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बीरगंज के कुछ व्यापारीयों ने मधेश आन्दोलन को कमजोर किया, परदे के पीछे की जो कहानी ?

मुरलीमनोहर तिबारी, बीरगंज, ६ मार्च |



आंदोलन के क्रम में जहां हरेक मधेशी अपने जान की बाजी लगा रहा था, वही कुछ व्यपारी, कुछ नेता इसकी किम्मत वसूलने में लगे रहे, ऐसी बाते उजागर हुई है। कुछ मधेशी नेताओ की मिलीभगत से इस घृणित कार्य को अंजाम दिया गया।

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परदे के पीछे की जो कहानी सामने आ रही है, नाम ना उजागर करने की शर्त में जो चश्मदीद ने बताया, उसके अनुसार आंदोलन के दौरान जब बिरगंज से कर्फ्यू हटा और आंदोलन मितेरी पुल पर सिमित हो गया। तब औद्योगिक शक्तियो पर सुख्खा बंदरगाह में फंसे १७००० कंटेनर को निकालने की चुनौती थी। तब दो बिजनेस टाइकून केडिया और सरावगी को इसका जिम्मा दिया गया।

केडिया और सरावगी ने मोर्चा के नेताओ से बात की, उन्होंने ये काम अकेले अपने बस का नहीं होने का असमर्थता ज़ाहिर किया। फिर केडिया ने मोर्चा और गठबंधन से संयुक्त समझदारी का प्रयाश किया, और कंटेनर निकालने के लिए ५०लाख रुपए देने का ऑफ़र किया, लेकिन उस समय मोर्चा और गठबंधन के नेताओ में व्यक्तिगत ईर्ष्या चरम पर होने के कारण बात नही बनी।

इसी बिच ये बात प्रशासन के शक्तिशाली लोगो को पता चला, उन्होंने एक करोड़ रुपए में ये कार्य अपने जिम्मे लिया। जिसमे अधिकारी को २०-२०लाख का हिस्सा तय करके एक करोड़ को बांटा गया। फिर इनलोगो ने अपनी पूरी शक्ति लगाकर कंटेनर निकालना शुरू कर दिया।

जब कंटेनर निकलने लगा, सुख्खा बंदरगाह से लेकर परवानीपुर तक स्थानीय लोगों का बिरोध, पथराव और आगजनी होने लगा, जिसमें प्रशासन कमजोर पड़ने लगा। तब केडिया ने मोर्चा के नेता यादव से संपर्क किया, केडिया ने यादव को ५०लाख अलग से दिया। यादव ने व्यक्तिगत मित्रता के आधार पर कुछ मोर्चा, और कुछ गठबंधन के नेताओ को हिस्सा देकर मिलाया । इनलोगो ने अपने-अपने प्रभाव के क्षेत्र में आंदोलन को रात में मंथर करके कंटेनर निकाला ।

 

इस काम को करने में ट्रक में तेल की दिक्कत सामने आई। फिर केडिया ने मोर्चा के एक सभासद से बात किया, उसने खलवा टोला के रास्ते भारत से तेल तस्करी कराकर सप्लाई कराया। जिसे रोकने के लिए एक रात स्थानीय लोगोँ ने प्रदर्शन भी किया, जिससे तस्करी रुक गई। तब यादव ने अपने गाड़ी से रक्सौल से तेल तस्करी शुरू कराया, जिसमे भारतीय कस्टम ने दो बार यादव के युवा अध्यक्ष मियां को पकड़ा। बाद में इसी कार्य के लिए यादव ने दो ट्रक भी खरीदा, जिसमे से एक को तेल तस्करी करते हुए बिर्ता प्रहरी ने पकड़ा। यादव के इस कार्य की जानकारी मिलते की पार्टी के मधेश समर्पित कार्यकर्त्ता आग-बबूला होकर बिरोध में उत्तर आएं।

कंटेनर निकलने का सारा लाइन मिल जाने के बाद केडिया और सरावगी ने प्रति कंटेनर ५००० के दर से १७००० कंटेनर का ८.५ करोड़ रुपया वसूला। इसे कहते है बिजनेश। जहां लाशो के ढ़ेर लग रहे थे वहा हैवानियत का खेल हो रहा था। इनमे मानवता, मधेशीयत का नामो निशान तक नहीं है। इनकी ना कोई ज़ात है, ना ईमान, ना धर्म इनका माई- बाप सब कुछ पैसा ही है। इनसे बचने, सावधान होने और बेनक़ाब करने की जरूरत है।



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