आन्दोलन होता रहा है और होता रहेगा
मुझे एक बार गाँव के बुजुर्ग आदमी ने कहा कि भइया इस देश की जो सत्ता है वह एक दिन खुद इस देश का टुकड़ा करवा देगी और मधेश को अलग करवा देगी । बात एक ग्रामीण ने कही थी जिसे ना तो राजनीति का ज्ञान था और ना ही सत्ता के खेल का । पर उसका कथन बिल्कुल सच है । आज जिस तरह से संविधान की बात को लम्बा खींचा जा रहा है, वह जानबूझ कर किया जा रहा है । और जैस–जैसे यह बात लम्बी हो रही है मधेश आन्दोलित हो रहा है । आज एक सी.के.राउत हैं कल को उसके पीछे सारी मधेश की जनता होगी और यह जो स्थिति बन रही है इसकी पूरी जिम्मेदारी शासक पक्ष की होगी । इसलिए सत्ता पक्ष को देश के सभी क्षेत्र को और उसकी भावनाओं को समेटना होगा । नहीं तो ना तो आन्दोलन को रोका जा सकता है और ना ही विखण्डन की सम्भावना से इन्कार किया जा सकता है । देश का एक महत्वपूर्ण हिस्सा असंतुष्ट है और इसे सत्ता अनदेखा कर रही है । अगर यही रवैया रहा तो चिनगारी आग का रूप कब ले लेगी कहा नहीं जा सकता । संविधान बनाना और उसमें सभी की भावनाओं को समान रूप से जगह देना सत्ता पक्ष की जिम्मेदारी बनती है । अगर ऐसा नहीं होता है तो आन्दोलन तो तय है । आन्दोलन होता रहा है और होता रहेगा ।
हिमालिनी के द्वारा आयोजित इस विचार श्रृंखला में कई महत्वपूर्ण बातें उभर कर आईं । मसला सिर्फ संविधान निर्माण का नहीं है । मुख्य बात है कि उसमें हर पक्ष को ईमानदारी से जगह दी जाय । बात आरक्षण की हो, समानता की हो, अधिकार क्षेत्र की हो, आर्थिक, न्यायायिक, प्रशासनिक और शैक्षिक किसी भी क्षेत्र की हो, नागरिकता की हो या समग्र रूप से संघीयता की हो इन सब संवेदनशील मुद्दों को अगर निष्पक्षता के साथ नहीं समेटा गया तो नया नेपाल की परिकल्पना का विध्वंश होना तयशुदा है । क्योंकि जनता जग चुकी है, अपने अधिकारों से परिचित हो चुकी है और सदियों से शोषित होने का जो कड़वा अनुभव है वो उसे यूँ ही आन्दोलित करती रहेगी और इसे प्राप्त करने के लिए आन्दोलन होता रहेगा । क्योंकि क्रांति, संगठन और सक्षम नेतृत्व ही एक जीवित समाज और देश की पहचान होती है । स्पंदन है तो जीवित हैं जिस दिन निष्पन्द हो गए आप मृत हो जाते हैं । आप जिन्दा हैं, आपकी सोच जिन्दा है और आप अपनी पहचान के साथ जिन्दा रहना चाहते हैं तो आपको अपनी सजीवता का प्रमाण देना होगा । व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठानी होगी और अधिकार प्राप्त करना होगा यही वर्तमान समय की माँग है ।