पाकिस्तान चुनाव – अस्थिरता की ओर पाकिस्तान : कंचना झा
कंचना झा, हिमालिनी अंक फरवरी 2024। सच ही कहा गया है कि राजनीति में कब किसका पासा पलट जाए नहीं कहा जा सकता है । कुछ ऐसी ही स्थिति में अभी पाकिस्तान है जहाँ आजकल चुनावी माहौल है । पाकिस्तान में नेशनल एसंबली का चुनाव हुआ है । मतगणना जारी है । इस आलेख को लिखते समय तक इमरान खान की पार्टी तहरीक ए ईसाफ ने सबसे ज्यादा सीट पर जीत हासिल की है । वैसे इस पार्टी को पाकिस्तान की सरकार ने जब्त कर लिया था और उसे चुनाव चिन्ह भी नहीं दिया गया था । इस पार्टी के सभी उम्मीदवार और इमरान खान के समर्थकों ने स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में से चुनाव लड़ा । इन्हें अभी तक ९० सीट मिल चुकी है और ये पहले नंबर पर हैं ।
पाकिस्तान में जो अभी की सरकार है उस सरकार और सेना दोनों इस बात वाकिफ नहीं थे कि जनता क्या चाहती है ? जनता के मन में क्या चल रहा है ? या असल में जनता किसे अपनना चाह रही है ? सरकार ने मतलब भी नहीं रखा कि जनता की सोच बदल रही है इसलिए इस बार के चुनाव में जनता ने अपना अलग रुख दिखाया है । जनता ने जो काम किया है उससे यह बात साफ नजर आ रही है कि वह न तो सेना को चाहती है न ही नवाज शरीफ को । पाकिस्तान के ही इतिहास में नहीं वरन विश्व की ही बात की जाए तो ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी देश में निर्दलीय उम्मीदवारों ने इतनी बड़ी संख्या में जीत हासिल की है । और ये जितने भी निर्दलीय उम्म्ीदवार हैं सभी के सभी इमरान खान की पार्टी से हैं ।
रही बात इमरान खान की तो वो अभी जेल में हैं । चुनाव से पहले उन्होंने सरकार और सेना से पार्टी और चुनाव चिन्ह दोनों की मांग की थी लेकिन न तो उन्हें मिला और ना ही उनके उम्मीदावारों को चुनाव चिन्ह दिया गया । ना ही कोई पार्टी । हारकर उनके उम्मीदवारों ने स्वतंत्र से चुनाव लड़ा । घर घर घूमकर उन्होंने लोगों से मत की मांग की । जनता ने साथ दिया और बहुत से उम्मीदवारों ने जीत भी हासिल की । पाकिस्तान की अभी की अवस्था की बात करें तो वहाँ की जनता एक सुलझे हुए नेता की तलाश में है । जो देश और जनता दोनों को ख्याल रखें ।
पाकिस्तान के लोकतंत्र के इतिहास में यह पहली बार ही हुआ है जब इमरान खान की पार्टी के उम्मीदवारों को या उनके समर्थको को कोई चुनाव चिन्ह नहीं दिया गया और वो सभी स्वतंत्र से चुनाव लड़े और जीत हासिल की । इन निर्दलीय उम्मीदवार ने उन पार्टियों के उम्मीदवारों को हरा दिया है जिनके साथ देश की सेना थी और खुफिया एजेंसी भी । कहते हैं कि पाकिस्तान में अगर किसी का बोलबाला है तो वह है सेना का और खुफिया एजेन्सी का । लेकिन इसबार पाकिस्तान की जनता ने यह दिखा दिया है कि उसे किसी सेना का डर नहीं है । जनता ने अपना मत दे दिया है । एक तरह से कहें तो जनता ने खुलकर सेना और सरकार दोनों का ही विरोध किया है ।
लेकिन खबर यह भी आ रही है कि इस चुनाव में बहुत धांधली भी हुई है । नवाज शरीफ और सेना दोनों ही नहीं चाहती है कि किसी तरह इमरान देश की सत्ता में वापस आए । जबतक इमरान बाहर नहीं आ जाते वो भीतर रहकर कुछ नहीं कर पाएंगे । फिर उनपर चार्ज भी कुछ इस तरह का लगाया गया है कि उनका बाहर निकलना उतना आसान नहीं होगा । अब पाकिस्तान में सरकार बनाने के लिए आखिर कितनी सीट चाहिए ? तो यहाँ सरकार बनाने के लिए १६९ सीट चाहिए जो कि नवाज शरीफ और बिलावल की पार्टी को मिलाकर भी नहीं बनाया जा सकता है । क्योंकि नवाज की पार्टी को अभी तक ६४ सीट मिली है वो दूसरे नंबर पर है और तीसरे नंबर पर है बिलावल भुट्टों की पार्टी जिन्हें ५० सीट मिली है । यानी राजनीति में जोड़ और तोड़ की नीति चलती है वह वहाँ भी शुरु हो जाएगी ।
