चुनौतियों से घिरी देउवा सरकार
अनुमानतः छः लाख नेपाली नागरिक कतार में हैं जिनका भविष्य फिलहाल अँधेरे में है । इस ओर सरकार को तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है ।
श्वेता दीप्ति,(सम्पादकीय) जून अंक | देश ने तयशुदा रूप में अपने चालीसवें प्रधानमंत्री को पा लिया है । बारह वर्षों के बाद काँग्रेस सभापति शेरबहादुर देउवा प्रधानमंत्री पद पर आसीन होने में कामयाब रहे हैं । विगत का उनका कार्यकाल कई मायनों में सफल नहीं माना जाता रहा है बावजूद इसके उन्हें एक और मौका मिला है खुद को साबित करने के लिए । एक चुनौतीपूर्ण अवस्था में उन्हें देश का महत्वपूर्ण पद संभालने का अवसर मिला है । परन्तु यह चुनौती नई नहीं है, क्योंकि कई वर्षों से मधेश इस से जूझ रहा है । हर बार इन समस्याओं के साथ मधेशी दल सरकार का साथ देती आई है, किन्तु परिणाम शून्य ही रहा है । इस बार मधेशी दल ने पुनः उनपर अपना विश्वास जताया है । देखना यह है कि काँग्रेस सरकार इस विश्वास को फलीभूत करती है या विगत की तरह इसबार का समझौता भी रद्दी के टोकड़े की शोभा बनती है ।
एमाले ने तय समय पर चुनाव सम्पन्न कराने की शर्त पर ही संसद को चलने देने और प्रधानमंत्री के चुनाव को सम्पन्न करने का अवसर दिया है । अब यह चुनौती देउवा सरकार के सामने है कि वो राजपा नेपाल के बिना चुनाव सम्पन्न कराती है या उसे साथ लेकर ? वैसे मधेशी जनता बिना संविधान संशोधन के चुनाव स्वीकार करने के मूड में नहीं है । फिलहाल परिदृश्य यह है कि संविधान संशोधन का मसला अधर में है, इसलिए आनेवाले चुनाव को लेकर जनता शंकित है ।
विदेश जानेवाले लाखों नेपाली नागरिक में कतार जानेवाले नेपाली नागरिक की संख्या पिछले बाइस वर्षों में तकरीबन ग्यारह लाख के करीब है । सउदी अरब के बाद कतार नेपाली का मुख्य श्रमस्थल है । वर्तमान में कतार को आतंकवाद को प्रश्रय देने के आरोप में खाड़ी देशों ने अकेला कर दिया है । इसका असर वहाँ काम करने वाले नेपाली नागरिकों पर भी पड़ने वाला है । अनुमानतः छः लाख नेपाली नागरिक कतार में हैं जिनका भविष्य फिलहाल अँधेरे में है । इस ओर सरकार को तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है ।
हिमालिनी परिवार की ओर से नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री के सफल कार्यकाल की शुभकामना है ।
लम्बी अँधेरी रात के मुहाने पर खड़ी,
हमारी मंजिल कहीं राह तकती सी है ।
उम्मीदों की एक नई तरंग लिए,
देखो कहीं दूर एक उजली किरण सी है ।