इतिहास बनाने की तलाश में, नेपाल महिला वॉलीबॉल टीम : कंचना झा
कंचना झा, हिमालिनी अंक अगस्त, 024 । इसबार कावा महिला राष्ट्र लीग वॉलीबॉल में नेपाली टीम से बहुत ज्यादा उम्मीदें थीं । नेपाली जनता ये तो जानती थी कि इतना आसान नहीं है भारतीय टीम को हराना, लेकिन फिर भी मन में एक आस थी कि नेपाली टीम जीत हासिल करें । भले ही नेपाली महिला वॉलीबॉल टीम उपविजेता रही लेकिन खिलाडि़यों ने अपना ‘द बेस्ट’ दिया था ।
नेपाली दर्शक इससे भी बहुत खुश थे कि आखिर भारत जैसी टीम को नेपाल ने टक्कर दिया । नेपाली जनता के लिए उपविजेता बनना भी बहुत बड़ी बात है । क्योंकि इससे पहले यहाँ खेल का मतलब दो ही खेल हैं –एक फुटबॉल और दूसरा क्रिकेट । लेकिन इन दिनों जबकि कावा महिला वॉलीबॉल प्रतियोगिता चल रही थी तो नेपाली जनता को एक नए खेल में एक नई उम्मीद नजर आई । वॉलीबॉल भी एक खेल है ये तो सभी जानते हैं लेकिन इसकी टीम इतनी मजबूत है ये कोई नहीं जानता था । इस टीम ने साबित किया कि आने वाले समय में इसका भविष्य उज्ज्वल है और आने वाले समय में ये टीम कमाल कर सकती है ।
कावा महिला वॉलीबॉल नेशंस लीग का यह चौथा संस्करण था । इस प्रतियोगिता में नेपाल, भारत, श्रीलंका, ईरान और मालदीव की सहभागिता होती है ।
इस बार कावा का फाइनल मैच नेपाल और भारत के बीच हुआ । ५ सेट तक चले इस प्रतियोगिता में नेपाल और भारत दोनों दो –दो सेट तक बराबर थे । इससे यह दिखाई देता है कि नेपाल की महिला टीम ने अपना बेहतरीन खेल का प्रदर्शन किया । पाँचवें सेट के खेल के समय दर्शक के साथ–साथ खिलाड़ी भी उत्साहित थे साथ ही वो थक भी गए थे । कई मीडिया में यह बात उभर कर आई कि खिलाड़ी हताश के साथ ही थक भी गए थे । बराबरी में पहुँचने के साथ आखिर पाँचवां सेट कैसे हार गए ? इस पर बहुत बबाल भी मचा । लेकिन महिला वॉलीबॉल टीम ने जिस तरह का खेल दिखाया उसकी दर्शकों ने बहुत प्रशंसा की । दर्शको का गुस्सा खिलाडि़यों के प्रति नहीं था । वो नाराज थे सरकार की उदासीनता से । खिलाडि़यों के थकने का मतलब है कि उनके खाने–पीने का जिस तरह से ध्यान रखा जाना चाहिए था शायद वैसा नहीं हो पाया ।
वैसे फाइनल मैच से पहले प्रशिक्षक जगदीश भट्ट ने कहा था कि –भारत को हराने के लिए हम मानसिक रूप से तैयार हैं । यदि हम भारत को हरा देते हैं तो नेपाल में यह वॉलीबॉल खेल बहुत ऊँचाई तक पहुँचेगा ।
इसी तरह फाइनल में हार जाने के बाद सरस्वती चौधरी ने एक मीडिया में कहा कि – इस खेल में भारत हर बात में अव्वल रहा । हमारी ये इच्छा जरुर थी कि हम भारत को फाइनल में हरा सकें । लेकिन खेल का कुछ कहा नहीं जा सकता है । यह कब पलट जाए । कुछ ऐसा ही फाइनल में भी हुआ । लेकिन मुझे इस बात की खुशी है कि हमने अपना द बेस्ट दिया । कुछ गलतियां हुई जिन्हें हम आगे याद रखेंगे ।
