Fri. Sep 22nd, 2023

भारत के लिए ऐतिहासिक पल, आज हो रहा महाशक्तियों का महामिलन

दिल्ली 9 सितम्बर



आज वो ऐतिहासिक पल है, जिसका पूरे भारत को बेसब्री से इंतजार था, आज G20 शिखर सम्मेलन की बैठक का पहला दिन है। आज भारत अपने यहां अब तक के सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय आयोजन का गवाह बन रहा है। आज 27 से ज़्यादा देशों के नेता भारत की राजधानी नई दिल्ली में मौजूद हैं। जो अब से कुछ ही देर बाद G20 सम्मेलन की बैठकों में शामिल होंगे.बैठक का कोई तय एजेंडा नहीं है लेकिन संभवत: जलवायु परिवर्तन, वैश्विक चुनौतियां, रूस-यूक्रेन युद्ध, स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन और ग़रीबी जैसे मुद्दे चर्चा का हिस्सा होंगे.जी20 ग्रुप में 19 देश शामिल हैं- अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, फ़्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, रिपब्लिक ऑफ़ कोरिया, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका.
हर साल एक रोटेशनल सिस्टम के तहत सदस्य देशों को सम्मेलन की मेज़बानी का अवसर मिलता है. हर साल मेज़बान देश जी-20 की बैठकों का आयोजन करते हैं. एक थीम के तहत बैठकें होती हैं और कई महत्वकांक्षी लक्ष्य तय किए जाते हैं ।

विदेशी मामलों के जानकार हर्ष पंत कहते हैं कि ‘जी-20 की अब तक कि सबसे बड़ी उपलब्धि साल 2008 के आर्थिक संकट को मैनेज करना था. तब आर्थिक संकट को काबू करने में इस समूह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वहीं जी-20 ने आईएमएफ़ और वर्ल्ड बैंक में कुछ सार्थक बदलाव भी किए.’

वो कहते हैं, ”जी-20 की बहुत ज़्यादा उपलब्धियां तो आपको नहीं मिलेंगी लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि जी-20 का गठन ही अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है. इसके गठन ने दर्शाया कि दुनिया की आर्थिक व्यवस्था में तेज़ी से बदलाव हो रहा है.”

”जैसे पहले जी-7 या जी-8 समूह बड़े वैश्विक आर्थिक मसलों पर फ़ैसला ले लिया करते थे…लेकिन जब आर्थिक व्यवस्था बदलने लगी, और 2008 की आर्थिक मंदी के दौरान इन देशों को एहसास हुआ कि उनका यानी पश्चिमी देशों का दबदबा अब उतना प्रभावी नहीं रहा कि जो आर्थिक विषमताएं आ रही थीं उनसे निपट सके तब उन्होंने इस फोरम को बनाया ताकि उभरती हुई ताकतों को भी इसमें शामिल किया जा सके. उन्हें आर्थिक फैसलों का हिस्सा बनाया जा सके.”

यह भी पढें   सरकार और शिक्षक बीच वार्ता जारी

लेकिन चीन और रूस के राष्ट्रपति का इस तरह जी-20 की बैठक से ख़ुद दूर करना क्या जी-20 की प्रासंगिकता पर सवालिया निशान खड़ा करता है? इस तरह के आर्थिक प्लेटफॉर्म तभी ज़्यादा कामयाब होते हैं जब दुनिया में भूराजनीतिक तनाव कम हों. अभी ऐसी स्थिति है कि ये तनाव बहुत ज़्यादा हावी है. बड़ी शक्तियां आपस में एक दूसरे के साथ काम करने को तैयार नहीं हैं. तो उन्हें साथ लाना बड़ी चुनौती होती जा रही है. लेकिन राहत की बात ये है कि केवल जी-20 ही एक ऐसा समूह है जो काम कर रहा है. जिसकी बीते एक साल की सभी बैठकें पूरी हुई हैं. जिसमें विकसित और विकासशील देश दोनों साथ आ रहे हैं.

चीन-रूस के प्रमुख भले न हिस्सा ले रहे हों लेकिन उनके प्रतिनिधि भारत आ रहे हैं. इसलिए इसे एक अलग नज़रिए से भी देखा जा सकता है.

 



About Author

आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Loading...
%d bloggers like this: