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बिहारी गिरमिटिया की निर्णायक भूमिका होगी धनुषा चार के जीत में, अधिकांश नगरीकताविहीन हैं


जनकपुरधाम से मिश्री लाल मधुकर की रिर्पोट। धनुषा जिला के निर्वाचन क्षेत्र चार जिस में मधेशी के साथ पहाड़ी भी बड़ी संख्या में हैं। मधेशी में कोईरी की आबादी सबसे अधिक माना जाता है। हालांकि तथ्यांक में ऐसा नहीं भी हो सकता है। महेन्द्र नगर नगरपालिका, बटेश्वर गांव पालिका तथा क्षीरसागर नाथ नगरपालिका में बड़ी संख्या में बिहारी गिरमिटिया है। यानी बिहार से आये हैं। १९६०के बाद आना प्रारंभ हुआ जो १९८८तक जारी रहा। उस समय धनुषा को नेपाल जिला का अन्न भंडार माना जाता है। अगहन महीना में रोज दर्जनों बैलगाड़ी पर धान बासोपट्टी पहुंचता था। धनुषा जिला के बासमती चावल की प्रशंसा मधुबनी से कई बार सांसद रह चुके वामपंथी नेता स्व. भोगेन्द्र झा , पूर्व बिहार सरकार के मंत्री स्व. राज कुमार महासेठ भी कर चुके हैं। उस समय बिहार के मधुबनी जिला में बाढ की स्थिति भयावह होती थी। कमला नदी काफी तवाही मचाती थी। बछौर प्रगणना में जो कमला नदी के पास है। वहां सबसे अधिक कोईरी की आबादी हैं। आर्थिक तंगी के कारण वे नेपाल में पहले मजदूर तवके के कुशवाहा, यादव, साह आए। यहां तम्बाकू, मकई के फसलो में काम किए। जव मजदूरी करके लौटे तो नेपाल के बारे में बताये कि वहां सस्ता जमीन हैं। पहले खेतीहर मजदूर आये वहां दस कट्टा था बेचकर आये। यहां बडकी में अर्थात एक बीघा (भारत कादो बीघा) के बराबर जमीन मिल गया। वे मेहनती थे और कुछ दिनो में काफी उन्नति कर गये। जब वे रिश्तेदारों के पास आते थे उनकी उन्नति देखकर उनके रिश्तेदारों में भी आकर्षण बढता गया। वे भी नेपयह कांबड़ा बढता ही गया। अव तो मंझोले किसान भी सारी संपत्ति बेचकर धनुषा जिला के क्षेत्र चार के बटेश्वर गांव पालिका, महेन्द्र नगर नगर पालिका तथा क्षीरेश्वर नगरपालिका के विभिन्न गांवो में बसते चले गये। यह सिलसिला १९८८तक जारी रहा। खजौली के कन्हौली सुखी, मनिअर्वा, सेलरा, परवा, पचहर से बड़ी संख्या आकर रहने लगे। वे अपने रिश्तेदार के नाम पर जमीन लिए। अव इनके पास में नागरिकता की समस्या थी। बहुत तो नेपाली नागरिक बन गए। लेकिन अधिकांश को नागरिकता नही मिला।  पिछले २०६३में कुछ को जन्म सिद्ध नागरिकता मिल गया लेकिन उनके संतान को नहीं मिला है।वे यही से पढे है। इसमें सैकड़ों डाक्टर, इंजीनियर तथा स्नातक, स्नातकोत्तर भी हैं लेकिन वंशज नागरिकता नहीं रहने रहने से वे न तो विदेश जा सकते है और नहीं वे नेपाल सरकार में नौकरी कर सकते है। करीब ५०हजार बिहारी गिरमिटिया की आबादी इससे प्रभावित है। उसका रुझान किधर होता है। अगर एकतावद्ध तरीके वे वोट कर दें तो उसी को सांसद बना सकता है।

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