Wed. May 1st, 2024



16 मई

भारत की राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा के जलवायु विहार के ‘एल-32’ फ्लैट में 15-16 मई, 2008 की रात आरुषि तलवार और नौकर हेमराज की मर्डर मिस्ट्री 11 साल भी अनसुलझी है। 15 की रात से 16 मई की सुबह आरुषि का शव मिलने तक की कहानी कयासों से शुरू हुई अभी तक कल्पना में सिमटी है। कुलमिलाकर 11 साल बाद भी हर किसी के लब पर यही सवाल है कि आरुषि-हेमराज को किसने और क्यों मारा? हालांकि, आरुषि-हेमराज मर्डर पर एक बॉलीवुड फिल्म भी बनी है, लेकिन वह आखिर में आरुषि के हत्यारों तक नहीं पहुंच पाती है। दरअसल, आरुषि-हेमराज की हत्या और उसके पीछे का राज 15-16 मई की पूरी रात के कुछ घंटे में छिपा है। 11 साल बाद आरुषि के हत्यारों का न पकड़ा जाना पुलिस प्रशासन के साथ हमारी न्याय व्यवस्था पर भी एक बड़ा सवाल है। दरअसल आज आरुषि आज जिंदा होती उसकी उम्र 25 साल की होती।

बड़ा सवाल आरुषि को किसने मारा

यहां पर बता दें कि नोएडा के मशहूर डीपीएस में पढ़ने वाली आरुषि के कत्ल ने पास पड़ोस के लोगों से लेकर पूरे देश को झकझोर दिया था। देश के साथ विदेशों में भी आरुषि मर्डर खूब चर्चा में रहा। 16 मई की सुबह-सुबह ने धीरे-धीरे नोएडा फिर पूरे देश को चौंका दिया था, क्योंकि नोएडा के जलवायु विहार के एल-32 में माता-पिता (राजेश-नूपुर तलवार) नोएडा के जलवायु विहार में रहने वाली महज 14 साल की नाबालिग लड़की आरुषि तलवार की 15 रात-16 मई, 2008 की आधी रात को हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने जांच भी नहीं शुरू की थी कि कुछ घंटों बाद पता चला कि उसी घर में काम कर रहे नौकर हेमराज (45) का भी मर्डर हो गया है। फिर यह मामला डबल मर्डर में तब्दील हो गया और इसी के साथ आरुषि के पिता राजेश तलवार ने आरुषि की हत्या का आरोप घर के नौकर हेमराज पर लगाते हुए मामला पुलिस थाने मे दर्ज कराया था।

जांच शुरू होने से पहले ही बढ़ गया सस्पेंस

बताया जा रहा है कि आरुषि और हेमराज की हत्या के बाद जलवायु विहार में रहने वाले लोग 16 मई, 2008 की रात ठीक से सो नहीं पाए तो बच्चे सहमे रहे। जिसे तरह की खबरें मीडिया में आ रही थीं, उससे लोग और डरे हुए थे। शुरुआत में जैसे यह खबर आई कि नौकर हेमराज आरुषि तलवार का मर्डर करके भागा है तो यह चिंता हर माता-पिता के मन में घर कर गई कि क्या नौकर इतने बुरे होते हैं? वहीं, पुलिस और फिर केंद्रीय जांच एजेंसी (Central Bureau of Investigation) की जांच के दौरान पहले ही दिन से इस मामले में एक-एक कर इतने नाटकीय घटनाक्रम सामने आए कि पूरा मामला क्रिसी थ्रिलर फिल्म जैसा हो गया। सबसे पहले हत्या के तुरंत बाद घर के नौकर हेमराज पर जाहिर किया गया, लेकिन अगले दिन जब हेमराज की लाश घर की छत पर मिली तो ये पूरा मामला घूम गया। जांच में सीबीआइ के मुताबिक, आरुषि और हेमराज का हत्यारा कोई बाहरी व्यक्ति नहीं था। उन्होंने कहा कि हेमराज का शव आरूषि के कमरे से खींचकर छत पर लाया गया। जहां इसे एक कूलर पैनल से ढंककर रखा गया था और छत को जाने वाले दरवाजे पर ताला लगा था।

हत्या के समय घर पर ही थे माता-पिता

15-16 मई,2008 की रात मे अारुषि की हत्या के समय माता-पिता घर में ही मौजूद थे। सीबीआई के मुताबिक, अपराध स्थल की पूरी तरह सफाई की गई थी और किशोरी लड़की के शव को चिकित्सक राजेश और नूपुर तलवार ने अपराध की रात को साफ किया था।

