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जनता को बेवकूफ समझने लगी है, देउवा सरकार

काठमांडू, १३ जनवरी । शेरबहादुर देउवा नेतृत्व की वर्तमान सरकार सिर्फ दैनिक प्रशासन संचालन करने के लिए है । अर्थात वर्तमान सरकार कोई भी दीर्घकालीन महत्व के निर्णय नहीं कर सकता । क्योंकि चुनाव ने नयां जनादेश दिया है । अब नयां जनप्रतिनिधि और सरकार ही महत्वपूर्ण निर्णय कर सकता है । लेकिन देउवा नेतृत्व के कई निर्णय ऐसी है, जिसको स्वीकार्य नहीं किया जा सकता । इस तरह का सरकारी निर्णय को जनस्तर से विरोध भी हो रहा है । लेकिन विरोध से बचने के लिए सरकार ने नयां तरीका अवलम्बन किया है । वह है– निर्णय को गुपचूप रखना ।
हां, शुक्रबार सम्पन्न मन्त्रिपरिषद् बैठक ने लगभग ७० निर्णय किया है, लेकिन जनता के समाने सिर्फ ७ निर्णय सार्वजनिक किया है । आज आज प्रकाशित अन्नपूर्ण पोष्ट के अनुसार मन्त्रिपरिषद् बैठक में विचार–विमर्श के लिए ४० नियमित एजेण्डा तय था, लेकिन मन्त्रियों ने ३० से अधिक एजेण्डा आकस्मिक रुप में प्रस्तुत किया और उसको मन्त्रिपरिषद् बैठक ने पास भी किया । लेकिन बैठक के बाद आयोजित पत्रकार सम्मेलन में सिर्फ ७ एजेण्डा सार्वजनिक किया गया है । बैठक में सहभागी एक मन्त्री के अनुसार अधिकांश निर्णय गोप्य रखा गया है, जिसमें कर्मचारियों का नियुक्ति, तबदला, विदेश भ्रमण संबंधी प्रस्ताव ज्यादा है ।
इससे पहले पौष १३ गते सम्पन्न मन्त्रिपरिषद् बैठक में भी ३३ प्रस्ताव, जो नियमित था, बांकी २५ प्रस्ताव को आकसिमक रुप में पेश किया गया था । समाचार स्रोत के अनुसार शुक्रबार सम्पन्न मन्त्रिपरिषद् बैठक ने कुछ ज्यादा ही संख्या में मन्त्री, सचिव, सह–सचिव, कर्मचारियों का विदेश भ्रमण को स्वीकृत किया है, जो सुशासन ऐन २०६४ के विरुद्ध है । इससे राज्य को करोड़ों रुपया नुक्सान हो जाता है । समान्य ७ निर्णय को सार्वजनिक कर इस तरह सरकार ने दूरगामी महत्व के कई निर्णय को गोप्य रखा है ।
बताया जाता है कि आर्थिक लेनदेन में कई मन्त्रियों ने राजनीतिक नियुक्ति और कर्मचारियों को बढ़ोत्तरी भी किया है । विरोध और बदनाम होने की डर से सरकार के प्रवक्ता एवं सूचना तथा संचार मन्त्री ने इसको सार्वजनिक नहीं किया है ।



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