जहाँ तक बात है कि पाकिस्तान की जनता की तो उसने अपनी मन की, की है । जनता जो डर में जी रही थी उससे बाहर आकर उसने मतदान किया है । उनका विश्वास धीरे–धीरे सेना और सरकार से उठ रहा है । वह बदलाव चाहती है जिसका उसने संकेत दे दिया है साथ ही इस नतीजे से एक बात साफ नजर आ रही है कि पाकिस्तान की जनता को अब सेना पर बहुत ज्यादा विश्वास नहीं रह गया है ।
एक तरफ इमरान खान जेल में हैं, लेकिन जनता का पूरा सहयोग उन्हें मिला है । चुनाव में उनको जबरदस्त समर्थन मिला है । पाकिस्तान में इस गुरुवार को हुए आम चुनाव में इमरान खान समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों ने सबसे ज्यादा सीटें जीती हैं । इमरान खान के सामने नवाज शरीफ और बिलावल भुट्टो भी पिछड़ गए है । हालांकि इमरान खान के उम्मीदवारों की जीत के बावजूद नवाज शरीफ ने आसिफ जरदारी की पीपीपी और दूसरे दलों के समर्थन से सरकार बनाने की कोशिशें तेज कर दी हैं । खास बात तो यह है कि जब सरकार और सेना दोनों ही इमरान खान की पार्टी के उम्मीदवारों को कोई चिन्ह नहीं दिया । लेकिन जनता की सोच, क्या चाहती है पाकिस्तान की जनता यह खुलकर बता रही है । अपनी जीत के बाद इमरान खान ने अपनी जनता को मत देने के लिए तथा उनपर विश्वास करने लिए भी धन्यवाद दिया और जेल से ही एआई तकनीक की मदद से विक्ट्री स्पीच दी । अपने स्पीच में उन्होंने दावा किया कि उनकी पार्टी ने नेशनल असेंबली में दो–तिहाई बहुमत हासिल करके चुनाव जीता है । भाषण के दौरान इमरान ने कहा, “आपने हमें वोट देकर पाकिस्तान में वास्तविक लोकतंत्र की नींव रखी है । मैं आप सभी को २०२४ का चुनाव जीतने के लिए बधाई देता हूं । मुझे पूरा विश्वास था कि आप सभी वोट देने आएंगे । भारी मतदान ने सभी को चौंका दिया है ।
पाकिस्तान में कुछ बदलाव आ रहे हैं । जैसे पहले पाकिस्तान की सेना सरकार को चुनती थी । सबकुछ उसके ही हाथों में होती थी । यहाँ तक की इमरान खान की सरकार को भी सेना ने ही चुना था । और उससे पहले भी कई एकबार सेना ही सरकार को चुनती आई है । सरकार और खुफियां एजेंसी ने इसबार जनता की शक्ति को कम आंका था । वो नहीं जानती की ताकत को । जनता जब खुद पर आ जाती है तो किसी की नहीं सुनती । कुछ ऐसा ही पाकिस्तान के नतीजे दीखते हैं ।
इसके बाद से पाकिस्तान में नई सरकार के गठन को लेकर खींचतान बढ़ गई है । पूरे चुनाव में बिलावल भुट्टो जरदारी की पीपीपी किंगमेकर की भूमिका में उभरी है । लेकिन देखना यह है कि आखिर सत्ता पर किसका कब्जा होगा ? इधर नवाज शरीफ भी बिलावल को रिझाने में जुटे हैं तो कही न कही इमरान खान की पार्टी भी यही चाहती है कि बिलावल उनका साथ दें ।
नवाज शरीफ पूरी ताकत लगा रहे हैं सरकार बनाने के लिए । उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि सरकार बनाने के लिए वो निर्दलीय उम्मीदवारों से भी बात कर सकते हैं । राजनीति में कुछ नहीं कहा जा सकता है कि कब कोई किसी का दोस्त बन सकता है और कब दुश्मन । चुनाव के नतीजे के बाद एक बात साफ नजर आ रही है कि किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिली है तो सरकार गठबंधन से ही बनेगी । यानी स्थिर सरकार नहीं नहीं बन पाएगी । जबकि पाकिस्तान के अर्थतंत्र की अगर बात करे तो वह पूरी तरह से टूट चुकी है । विश्व मानचित्र पर उसकी साख को बहुत चोट पहुँची है । विश्व आंतकवाद को लेकर पाकिस्तान को हमेशा एक अलग नजर से देखता है । ऐसी अवस्था में वहाँ की जनता को एक अच्छे, और सुलझे नेता की आवश्यकता है ।