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विभा दास, हिमालिनी, अंक मई 023 । वैदेशिक रोजगार का अर्थ है नौकरी और कमाई के लिए एक देश से दूसरे देश में जाना । मानव सभ्यता की शुरुआत से ही लोगों का विदेश रोजगार के लिए जाना रहा है । वैदेशिक रोजगार का मुख्य उद्देश्य धन कमाना और जनजीवन को सहज बनाना रहा है । नेपाल जैसे गरीब देश के लिए वैदेशिक रोजगार वरदान के रूप मे साबित हुआ है । सन १९९० के दशक में आई विव्यापीकरण और उदारीकरण के प्रभाव से नेपाल में भी वैदेशिक रोजगार मे जाने वालों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है । नेपाल सरकार ने वैदेशिक रोजगार के लिए १११ देशों के साथ वैदेशिक रोजगार सम्बन्धी सम्झौता किया



है । सरकारी रूप से १११ देश में जा सकते हैं । पर वर्तमान समय में देखा जाए तो १५० देशों से अधिक देशों में नेपाली वैदेशिक रोजगार में पहुंच गए हैं । यह नेपाल सरकार का तथ्यांक बता रहा है । नेपालियों का मुख्य गन्तव्य देखा जाए तो पहले खाड़ी देश हुआ करता था, फिलहाल खाड़ी देशों के साथ–साथ साइप्रस, माल्दिभ्स, माल्टा, पोल्याण्ड, रोमानीया, यु. के. जैसे देशों में जाने वालों की संख्या में बढ़ोत्तरी होती गयी है । वैदेशिक रोजगार के लिए नेपाल से दैनिकी देखा जाए तो प्रति दिन का आँकड़ा करीब १७५० से ऊपर संख्या में नेपाली नागरिक नेपाली भूमि छोड़ कर विदेश पलायन हो रहे हैं । सन् २०२१ जनगणना मुताबिक नेपाल की कुल आबादी ७.४ प्रतिशत जनसंख्या वैदेशिक रोजगार के सिलसिला में विदेश में अवस्थित है । जिनमें से ८१.३ प्रतिशत पुरूषों की संख्या है ।

वैदेशिक रोजगार से नेपाल को मिली उपलब्धियां इस प्रकार हैं, वैदेशिक रोजगार से प्राप्त प्रवेशषण से आर्थिक क्षेत्र में योगदान मिला है, शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, आवास जैसे क्षेत्रों में बढ़ोत्तरी हुई है, आर्थिक समृद्धि के साथ–साथ गरीबी में भी गिरावट आई है, मानव जीवन में कार्यागत सुधार हो रहा है । देश के युवाओं को रोजगार का अवसर मिला है । इसके साथ– साथ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों रूपों से नेपाल को लाभ मिल रहा है । वैदेशिक रोजगार से प्राप्त धन की भारी कीमत भी नेपाल को चुकानी पड़ रही है । जैसै कि प्रत्येक दिन वैदेशिक रोजगार में गए कामदारों की लाशें नेपाल आ रही हंै, नेपाली कामदारों को अनेकों समस्या का सामना करना पड़ रहा है । भाषा की समस्या, वैदेशिक सम्झौता मुताबिक तनख्वाह प्राप्त ना होना, शारीरिक, मासिक हिंसा का शिकार खास तौर पर महिला कामदार, मानव बेचबिखन तस्करी का शिकार होना, म्यानपावर कम्पनियों से स्वदेश तथा विदेश में ठगी में पड़ जाना जिसे आर्थिक और मानसिक दोनाें तौर पर नुकसान होना है । इधर नेपाल मे प्रतिभावान जनशक्ति पलायन से नेपाली श्रम बाजार में क्षमतावान जनशक्ति मे कमी होना है । नेपाल की भूमि बंजर पड़ जाना, पारिवारिक विखंडण होना, ग्रामीण तह मे वृद्ध–बालबलिका और माहिला रह जाना, धर्म–संस्कृति पर भी गहरा प्रभाव पड़ना, इसके साथ–साथ वैदेशिक रोजगार से प्राप्त प्रवेशषण अनावश्यक वस्तुओं में खर्च हो जाना । वैदेशिक रोजगार नेपाल के लिए अवसर है पर दीर्घकालीन समाधान नहीं है । नेपाल के आर्थिक, सामाजिक, मानवीय जीवन सुरक्षित रखने के लिए वैदेशिक रोजगार की समस्या कम करते हुए, मर्यादित, सुरक्षित और व्यवस्थित वैदेशिक रोजगार का विकास करना जरूरी है ।



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