणें,
बादलों के वलय को चीरती,
झरती है धरा पर,
तब महकने लगती है हवा,
पंछी गुनगुनाने लगते हैं,
मधुरता का संगीत,
निखरने लगता है,
पर्वतों का सौन्दर्य,
आसमान अपनी नीली स्लेट पर,
रचता है प्रेम की कथा,
पृथ्वी अपने आगोश में,
समा लेती है नमी,
वृक्षें की जड़ों की,
सर्जनात्मकता अपनी उर्जा के साथ,
उतरने लगती है लोगों के जुनून में,
शब्द भटकने लगते हैं,
सौन्दर्य के गलियारे में,
पर मेरा रचनात्मक दायरा,
सिर्फ इतनी ही लिख पाता है,
कि सम्पूर्ण सौन्दर्य का,
पूंजीभूत तत्त्व,
समाया है तेरे वजूद में,
जिसका मारेपंखी मधुर स्पर्श,
छू जाता है मुझे,
बड़े ही करीने से। – डॉ वन्दना गुप्ता