मुझे अपना प्रेमी बना लो
सर्वप्रथम तो ईश्वर को मानने की बात ही है । हम अपने जीवन में बहुत कुछ
सर्वप्रथम तो ईश्वर को मानने की बात ही है । हम अपने जीवन में बहुत कुछ
हिमालिनी अंक जुन २०१९ |भगवान एक, उन्हीं से अनंत जगत की जगत के समस्त चेतना
हिमालिनी अंक मई २०१९ |भगवान के स्वरूप का ज्ञान न होने पर भी भगवान की
भजन कैसे किया जाए– इसका कोई एक उत्तर नहीं होता है । क्या नहीं होता है
भोग की तृष्णा का कभी अन्त नहीं होता है । अपने मनोनुकूल पत्नी की सार्थकता
गीता व्यवहारिक वेदान्त का सर्वाधिक प्रमाािण्त ग्रन्थ है । इसका प्रमुख उद्देश्य मानव मात्र को निष्काम
अपने परिवार के परम आदरणीय एवं पूजनीय वृद्ध माता–पिता की सेवा से बढ़ कर और
किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके व्यक्तित्व से होती है । प्रभावशाली व्यक्तित्व वालों की ही
भगवान शिव अनादि देवता हंै, ये अत्यन्त महिमाशाली एवं रहस्यमय देव हैं । शिव अपनी
संसार में मेरा कौन है ? यह प्रश्न है तो भाई ! इसका असली उत्तर
आमतौर पर लोग नहीं जानते कि खुशी क्या है ? ढ़ेर सारे जैसे ऐशो–आराम होते
मृत्यु क्या है ? कुछ उदाहरणों के द्वारा इसे समझने का पयत्न करेंगे । मृत्यु
प्राचीन काल में एक राजा था, जिनका नाम था इन्द्रद्युम्न, वे बड़े दानी, धर्मज्ञ और
मनुष्य के लिए शिक्षा का महान् महत्व है, उसके धारण और आचरण का भी महान
धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि मनुष्य शरीर सर्वेश्वर की सर्वोत्कृष्ट कृति है । भगवान
सेव्यः सेव्यः सदा सेव्यः शंकर सर्वदुःखहा रुद्राक्ष शिव को बहुत ही प्रिय है । इसे
भस्म सम्पूर्ण मंगलों को देनेवाला सर्वोत्तम साधन है, उसके दो भेद बताये गये है ।
भगवत गीता के इस दृष्टान्त से यह शिक्षा मिलती है कि श्रेष्ठ व्यक्ति भी कुसंगत
रवीन्द्र झा ‘शंकर’ मनुष्य अपनी ओर नहीं देखता कि मेरा जन्म क्यों हुआ है, मुझे
रवीन्द्र झा उन्नसठवीं सदी के अन्तिम चरण की बात है, कराची के एक मध्यमवर्गीय सिन्धी
रवीन्द्र झा ‘शंकर’ प्रभोः मेरे लिए ‘मैं’ जितना प्यारा हूँ, उससे कहीं अधिक तुम्हारे लिए