संविधान संशाेधन की चर्चा का असर, एक ही मंच पर मधेशी दलाें के अध्यक्षाें की उपस्थिति

संविधान संशोधन की चर्चा ने एकबार फिर से मधेश पार्टियों को करीब ला दिया है. दो बड़ी पार्टियों, कांग्रेस और एमाले द्वारा संविधान संशोधन की चर्चा शुरू करने के बाद, मधेश पार्टियों को लग रहा है कि कहीं पिछले आंदोलनों से प्राप्त उपलब्धियाँ खो ना जाएं। संभवतः यही वजह है कि वाे एक मंच पर दिख रहे हैं, बल्कि सहयोग एवं एकता की बातें भी कर रहे हैं ।टुकड़ों में बंटी मधेश पार्टी के नेता मंगलवार को एक मंच पर दिखे. इन सभी में संविधान के संभावित संशोधन से हासिल उपलब्धियों को खोने का डर था. इसके लिए एक बार फिर सभी नेताओं ने अपनी भावना व्यक्त की है कि एकता, सहयोग की बातें की ।
मधेसी एकता समाज की ओर से आयोजित कार्यक्रम में नेताओं ने कहा कि बड़े दल समावेशन के पक्षधर दलों के विभाजित और कमजोर होने की संभावना को छिपाना चाहते हैं. मधेश नेताओं ने संदेह व्यक्त किया है कि दोनों प्रमुख दल चुनाव प्रणाली में संशोधन करके समानुपातिक और समावेशी प्रतिनिधित्व प्रणाली को खत्म करने जा रहे हैं। उन पर संवैधानिक संशोधन की संभावित चुनौती को एक अवसर के रूप में लेने का मनोवैज्ञानिक दबाव है।
राष्ट्रीय मुक्ति पार्टी नेपाल के अध्यक्ष राजेंद्र महतो ने संदेह व्यक्त किया कि 2072 में तीन दलों के तीन नेता एक नस्लवादी संविधान लाने के लिए एक साथ आए और प्रस्तावित संशोधन अधिक नस्लवादी होगा। उन्होंने कहा कि इसे रोकने के लिए मधेसियों, आदिवासियों समेत अन्य ताकतों को एकजुट होने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
जनता प्रगतिशील पार्टी के अध्यक्ष हृदयेश त्रिपाठी ने मधेश पार्टियों के बीच ‘ लूज गठबंधन’ का प्रस्ताव रखा. उन्होंने कहा, ”हमने कई बार एकजुट होने की कोशिश की, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली. अवसरवादी चरित्र के कारण पार्टियाँ विभाजित हो गईं।” उन्होंने कहा, ”आइए अब एकता के बारे में बात न करें। लेकिन आइए हमारे सामने आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए सहयोग करें। उन्होंने कहा कि संविधान में संशोधन कर दो दलीय व्यवस्था लागू कर अलोकतांत्रिक कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उस चुनौती का सामना करने के लिए सभी को एक साथ आना चाहिए।
जनता समाजवादी पार्टी के उपाध्यक्ष राजकिशोर यादव ने कहा कि एक साथ आना जरूरी होता जा रहा है. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इसके लिए तैयार है. डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट पार्टी के नेता अनिल झा ने भी कहा कि अगर मधेसी शक्ति एकजुट नहीं हुई तो जो उपलब्धियां हासिल हुई हैं, उनके खोने का खतरा है, इसलिए उनकी पार्टी इसके लिए हमेशा आगे बढ़ रही है.
जनमत पार्टी के नेता व प्रवक्ता शरदसिंह यादव ने कहा कि चूंकि संविधान संशोधन मधेश के खिलाफ दिख रहा है, इसलिए इसे रोकने के लिए सहयोग जरूरी है.
जनता समाजवादी पार्टी के महासचिव इस्तियाक राय ने कहा कि अब एक-दूसरे पर दोषारोपण करने का समय नहीं है और उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस मुद्दे को देखते हुए पार्टियों को एक साथ आना चाहिए. प्रतिनिधि सभा के निर्दलीय सदस्य अमरेश कुमार सिंह ने कहा कि विभाजित हो चुका मधेश अपनी उपलब्धियों का बचाव नहीं कर सकता, उन्होंने कहा कि मधेश की राजनीति में त्याग और अखंडता खो गयी है. उन्होंने मधेश पार्टी की आलोचना की. उन्होंने कहा कि मधेश पार्टियों ने मधेशवाद को परिवारवाद और अधिनायकवाद में समाप्त कर दिया है. कार्यक्रम में नागरिक समाज के प्रतिनिधियों ने मधेसी पार्टियों के बीच सहयोग की अनिवार्यता पर भी जोर दिया.