मधेश के उद्योगों का ह्रास सुनिश्चित नीति के तहत

विजय कर्ण ,पूर्व राजदूत,आज तक यह देश लुटेरों के द्वारा चलता आया है और आज भी चल रहा है । आज सारी नियन्त्रण इनके पास है । मधेश की जो हालत है वह पूरी की पूरी इन शोषको की वजह से है । आज मधेश में औद्योगिक क्षेत्र और उद्योग का जो हाल हो रहा है वह एक षड्यंत्र है शासक वर्ग का जो मधेश की आर्थिक स्थिति को लगातार कमजोर बना रहा है । मधेश में पहाड़ियों को बसा कर मधेश पर नियन्त्रण रखने की कोशिश ये करते रहे हैं और इसमें ये कामयाब भी होते आए हैं । मधेश को हमेशा इन्होंने लूटा और आज भी पाँच जिला के नाम पर ये यही कर रहे हैं । किस तरह मधेश पर इनका नियंत्रण बना रहे इनकी सोच यहीं तक सीमित है मधेश का भला या मधेश का विकास इनका एजेन्डा नहीं है । आप कितना भी नियम बना लें पर इसका कार्यान्वयन तब तक सही तरीके से नहीं हो सकता जबतक आप की नीयत सही नहीं हो । राज्य की सारी शक्ति इनके हाथ में है और ये मनमाने तरीके से इसे चला रहा है ।
मैं मधेश से भी यह कहना चाहुँगा कि वो आन्दोलन करते हैं पर उस पर टिके नहीं रहते । मधेशी नेताओं का क्या दोष आखिर वो भी तो काँग्रेस और एमाले से ही पैदा हुए हैं तो उनमें भी तो वही लूटपाट और बाँट कर खाने की प्रवृत्ति होगी । जिस परिवेश से आए हैं वही उन पर आज भी हावी है ।
आन्दोलन तो करना ही होगा क्योंकि व्यवस्था के खिलाफ लड़ने का इससे बेहतर और कोई रास्ता नहीं है । इसलिए यह आज के समय की आवश्यकता भी है और मांग भी । आज भाषा का सवाल वेश भूषा का सवाल सब हमारे साथ है और हमें हमारी पहचान के साथ संविधान चाहिए । हम समान नहीं हैं इसलिए हमें अब हमारी पहचान चाहिए । वर्चस्व का जो शासन है उसे खत्म करना है । नेपाल की जो संरचना है वह
बदलना है, उसे नया बनाना है अगर ऐसा नहीं हुआ तो संविधान बन कर भी क्या होगा । इनके हाथों में ही शक्ति होगी और हम ऐसे ही गुलामी की अवस्था में जीने को बाध्य होंगे । इसलिए संरचना में बदलाव की आवश्यकता है । आन्दोलन तो हर समाज और देश की आवश्यकता है इससे एक नियंत्रण शासक वर्ग पर बना रहता है ।

