कांगे्रस र्सवस्वीकार्य संविधान बनाएगी
धनुषा निर्वाचन क्षेत्र नं. ५ से सभासद् सदस्य के विजेता नेपाली काँग्रेस के केन्द्रीय सदस्य एवं राष्ट्रपति डा.रामवरण यादव के सुपुत्र डा. चन्द्रमोहन यादव के साथ हिमालिनी प्रतिनिधि कैलास दास -जनकपुर) द्वारा की गईबातचीत का सारसंक्षेपः-
० दूसरी संविधान सभा निर्वाचन में नेपाली काँग्रेस बडÞी पार्टर्ीीनी है। आप ने किस प्रकार के संविधान निर्माण की कल्पना की है – –
नेपाली काँग्रेस का ७० वषर्ीय अपना गौरवमय इतिहास है। यह संगठित है, जिम्मेवारी भी वहन करती है एवं लोकतन्त्र में विश्वास भी रखती है। एक वर्षके अन्दर संविधान निर्माण की वचनवद्धता इसके घोषणापत्र में भी उल्लेखित है। जनता के हित एवं राष्ट्र के लिए कल्याणकारी संविधान निर्माण आवश्यक है। अर्थात् विशुद्ध रूप से लोकतान्त्रिक संविधान, जिस में समावेशी और संघीयता की बात होगी। साथ में लोकतन्त्र के संस्थागत विकास को सम्बोधन किया जाएगा। ऐसे संविधान की नेपाली काँग्रेस ने कल्पना की है, जो किसी प्रकार विवादास् पद न हो। वैसे सभी को सन्तुष्ट नहीं किया जा सकता है। परन्तु मुझे विश्वास है कि सभी के साथ मिलकर चलने की कोशिश की जाएगी।
० मधेशवादी दल इस चुनाव मे बुरी तरह पराजित हुए हैं। परन्तु मधेश का मुद्दा यथावत ही है, इस अवस्था में नेपाली काँग्रेस मधेश के मुद्दों को कैसे सम्बोधन करेगी – –
यह बात आप लोग बारम्बार क्यों उठा र हे हैं, मुझे पता नहीं। मधेशवादी पार्टर्ीीी मधेश का कल्याण करेगी, यह एक भ्रम फैलाने वाली बात है। अधिकांश जनता शिक्षा से वञ्चित है, जनचेतना का अभाव है, और इसका फायदा झूठ-फुस बोलकर मधेशवादी दल लेते रहे हैं। इस चुनाव ने सबके सामने स्पष्ट रूप से सच्चाई को रख दिया है। मधेशी हित के लिए नेपाली काँग्रेस पहले भी प्रतिबद्ध थी और आज भी है। यह बात जनता ने इस बार के चुनाव से स्पष्ट कर दिया है। मधेशी जनता के लिए नेपाली काँग्रेस हमेसा काम करेगी और विगत में भी इसने काम किया है। मैं यह कहना चाहूँगा कि मधेशवादी दल मधेश के नाम पर सिर्फलाभ प्राप्त करने का काम करते आए है। इस बात को इस बार जनता ने स्पष्ट रूप से अपने मतदान द्वारा प्रमाणित कर दिया है।
० संघीय संरचना में मधेश के स्वरूप के बारे में आप की क्या धारणा है – –
नेपाली काँग्रेस संघीयता में जा चुकी है। उसने कभी भी संघीयता का विरोध नहीं किया है। नेपाली काँग्रेस का प्रथम मुद्दा ही है- संघीयता। इसीलिए नेपाली कांग्रेस र्सवस्वीकार्य संघीय संर चना बनाएगी। विगत के संविधान सभा में इसका शासकीय स्वरूप विवाद के कारण सफल नहीं हो सका और आज उसी के लिए दूसरी बार संविधान सभा का चुनाव करना पडÞा है।
० सबसे बडे Þ दल के नाते नेपाली कांगे्रस अन्य दलांे के साथ कैसे समन्वय करेगी – –