इसी तरह सलिना श्रेष्ठ ने कांतिपुर में बातचीत करते हुए कहा कि – यह वॉलीबॉल खेल ग्रुप खेल होता है । इसमें सभी को मिलकर खेलना होता है । ऐसा नहीं है कि एक अच्छा खेले तो जीतेंगे । एक के अच्छा नहीं खेलने पर खेल बिगड़ जाता है । इसमें हमारी ही गलती है । सलिना ने इस बात की भी चर्चा की, कि कवर हॉल बहुत छोटा हुआ । दर्शकों ने एक खेल के लिए १५,०० रुपये टिकट खरीदा था । लेकिन बहुत ऐसे दर्शक थे जो भीतर नहीं आ पाए । भीतर जगह ही नहीं थी । अगर हम जीत जाते तो सरकार का ध्यान भी हमारी ओर जाता । अच्छे खेल के प्रदर्शन के लिए बहुत कुछ चाहिए होता हैं ।
प्रायः सभी खिलाडि़यों ने एक उम्मीद सी रखी है सरकार से कि वो इस खेल पर भी ध्यान रखेंगे । उनके लिए कुछ सेवा सुविधा प्रदान कर दें ।
नेपाल महिला वॉलीबॉल टीम एक प्रतियोगिता में भाग ले रही थी । ये जिम्मेदारी राज्य की, सरकार की बनती थी कि वो खिलाडि़यों के हर बात का ध्यान रखे । एक सीरिज जीतना चाहते हैं तो केवल आलू चना खाकर तो नहीं जीत सकते हैं न । इसके लिए पौष्टिक आहार के साथ ही खिलाडि़यों के फिटनस का भी ध्यान रखा जाना चाहिए था । इन बातों का जिक्र आजकल मीडिया में किया जा रहा है ।
देश वॉलीबॉल में अपने आप को साबित करना चाहती है तो इसके लिए सभी को अपनी भूमिका मजबूत करनी होगी । क्योंकि कोई भी खेल तबतक अपनी उन्नति तक नहीं पहुँच सकती है जब तक कि देश और राज्य उसकी सुख सुविधा का ध्यान नहीं रखे । नेपाल की टीम के साथ बहुत बड़ी कमजोरी यह रही है कि राज्य ने इस खेल को नजरअंदाज किया है । टीम को सक्षम बनाने में राज्य की अहम भूमिका होनी चाहिए जो कि न के बराबर है । जबकि यह नेपाल का राष्ट्रीय खेल है । अपने राष्ट्रीय खेल के प्रति सरकार का यह नजरिया आम नागरिक को समझ में नहीं आ रहा है । २३ मई २०१७ को वॉलीबॉल को नेपाल का राष्ट्रीय खेल घोषित किया गया ।
ऐसी भी बात नहीं है कि नेपाल के लिए यह खेल नया है । नेपाल में महिला वॉलीबॉल का इतिहास पुराना है । महिला वॉलीबॉल की शुरुआत २०३७ साल में हुई । रही बात अन्तर्राष्ट्रीय स्तर में नेपाल महिला वॉलीबॉल खेलने की तो यह सन १९८७ से शुरु हुई यानी ०४४ साल में । इसी वर्ष नेपाली महिला टीम ने थाईलंैड में मैत्रीपूर्ण खेल में भाग लिया था । सन् १९८८ में नेपाली टीम श्रीलंका गई रूपाबाहिनी अन्तर्राष्ट्रीय आमन्त्रण वॉलीबॉल खेलने के लिए । यानी १९८७ में जो कारवां शुरु हुआ उसने अब आकर एक पूर्ण रुप ले लिया है । दर्शकों में अब इस खेल के लिए रुचि आई है ।
ऐसी बात नहीं है कि यह केवल काठमांडू में खेला जाता है । नेपाल के ७७ जिलों में यह वॉलीबॉल खेल खेला जाता है । इसके प्रति नेपालियों में बहुत ज्यादा क्रेज भी है । और यह क्रेज तब दिखाई दिया जब कावा का मैच चल रहा था । कहते हैं लगभग ४ लाख जनता इस मैच को देख रही थी । नागरिकों को इस खेल के प्रति रोमांच है । वो इस खेल को शिखर पर देखना चाहते हैं । महिला टीम को आगे बढ़ाना चाहते हैं तो ये जिम्मेदारी बनती है राज्य और आम निकाय के लोगों की कि वो कितने जिम्मेदार और संवेदनशील है इस महिला वॉलीबॉल को लेकर ?
