Wed. Dec 6th, 2023

नेपाल और भारत के बीच बिजली व्यापार समझौते पर इस महीने हस्ताक्षर

काठमांडू: 4



नेपाल  और भारत के बीच दीर्घकालिक बिजली व्यापार समझौते पर इस महीने, नवंबर में हस्ताक्षर हो जाएंगे। ऊर्जा और सिंचाई मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि नेपाल और भारत अगली संयुक्त संचालन समिति की बैठक में इस समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे। दोनों देशों के बीच ये समझौता इस साल मई-जून में नेपाल पीएम पुष्प कमल दहल के भारत दौरे के दौरान तय हुआ था। ये समझौता 25 साल के लिए है, जो दोनों देशों में बिजली के व्यापार का रास्ता खोलेगा। जिससे चीन नाखुशी जता रहा है।

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नेपाल के पीएम पुष्प कमल दहल प्रचंड ने इस साल 2 जून को साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस समझौते की घोषणा की थी। इस समझौते के तहत भारत अपने पड़ोसी और मित्र देश से दीर्घकालिक बिजली व्यापार समझौते के तहत 10 साल में 10,000 मेगावाट बिजली खरीदेगा।

यह भी पढें   नेपालगन्ज में वर्मा (कुर्मी) सहयोगी हात द्वारा किया गया रक्तदान कार्यक्रम

नेपाली प्रधान मंत्री पुष्प कमल दहल ने 31 मई से 3 जून तक भारत का दौरा किया, तो दोनों देशों ने 25 साल के अंतर-सरकारी दीर्घकालिक बिजली व्यापार समझौते को हरी झंडी दे दी थी। उस समय समझौते पर औपचारिक हस्ताक्षर नहीं हो पाए थे क्योंकि भारत की कैबिनेट ने समझौते के मसौदे का समर्थन नहीं किया था। इस समझौते पर इस महीने औपचारिक तौर पर साइन कर दिए जाएंगे।

यह समझौता भारत और नेपाल, दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। नेपाल के लिए यह समझौता बिजली के लिए दीर्घकालिक बाजार सुनिश्चित करेगा। यह पहली बार है कि नेपाल इस तरह के दीर्घकालिक सौदे के तहत अपनी बिजली बेचेगा। समझौते के तहत बिजली पूर्वी नेपाल से गुजरने वाली ढलकेबर-मुजफ्फरपुर क्रॉस-बॉर्डर ट्रांसमिशन लाइन के माध्यम से भारत भेजी जाएगी। दो अन्य परियोजनाओं से उत्पन्न शेष 70 मेगावाट बिजली 132 केवी महेंद्रनगर-टनकपुर ट्रांसमिशन लाइन से भारत के बाजार में आएगी।

यह भी पढें   जनकपुरधाम में दहेज रहित विवाह का बढ़ रहा है प्रचलन

नेपाल ने जून में ही इस समझौते के तय होने के बाद इस पर खुशी जाहिर की थी। नेपाल ने इससे बिजली विकास के लिए एक नया रोड मैप विकसित होने की बात कही है। यह नेपाल के आर्थिक विकास और पुनर्गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। दूसरी ओर चीन इससे चिढ़ा हुआ है। जून में नेपाल के पीएम के इस समझौते पर दस्तखत करने के बाद चीन ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी। नेपाल में चीन के राजदूत चेंग सोंग ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि नेपाल के पास अपने लिए बिजली कम है तो भारत को निर्यात करने का मतलब नहीं है। ये सही नीति नहीं है। ये ना तो नेपाल के लिए सही है और ना ही भारत के लिए फायदेमंद है।



About Author

आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Loading...

You may missed

%d bloggers like this: