अमेरिकी कर्ज़ पहुँचा 37 ट्रिलियन डॉलर : वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए नई चिंता आने वाला संकट कैसा हो सकता है?
वाशिंगटन डीसी,६ जुलाई २०२५ । एजेन्सी संवाददाता अमेरिका का कुल राष्ट्रीय ऋण अब ३७ ट्रिलियन डॉलर के ऐतिहासिक स्तर पर पहुँच चुका है, जिससे न केवल अमेरिका की दीर्घकालीन आर्थिक स्थिरता पर सवाल उठ रहे हैं, बल्कि वैश्विक वित्तीय प्रणाली पर भी खतरे के बादल मँडराने लगे हैं।
हाल ही में अमेरिकी संसद द्वारा पारित किया गया बजट विधेयक, जिसे पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ‘बिग ब्युटिफुल बजेट बिल’ कहा है, इस ऋण में कम से कम ३ ट्रिलियन डॉलर का और इज़ाफा करने वाला है।

बढ़ती आशंका : कमजोर डलर, महंगा ऋण, गहराता घाटा
साल २०२५ की शुरुआत से अब तक अमेरिकी डलर की कीमत ब्रिटिश पाउन्ड के मुकाबले १०% और युरो के मुकाबले १५% तक गिर चुकी है। सामान्यतः उच्च ब्याज दरों के कारण डलर मजबूत रहता है, लेकिन इस बार अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती शुरू करने के कारण डलर कमजोर हो रहा है।

वहीं, विदेशी निवेशक अब अमेरिका को ऋण देने के लिए उच्च ब्याज दरों की मांग कर रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट हो रहा है कि बाजार को अमेरिका के ऋण चुकाने की क्षमता पर संदेह है। अल्पकालिक और दीर्घकालिक ऋण पर ब्याज दरों के बीच बढ़ता अंतर भी चिंता का विषय बना हुआ है।
आलोचना और चेतावनी
इस बजट विधेयक की आलोचना खुद ट्रम्प के पूर्व सहयोगियों ने की है। एलन मस्क ने इसे ‘घृणित और शर्मनाक’ बताया है।
दुनिया के सबसे बड़े हेज फन्ड के संस्थापक रे डालियो का मानना है कि अमेरिका एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है।
उनके अनुसार, यदि वर्तमान गति से खर्च और ऋण बढ़ता रहा, तो अमेरिका को जल्द ही हर साल १० ट्रिलियन डॉलर केवल ब्याज चुकाने में खर्च करना पड़ सकता है।
“अगर अभी ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो अमेरिका का वित्तीय ढांचा उस स्तर पर पहुँच जाएगा जहाँ बिना किसी बड़े संकट के इसे संभालना असंभव होगा।” — रे डालियो
संकट के संभावित तीन रास्ते
1. सरकारी खर्च में भारी कटौती या करों में वृद्धि (या दोनों)
विशेषज्ञ मानते हैं कि बजट घाटे को ६% से घटाकर ३% पर लाना अनिवार्य है। लेकिन ट्रम्प के नए बजट विधेयक में टैक्स और भी घटा दिए गए हैं, जबकि खर्च में मामूली कटौती की गई है। यह राजनीतिक दिशा समस्या को और गंभीर बना रही है।
2. ज्यादा नोट छापना (मुद्रास्फीति का खतरा)
२००८ के वित्तीय संकट की तरह, अमेरिकी सेंट्रल बैंक फिर से नोट छाप सकता है और उससे सरकारी ऋण खरीद सकता है। लेकिन इससे मुद्रास्फीति बढ़ेगी और आर्थिक विषमता भी, क्योंकि ऐसे कदमों से अमीर लोग (जैसे शेयर व संपत्ति मालिक) और अमीर हो जाते हैं, जबकि मजदूर वर्ग पीछे छूट जाता है।
3. ऋण भुगतान में असमर्थता (डिफल्ट)
यह सबसे खतरनाक स्थिति होगी, जहाँ अमेरिका यह कह दे कि वह अपना ऋण चुका नहीं सकता या चुकाना नहीं चाहता। च
