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सिरहा प्याब्सन : काम का न काज का दुश्मन अनाज का



मनोज बनैता, सिरहा, २१ जनवरी । निजी तथा आवासीय विद्यालय अर्गनाइजेसन (प्याब्सन)का सिरहा जिला अधिवेशन हुवा है जिसमे लालबाबु राय अध्यक्ष पद मे सर्वसहमती से निर्वाचित हुवे है । २५ सद्स्यों की कार्यसमिति बनी है जिसका नेतृत्व लालबाबु राय के हाथ मे आया है । नाम न बताने के शर्तमे कुछ शिक्षकों का ये कहना है कि “ईस निर्वाचनका कोई अस्तित्व नही है । दरसल सिरहा के प्याब्सन मे कुछ ऐसे दिगज्ज मास्टरमाईन्ड सरदार है जो हमेशा किसको आगे ले जाए और किसको लात मारे यही रणनीति मे लगा रहता है । आज हुवे निर्वाचन मे भी उन्ही मास्टरमाईन्ड का हाथ है ।” उन शिक्षकों ने ये भी कहा है कि “सिरहा प्याब्सन का अध्यक्ष निर्वाचन से कुछ दिन पहले ही चुना जाता है । एक अच्छे होटल मे बैठकर जाम से जाम टकराया जाता है और जिसने बिल भुगतान किया वो सम्झो कार्यसमिति सदस्य । और फिर जिसने कार्यकाल तक का जिम्मा लिया वो सर्वोच्च पद मे । ”

नेपाल मे निजी विद्यालय की उपस्थिति बहुत कम है पर दिनानुदिन शक्तिशाली होते जा रहा है । देशभर तकरिबन ८ हजार निजी विद्यालय है जिसमे अनुमानित १५ लाख विद्यार्थी पढ रहें है । निजी विद्यालय हमेशा विवादमे उलझने का प्रमुख कारण है ईसका शैक्षिक शुल्क । हरेक वर्ष शुल्क मे कुछ बढोतरी होती है पर कार्यरत शिक्षकों को स्थायी करने के सवाल मे और योग्यता अनुसार का पारिश्रमिक देने मे मानो दिल मुंह मे आ जाता है । विद्यार्थी के उमर से ज्यादा उनके किताब का बोझ ज्यादा रहता है क्युं कि जितना किताब रखो उतना कमिसन बनता है ।

शिक्षा के सामाजिक विभेदबारे निजी विद्यालय संवेदनशील नही है । छात्रवृत्ति का खोखला नाटक करता है पर अभीतक गरीब, सुविधाविहीन और विपन्नो ने अवसर नही पाया है । खासकर सिरहाके निजि बिधालय अपने आपको फाईदाकेन्द्रीत नही हुए है साबित नही करसका है । पाठ्यपुस्तक के बिक्री, ड्रेस, टाइ, मोजा, कपी, नोटबुक, क्यालेन्डर, ब्यागलगायत सामान्य शैक्षिक सामग्री मे लगाया गया एकाधिकार ईसका प्रमाण है ।

बिधालय सञ्चालक का अचानक बढे आर्थिक हैसियत देखकर भी लोग निजी का आलोचना कररहा है । शहर के बाहर ना जाना भी निजी स्कुलों की कमजोरी रही है । विद्यार्थी भर्ना के समय मे ये सब बिद्यार्थी का स्तर नही बल्की परिवार का आर्थिक हैसियत देखता है ।

सामुदायिक विद्यालय मे अपने बच्चेको पठाना तो मानो टाईम पास सा होगया है । लेकिन निजी भी बच्चेको सीप नहि बल्की सुगा रटान करारहा है । शिक्षा समाज रूपान्तरण का जरिया है । शिक्षाका पद्धतिगत विकास हुवे मुल्क हि मात्र समृद्ध, समुन्नत और शक्तिशाली होसकती है । अभी आए सिरहा प्याब्सन नेतृत्व निजी विद्यालय फरेबी नहि है साबित कर अपने अस्तित्व बचाना चुनौतीपूर्ण है ।



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