नारी जननी है, संपूर्णता का सशक्त हस्ताक्षर है : निधि भार्गव मानवी

मैं, निधि भार्गव मानवी एक गृहणी हूँ । पिछले पांच वर्षों से लेखन क्षेत्र में सक्रिय हूँ । लेखन में रूचि तो मेरी बचपन से ही थी परंतु कभी गंभीरता से नहीं लिया या यूँ कहिए कि जब, जब जो होना होता है तभी होता है । बस यूँ समझ लीजिए कि माँ शारदे का वरदान ही था जो मेरी कलम को पहचान मिली और मैं आप सबके सामने एक कवयित्री बनकर खड़ी हूं ।
मेरा भाई गौरव स्कूल में बालकवि नाम से मशहूर था । वो बचपन से कविताएं लिखता था । और वर्तमान में वो एक अंतर्राष्ट्रीय उपन्यासकार है । कह सकते हैं कि मेरा भाई लेखन क्षेत्र में मेरी प्रेरणा बना । वैसे लेखन मां शारदे का दिया हुआ वरदान है । जब भाव मस्तिष्क में विचरते हुए मन की शिराओं से टकराते हैं तो कविताएं जन्म लेती हैं । उन भावों को तराशने में मेरा साथ मेरे मार्गदर्शक मित्रों ने दिया है । जो कदम–कदम पर मेरे साथ चले, चल रहे हैं । जिनकी मैं तहे दिल से आभारी हूँ ।
मेरे परिवार की लेखन और साहित्य में कोई विशेष रूचि तो नहीं है पर जब मैंने कलम उठाई और लिखना शुरू किया तो सभी को बहुत खुशी हुई । सबने मेरा हौंसला बढ़ाया । मुझे अपने परिवार का भरपूर साथ मिला और मिल रहा है । ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे ऐसा परिवार मिला जो वक्त–वक्त पर मुझे प्रेरित करता रहता है । मेरे बच्चे हमेशा मेरा संबल बनते हैं । जब मेरी शादी हुई थी । तब दूर–दूर तक भी साहित्य से जुड़ने का विचार मेरे मन में नहीं था २८ वर्ष अपने ग्राहस्थ जीवन को बखूबी सम्हाला है मैंने ।
संयुक्त परिवार की बहु होने का फर्जÞ मैं आज भी निभा रही हूं और आगे भी निभाऊंगी । परिवार की एकता उनकी खुशी और सामंजस्यता मेरा पहला सुख है । मेरी बेटी निष्ठा और बेटे नमन, इन दोनों ने हर कदम पर मेरा साथ दिया है । साहित्यिक गतिविधियों में मेरे साथ रहने से लेकर कैसे लिखना है क्या विषय हो हर तरह से वो मेरे साथ बने रहते हैं । मैं सौभाग्यशाली मां हूं जो वरदान स्वरूप मुझे ऐसे बच्चे मिले हैं ।
यह मैं मानती हूं कि बाहर की दुनिया में कदम रखना मेरे लिए आसान नहीं था क्योंकि मैं एक सादगी पसंद घरेलू महिला हूँ पर अब जबकि मुझे साहित्यिक गतिविधियों के रहते बाहर निकलना पड़ता है तो मैं सहज हूँ ।

किसी भी तरह की परेशानी, भय या रोक टोक नहीं है मेरे साथ । और फिर मेरा मानना है कि अपना आपा अगर सही हो तो न तो कोई हमारे लिए गलत हो सकता है न ही हमारा बुरा ही कर सकता है ।
बेशक हमारा समाज पुरुष प्रधान है पर मुझे इस बात को लेकर कभी किसी समस्या से दो चार नहीं होना पड़ा । मेरे साथ अनगिनत पुरूष मित्र फेसबुक के जरिए जुड़े हुए हैं । उन सबका स्नेह, आत्मीयता मेरे लिए सम्मान वैसा ही है जैसा परिवार की महिला के लिए होता है । मैंने ऊपर भी जिक्र किया है कि जब हम सही हैं तो हमारे लिए कोई गलत कैसे हो सकता है ।
अंत में मैं सभी महिलाओं से ये कहना चाहूंगी कि अपनी रचनात्मकता को उभारिए सबके सामने लाइए । कुछ ऐसा करिए कि जÞमाना आपकी मिसाल दे । अपने परिवार अपने बच्चों के लिए प्रेरणा बनिए ताकि वो आपपर गर्व कर सकें । सामाजिक कार्यों में बढ़–चढ़ कर हिस्सा लीजिए । इससे आपको आत्मिक संतोष तो मिलेगा ही, समाज में प्रतिष्ठा भी बढ़ेगी और एक अविस्मरणीय पहचान बनेगी । सखियों, आप जननी हैं । संपूर्णता का सशक्त हस्ताक्षर हैं ।
खूब आगे बढि़ए, कुछ ऐसा करिए जिससे
आपका और आपके देश का नाम रोशन हो सके । मेरी तरफÞ से सभी सखियों को नारी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं । एक स्त्री एक नारी में क्या–क्या समाहित होता है । मैंने अपने शब्दों मे कहने की कोशिश की है । अपनी ये चार पंक्तियाँ मैं समस्त नारी जाति को समर्पित करती हूँ–
बहती नदी मैं मचलती हवा हूँ
भटकती हुई जिंदगी का पता हूँ
सृष्टि का रूप नारी निधि मैं
पानी हूं, ज्वाला हूं, जंगल बला हूँ ।