क्योंकि जब फाइनल का खेल खेला जा रहा था तब इस खेल को देखने के लिए खेलकूद मंत्री के साथ ही अन्य तथा काठमांडू महानगर के प्रमुख बालेन्द्र साह और उपप्रमुख सुनीता डंगोल की भी उपस्थिति थी । दर्शक दीर्घा में उस वक्त एक आक्रोश भी था कि महिला टीम की सबने उपेक्षा की थी । अगर राज्य ने थोड़ा सा पहले इस खेल के प्रति अपना ध्यान आकर्षित किया होता तो शायद उपाधि हम ले जाते । लेकिन राज्य हमेशा उदासीन ही रहा है इन खिलाडि़यों के प्रति तथा खेल के प्रति । इसलिए जब स्टेडियम में नेताओं का आगमन हुआ तो दर्शको ने भव्य हुटिंग के साथ उन सभी का स्वागत किया था ।
दर्शकों में भी यह तब उत्साह तब आया जब लीग मैच में नेपाल ने भारत को हरा दिया था । दर्शक को लगा कि शायद फाइनल में एक बार फिर नेपाल की जीत होगी । जबकि इससे पहले इसी कावा के फाइनल में नेपाल भारत से हार गया था । फिर भी आम लोगों को बहुत उम्मीदें थी ।
हारना किसे अच्छा लगता है ? लेकिन जब आप अपना द बेस्ट देते हैं तो सभी इस बात को स्वीकारते भी हैं कि हम उप विजेता भी रहे तो ये भी बहुत बड़ी बात है । लेकिन मीडिया में बात खुलकर आई कि राष्ट्रीय महिला वॉलीबॉल और अच्छा खेल सकती थी लेकिन उसके हारने का मुख्य कारण है राज्य का निरीहपन और मूकदर्शक बनकर बैठना । मीडिया में यह बात बार–बार दर्शकों और खिलाडि़यों के तरफ से भी आई जबतक राज्य और सरकार वॉलीबॉल खेल में निवेश नहीं किया जाएगा तब तक इस खेल का विकास नहीं हो पाएगा । इतना ही नहीं राज्य की उदासीनता, सरकार का ध्यान नहीं देना केवल नेपाल के लोगों को नहीं वरन विश्व को भी यह दिखाई दे रहा है । राज्य का काम है कि अगर किसी खेल में सभी दिलचस्पी ले रहे हैं तो खिलाड़ी के साथ–साथ इस खेल को प्रोत्साहित करना जरूरी है । खिलाडि़यों के मनोबल को कम नहीं वरन बढ़ाने के लिए काम करें ।
इसके लिए सबसे ज्यादा जरुरी है कवर हॉल की । जहाँ इस खेल को खेला जाता है । ये सबसे जरुरी है लेकिन नेपाल में वॉलीबॉल के लिए अच्छा और बड़ा कवर हॉल नहीं है । इसके अलावा खिलाडि़यों को अच्छी तालिम की आवश्यकता होती है । अवसर और प्रोत्साहन की आवश्यकता है जो कि उन्हें नहीं मिल पाता है । जो खिलाड़ी नियमित खेलते हैं उनके लिए कोई भत्ता नहीं है । इतना ही नहीं खेलते वक्त अगर वो गिर जाते हैं, उन्हें चोट लगती है, वे जख्मी होते हैं तो वो खर्च भी उन्हें नहीं मिलता है । न तो कोई उपचार है न ही कोई थेरपी । वैसे इस बार की टीम को काठमांडू महानगरपालिका ने पुरस्कार के साथ ही सम्मानित भी किया । यह एक प्रशंसनीय काम किया गया है ।
इसके अलावा ऐसा नहीं है कि नेपाल में किसी भी खेल में खिलाड़ी उत्पादन नहीं होता है । हर खेल के क्षेत्र में नए खिलाडि़यों का आगमन होता रहा है । अपने क्षेत्र और पहुँंच के आधार में खिलाडि़यों का चयन किया जाता है लेकिन इसका अनुगमन नहीं है । खिलाड़ी अपने खर्च पर ही क्षमता का विकास करते हैं । लेकिन राज्य के ध्यान नहीं देने के कारण जीविकोपार्जन के लिए प्रवास या विदेश जाने को बाध्य हैं । महत्वपूर्ण वॉलीबॉल खिलाड़ी को नेपाल में रहने के लिए कोई अवसर ही नहीं है ।
ऐसा भी नहीं है कि सरकार का खेलकूद संघ नहीं है । सरकार का खेलकूद संघ तो है ही साथ ही तीनों ही तह में खेलकूद मन्त्रालय भी है । लेकिन इस खेल के प्रति कोई ध्यान नहीं है । जब तक राज्य अपनी जिम्मेदारी को नहीं समझेगी तबतक नेपाली वॉलीबॉल खेल उच्च स्तर तक नहीं पहुँच पाएगी । संबंधित निकाय और सरकार का इस ओर ध्यान जाए तो इस खेल के प्रति जो लोगों में एक नई उम्मीद जगी है वो पूरी हो पाएगी । लेकिन खेल प्रेमी भी जानते हैं कि यहाँ पूर्वाधार का अभाव है, सीमित सुविधा है और राज्य का एक तरह से नजर ही नहीं है इस खेल पर । इसके बावजूद भी नेपाली टीम ने कावा नेशन्स लिग में बहुत ही अच्छा प्रदर्शन किया । इस प्रदर्शन को बहुत दिनों तक यहाँ के खेल प्रेमी याद रखेंगे ।
अभी नेपाली राष्ट्रीय महिला वॉलीबॉल टीम में इन खिलाडि़यों ने अपना स्थान सुरक्षित कर लिया है । नेपाली राष्ट्रीय खिलाड़ी टोली में अरुणा शाही(कप्तान), सरस्वती चौधरी, निरुता ठगुन्ना, उषा भण्डारी, पुनम चन्द, संगम महतो, कविता भट्ट, सलिना श्रेष्ठ, कामना विष्ट, प्रगति नाथ, शान्तिकला तामाङ, साफिया पुन, आरती सुवेदी, सुमित्रा रेग्मी हैं ।