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नरोडा पाटियाः कोडनानी को 28 साल, बजरंगी मौत तक जेल में

Former Gujarat minister Maya Kodnani is consoled by her husband after coming out of the court compound

अहमदाबाद।। गोधरा ट्रेन अग्निकांड के अगले दिन अहमदाबाद के नरोडा पाटिया इलाके में हुए नरसंहार के मामले में एसआईटी कोर्ट ने शुक्रवार को पूर्व मंत्री माया कोडनानी, वीएचपी नेता बाबू बजरंगी समेत 29 को अलग-अलग धाराओं के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई है। कोडनानी को कुल 28 साल और बाबू बजरंगी को मौत तक जेल में रहना होगा। बाकी 29 दोषियों में 7 को 31 साल और 22 को 24 साल की सजा सुनाई गई है।
कोडनानी को दो अलग-अलग धाराओं के तहत 10 और और 18 साल की सजा सुनाई गई। कोडनानी को हत्या के आरोप में उम्रकैद और साजिश रचने के आरोप में धारा 326 के तहत 10 साल की अतिरिक्त सजा सुनाई गई। इस तरह उन्हें कुल 28 साल जेल में काटने होंगे। बाबू बजरंगी को मौत तक जेल की सजा सुनाई गई है।
करीब साढ़े दस साल पहले हुए इस दंगे में 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में 70 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिनके खिलाफ 325 से ज्यादा लोगों ने गवाही दी। आरोपियों में से 7 की मौत हो चुकी है, जबकि दो फरार हैं।बुधवार को विशेष अदालत ने इस मामले में 32 लोगों को दोषी करार दिया था, जबकि 29 को बरी कर दिया था। मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की करीबी मानी जाने वाली पूर्व मंत्री माया कोडनानी को अपराधिक साजिश, हत्या, हत्या के प्रयास के तहत दोषी करार दिया गया था। अन्य को दंगा फैलाने, आगजनी सहित अन्य आरोपों में दोषी पाया। एक आरोपी सुरेश उर्फ रिचर्ड चारा पर बलात्कार का भी आरोप साबित हुआ है।
गवाहों ने अदालत में बताया कि तत्कालीन विधायक माया कोडनानी ने भीड़ को उकसाया था। बाद में कोडनानी महिला और बाल विकास मंत्री बनी थीं। मार्च 2009 में मंत्री रहते गिरफ्तार होने पर उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
जज ज्योत्सना याज्ञनिक की अदालत में जिरह करते हुए सरकारी वकील ने सभी दोषियों को फांसी देने की मांग की। इसका विरोध करते हुए बचाव पक्ष ने दोषियों की पारिवारिक पृष्ठभूमि और आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखने की गुजारिश की।

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नरोडा पाटिया में क्या हुआ था उस दिन
नरोडा पाटिया नरसंहार गोधरा ट्रेन अग्निकांड के अगले दिन 28 फरवरी 2002 को हुआ था। गुजरात दंगों के दौरान क्रूरतम घटनाओं में से एक इस नरसंहार में दंगाइयों ने नरोडा पाटिया इलाके को घेर कर 97 लोगों की हत्या कर दी थी। गवाहों ने कोर्ट में बताया कि इस भीड़ की अगुआई तत्कालीन बीजेपी विधायक माया कोडनानी ने की थी। इस दंगे में 33 लोग घायल भी हुए थे। नरोडा पाटिया कांड का केस अगस्त 2009 में शुरू हुआ और 62 आरोपियों के खिलाफ आरोप दर्ज किए गए। सुनवाई के दौरान एक अभियुक्त विजय शेट्टी की मौत हो गई। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान 327 लोगों के बयान दर्ज किए।

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कौन हैं माया कोडनानी
नरोडा पाटिया दंगों के मामले में विशेष अदालत ने जिन 32 लोगों को दोषी माना है, उनमें माया कोडनानी का भी नाम शामिल है। माया कोडनानी पहली महिला वर्तमान विधायक हैं, जिन्हें गोधरा दंगों के बाद सजा हुई है। माया कोडनानी नरेंद्र मोदी की काफी करीबी मानी जाती हैं। माया का परिवार बंटवारे से पहले पाकिस्तान के सिंध में रहता था लेकिन बाद में गुजरात आकर बस गया। पेशे से माया कोडनानी गाइनकॉलजिस्ट थीं। माया आरआरएस की सदस्य बन गईं। वह डॉक्टर के तौर पर ही नहीं आरएसएस की कार्यकर्ता के तौर पर भी जानी जाती थीं। नरोडा में उनका अपना मैटरनिटी हॉस्पिटल था लेकिन वह स्थानीय राजनीति में सक्रिय हो गईं। माया कोडनानी नरेंद्र मोदी और आडवाणी की भी करीबी मानी जाती रही हैं। 1998 तक माया नरोडा से विधायक बन गईं लेकिन 2002 के गुजरात दंगों में जब उनका नाम सामने आया तो उनकी साख को धक्का लगा। 2002 में गुजरात विधानसभा चुनाव उन्होंने जीता। 2007 के गुजरात विधानसभा चुनाव में भी माया कोडनानी फिर जीत गईं और जल्द ही गुजरात सरकार में मंत्री भी बन गईं। माया कोडनानी 2007 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद प्रदेश सरकार में महिला व बाल विकास मंत्री बनीं। 2009 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष टीम ने उन्हें पूछताछ के लिए समन किया। बाद में उन्हें गिरफ्तार किया गया तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। नवभारतटाइम्स.कॉम

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