Thu. Mar 28th, 2024

समाजवादी और राजपा में असंतुष्ट समूह यू–टॉर्न ! पार्टी विभाजन संबंधी प्रक्रिया स्थगित !

काठमांडू, २३ अप्रील । उपेन्द्र यादव और डा. बाबुराम भट्टराई नेतृत्व में रहे समाजवादी पार्टी से असंतुष्ट होकर पार्टी विभाजन प्रक्रिया में क्रियाशील समूह यू–टॉर्न होनी की मनस्थिति में पहुँच गया है । चर्चा हो रही थी कि बुधबार रात में ही पार्टी उपाध्यक्ष रेणु यादव के नेतृत्व में नयां पार्टी ‘राष्ट्रीय समाजवादी पार्टी’ गठन संबंधी निवेदन ई–मेल मार्फत निर्वाचन आयोग में पंजीकृत हो चुकी है । ऐसी ही पृष्ठभूमि में बुधबार रात में ही जब समाजवादी और राष्ट्रीय जनता पार्टी (राजपा) के बीच पार्टी एकीकरण घोषणा की गई तो समाजवादी से अलग होने के लिए क्रियाशील समूह अपने निर्णय में पुनर्विचार के लिए बाध्य हो गया है ।
प्राप्त सूचना अनुसार असंतुष्ट समूह में आबद्ध नेताओं की मिटिङ जारी है और उसमें तत्काल के लिए पार्टी विभाजन संबंधी निर्णय को स्थागित करने के लिए विचार–विमर्श जारी है । मिटिङ में सहभागी एक सांसद् ने हिमालिनी से कहा कि तत्काल के लिए पार्टी विभाजन होने की संभावना नहीं है । उन्होंने यह भी कहा कि समाजवादी और राजपा बीच जारी एकीकरण प्रक्रिया को ही हम लोग सहयोग करेंगे । लेकिन अंतिम निर्णय आना बांकी ।
स्मरणीय है, केपीशर्मा ओली नेतृत्व में निर्मित वर्तमान सरकार की ओर से राजनीतिक दल विभाजन तथा संवैधानिक परिषद् संबंधी अध्यादेश जारी होते ही समाजवादी और राजपा में असंतुष्ट रहे समूह पार्टी से अलग होने की तैयारी कर रहे थे । समाजवादी और राजपा से आबद्ध शीर्ष नेताओं ने यहां तक कहा है कि ओली सरकार के विभिन्न प्रतिनिधि पैसे का प्रलोभन देकर पार्टी सांसद् खरीद के लिए निकले हैं । माना जाता है कि समाजवादी विभाजन के लिए विशेषतः अशोक राई, रेणु यादव और इस्तियाक राइ विशेष क्रियाशील थे । यहां तक कि चर्चा में तो यह भी है कि पार्टी विभाजन संबंधी विषयों को लेकर राष्ट्रपति विद्यादेवी भण्डारी और समाजवादी पार्टी के नेता अशोक राई के बीच कई बार विचार–विमर्श हुई है ।
जब इसतरह का सूचना सार्वजनिक होने लगी तो समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष उपेन्द्र यादव स्वयम् राजपा से पार्टी एकता संबंधी प्रस्ताव लेकर पहुँच गए थे । कहा जाता है कि रातो–रात पार्टी एकता घोषणा के लिए मुख्य भूमिका निर्वाह करनेवाले पात्र यादव ही हैं । उन्होंने ने ही राजपा के शीर्ष नेताओं से तत्काल पार्टी एकता के लिए अनुनय–विनय किया था । इधर राजपा के भीतर भी असंतुष्ट समूह की क्रियाशीलता सामने आ रही थी । तब जाकर दोनों पार्टी के शीर्ष नेता आकस्मिक रुप में पार्टी एकता के लिए राजी हो गए थे । समाजवादी और राजपा बीच एकीकरण होकर बनी नई पार्टी ‘जनता समाजवादी पार्टी’ निर्वाचन आयोग में पंर्जीकत भी हो चुकी है । बिहीबार दोनों दल के शीर्ष नेता निर्वाचन आयोग में जाकर पार्टी दर्ता किए हैं । जनता समाजवादी पार्टी की दर्ता नं. १३८८ हैं ।
स्मरणीय है, विभाजित पार्टी हो या एकीकृत पार्टी दोनों को भविष्य में अदालती अड्चन को सामना करना निश्चित था । दोनों समूह के सामने राजनीतिक और कानूनी अड्चन दिखाई पड़ी थी । सरकार द्वारा जारी अध्यादेश संसद् से पारित न होने के कारण विभाजित पार्टी को कानूनी मान्यता मिलने की संभावना के बारे में भी प्रश्न उठ रहा था । और एकीकृत पार्टी के सामने भी अनेक राजनीतिक और कानूनी प्रश्न है । ऐसी ही पृष्ठभूमि में अन्ततः समाजवादी के भीतर असंतुष्ट रहे समूह पार्टी विभाजन संबंधी निर्णय में पुनर्विचार करने जा रही है । वैसे तो राजनीतिक वृत्त में यह भी चर्चा है कि पार्टी विभाजन रोकने के लिए विदेशी शक्तियों ने भी दबाव दिया है ।
खैर ! इधर राजपा के भीतर भी हांलात कुछ ऐसी ही है । राजपा के भीतर ही चर्चा हो रही थी कि पार्टी नेतृत्व से असंतुष्ट रहे अनिल झा और राजकिशोर यादव समूह पार्टी विभाजन की मनस्थिति में हैं । बुधबार रात में आयोजित समाजवादी–राजपा एकीकरण घोषणा सभा में झा और यादव दोनों सहभागी नहीं थे, सशंकित लोगों के लिए इतना ही काफी था । लेकिन समाजवादी और राजपा एकीकरण घोषणा के कारण वे लोग भी निस्क्रिय रहने के लिए बाध्य हो गए हैं ।
अब चर्चा होने लगी है कि प्रधानमन्त्री केपी ओली अपने रणनीति में पूर्ण असफल हो गए हैं । माना जाता है कि बिगत ३ दिनों में जो भी राजनीतिक परिदृश्य देखने को मिला, उसके पीछे प्रमुख पात्र केपीशर्मा ओली ही हैं और अपनी व्यक्तिगत राजनीतिक महत्वांकाक्षा को अंजाम देने के लिए उन्होंने जो किया, उसके कारण ही यह सब हो रहा है ।



About Author

आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Loading...
%d bloggers like this: