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पुराणों के अनुसार कुरुक्षेत्र में लड़ा गया महाभारत का युद्ध, धरती पर लड़ा गया सबसे बड़ा युद्ध है। इस युग में पांडवों और कौरवों के बीच एक भंयकर युद्ध लड़ा गया था। जिसमे भीषण नरसंहार हुआ था। उस काल में एक ऐसा श्राप है जो जो महाभारत काल से अब तक महिलाओं पर चला आ रहा है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा मौजूद है।

कुंती ने अपनी तपस्या से ऋषि दुर्वासा को प्रसन्न किया था। और इसी के चलते दुर्वासा ने कुंती को एक मंत्र वरदान के रूप दिया था। ऋषि दुर्वासा ने कहा था कि इस मंत्र से जिस-जिस देवता का आवाहन करोगी, उसी देवता के तुम्‍हें पुत्र प्राप्त होंगे। राजकुमारी कुंती ने भूलवश सूर्य देवता का आवाहन कर दिया। जिसके फलस्वरूप कुंती को सूर्य पुत्र कर्ण, वरदान स्वरूप मिल गये। लेकिन समाज के डर से उन्होंने कर्ण को नदी में प्रवाहित कर दिया था।

युधिष्ठिर ने समस्त नारी जाति को क्या श्राप दिया
कुंती ने यह बात पांडवों से छिपाई थी कि कर्ण उनका भाई है। लेकिन युद्ध समाप्त होने के बाद माता कुंती ने पांडवों के पास जाकर उन्हें सच्चाई बता दी। सभी पांडव इस बात को सुनकर दुखी हुए। युधिष्ठिर इस बात पर इतना क्रोधित हो गए कि उन्होंने समस्त नारी जाति को ही श्राप दे दिया कि कभी भी कोई नारी चाहकर भी कोई बात अपने मन में छिपाकर नहीं रख पाएगी। ऐसा माना जाता है कि तभी से महिलाएं कोई बता छिपा नहीं पाती हैं।



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