लोकतान्त्रिक पद्धति का मतलव ही है कि सबको समन्वय करके चलना। चाहे छोटा दल हो या बडÞा, नेपाली काँग्रेस सभी को साथ लेकर आगे बढेÞगी और अपने मकसद में सफल भी होगी, ऐसा मेरा विश्वास है। ० एमाले के वरिष्ठ नेता माधव कुमार नेपाल ने २०४७ साल के संविधान म ंे उल्लेखित राजतन्त्र सम्बन्धी व्यवस्था का े हटाकर बाकं ी यथावत ् जारी करन े की बात की ह।ंै इस म ंे नपे ाली कागँ से्र की क्या धारणा ह ै – -माधव जी ने किस प्रसंग में ऐसा बोला है, यह भी मुझे मालुम नहीं। संविधान लोकतान्त्रिक हो तो उसे कौन स्वीकार नहीं करेगा। लेकिन संविधान समय, परिस्थिति और आवश्यकता के अनुसार बदलता रहता है। अभी हम जो संविधान बनाएंगे, उसे २५ वर्षके बाद की सन्तति भी मानेगी, ऐसा नहीं कहा जा सकता। इस लिए २०४७ साल के संविधान के प्रति मेरी विमति है। उस संविधान में बहुत सार ी बातें छूटी हर्ुइ हैं। जहाँ तक राजा की बात है- वह तो अब इतिहास के पन्ने पर पढÞने को मिलेगी। नेपाल में राजतन्त्र अब कभी लौट नहीं
० राप्रपा नेपाल भी समानपु ातिक म ंे बहतु अच्छा मत ला रहा है। और वह हिन्दू राज्य कायम करना चाहता है, इस बारे म आप की राय
– -जहाँ धर्मनिरपेक्षता की बात होती है, वहाँ पर हिन्दू राज्य कायम करना बहुत कठिन है। किसी एक धर्म को र ाज्य से जोड कर रखना शायद अब मुनासिब और सम्भव न हो। सभी धर्म को समावेशी कर चलना होगा। ऐसे मुद्दे अभी नहीं उठने चाहिए। अभी का मुख्य मुद्दा होना चाहिए- युवा बेरोजगार ी का समाधान, आर्थिक उन्नति, शैक्षिक और सामाजिक उत्थान। दूसरे विकसित देशों से हमें इस बारे में सबक लेनी चाहिए।
० एमाओवादी और मधेशवादी दल चुनाव में धांधली हर्ुइ है, -ऐसा आरोप लगा रहे हैं, क्या यह सच है – –
यह तो गैरजिम्मेवाराना बात है। इस बात पर सवाल-जवाब करना समय की बर्बादी होगी। यह तो विल्कुल बच्चों जैसी बात हो गई। चुनावी सर कार बनाने मंे सबसे बडÞी भूमिका एमाओवादी अध्यक्ष प्रचण्ड ने ही की थी। इसलिए उनके मुह से ऐसी बात शोभा नहीं देती। देश के प्रधानमन्त्री र ह चुके व्यक्ति ऐसी अप्रजातान्त्रिक और अलोकतान्त्रिक बात बोलते हैं तो इससे नेपाली जनता में ही नहीं अन्तर्रर्ाा्रीय जगत मंे भी हमारे राष्ट्र की इज्जत मटियामेट होगी। इसलिए आप से अनुर ोध है कि ऐसी बात उठाइए ही नहीं। प्रजातान्त्रिक मूल्यमान्यता में ऐसी बातों का कोई महत्व नहीं होता।
० अब आप सब से पहले किधर पहल करेंगे, संविधान बनाने में या सरकार बनाने में – –
अभी किसी भी सांसद के लिए प्रथम मुद्दा संविधान निर्माण होगा। पर न्तु सरकार को छोडÞ कर केवल संविधान निर्माण की ओर ध्यान देना भी उतना उचित नही होगा। इस लिएसरकार और संविधान दोनो पर ध्यान देना जरूर ी दिखता है।