Fri. Mar 29th, 2024

लाहौर, प्रेट्र ।



पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के सियालकोट स्थित 500 साल पुराने गुरुद्वारे बाबे-दी-बेर को भारतीय सिख श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है। इससे पहले तक भारतीय श्रद्धालुओं को इस गुरुद्वारे में जाने की इजाजत नहीं थी।

स्थानीय मीडिया के अनुसार, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गवर्नर मुहम्मद सरवर के निर्देश पर बाबे-दी-बेर गुरुद्वारे को भारतीय सिख श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है। लाहौर से 140 किलोमीटर दूर सियालकोट शहर में स्थित इस गुरुद्वारे में देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।

इस गुरुद्वारे को सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव साहिब की याद में उनके एक अनुयायी सरदार नत्था सिंह ने बनवाया था। बताया जाता है कि 16वीं सदी में कश्मीर यात्रा से सियालकोट लौटे गुरु नानक देव ने इसी जगह पर बेर के एक पेड़ के नीचे विश्राम किया था।

पाकिस्तान में सिख धर्म से जुड़े कई तीर्थस्थल हैं जहां भारत समेत विश्वभर से श्रद्धालु आते हैं। भारत और पाकिस्तान सरकार के संयुक्त प्रयासों से पाकिस्तान के करतारपुर स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब से भारत के डेरा बाबा नानक तक कॉरीडोर का निर्माण पिछले साल नवंबर में शुरू हो चुका है। गुरु नानक देव ने जीवन के अंतिम 18 साल करतारपुर साहिब में बिताए थे।



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