उस रात जाग रहे थे आरुषि के माता-पिता

जांच के दौरान अपराध स्थल की सफाई बात सामने आई थी। हैरानी की बात है कि जिस बिस्तर पर आरुषि का शव पाया गया था, उसपर एक भी सिलवट नहीं थी। सीबीआइ ने यह भी दलील दी थी कि सेवा प्रदाता के अनुसार इंटरनेट राउटर को वारदात की रात खोला-बंद किया गया था। इससे साफ जाहिर होता है कि आरुषि के माता-पिता जाग रहे थे और इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे थे और वे आरुषि के कमरे में हो रही घटनाओं के बारे में जान रहे थे।

यह रहा 16 मई की सुबह का घटनाक्रम

11 साल पहले नोएडा के जलवायु विहार की सुबह सामान्य थी। स्कूल गर्मी की छुट्टियों की वजह से बंद हो चुके थे और लोग रोजाना की तरह पार्क में टहल रहे थे तो कुछ योगा और अन्य नियमित कामों में मशगूल थे। इसी दौरान 16 मई 2008 की सुबह सात बजे के आसपास नौकरानी भारती ने जलवायु विहार के राजेश और नूपुर तलवार फ्लैट नंबर L 32 की डोरबेल बजाई। रोजाना की तरह जब आरुषि की मां नूपुर तलवार दरवाज़ा खोलने आईं। … लेकिन दरवाज़ा बाहर से बंद था और दूसरे कमरे में जाकर उसे खोलने की कवायद करने में करीब 90 सेकंड का वक्त लगा। इसी दरवाज़े को खोलने के लिए नूपुर को उस कमरे में भी जाना पड़ा जिसमें हेमराज सोता-रहता था। दरवाजा खोलने के बाद भारती के साथ नूपुर फ्लैट के अंदर आईं तो उसने आरुषि को उसके कमरे में ही मृत पाया। वह चीख पड़ी और उसने फौरन अपने पति राजेश और नौकरानी भारती को आवाज़ दी और रो पड़ी। इस दौरान उन्होंने कहा था- ‘देखो हेमराज ने क्या कर दिया।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 12 अक्टूबर 2017 को बेटी आरुषि तलवार और नेपाली मूल के नौकर हेमराज की हत्या के आरोप में गाजियाबाद की डासना जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे दंत चिकित्सक डॉ. राजेश तलवार और उनकी पत्नी डॉ. नूपुर तलवार को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था। गाजियाबाद की सीबीआइ कोर्ट ने नवंबर 2013 में तलवार दंपती को उनकी बेटी और नौकर की हत्या मामले में आरोपी मानते हुए उम्र कैद की सजा सुनवाई थी।

पहले पुलिस, फिर सीबीआइ ने भी तलवार दंपत्ति को माना था आरोपी

आरुषि-हेमराज हत्याकांड के बाद केस की जांच कर रही नोएडा पुलिस ने राजेश तलवार को मुख्य आरोपी मानते हुए गिरफ्तार कर लिया था। हालांकि कुछ समय बाद वह जमानत पर बाहर आ गए थे। इसके बाद सीबीआइ ने मामले की जांच शुरू की। सीबीआइ की पहली टीम ने तलवार दंपती की क्लीनिक और उनके बेहद करीबी डॉक्टर दंपती के नौकर समेत एक अन्य नौकर को हत्यारोपी मानते हुए उन्हें गिरफ्तार किया था। सबुतों के अभाव में उन्हें भी जमानत मिल गई थी। इसके बाद सीबीआइ की दूसरी टीम ने आरुषि केस में लंबी छानबीन की। इसके बाद सीबीआइ की दूसरी जांच टीम ने राजेश तलवार और नूपुर तलवार पर संदेह व्यक्त करते हुए लेकिन पर्याप्त सुबुतों के अभाव में गाजियाबाद की सीबीआइ कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट लगा दी थी। कोर्ट ने सीबीआइ की क्लोजर रिपोर्ट को ही चार्जशीट मानते हुए मामले में सुनवाई शुरू की और नवंबर 2013 में तलवार दंपती को उम्र कैद की सजा सुना दी। इसके बाद तलवार दंपती ने हाई कोर्ट में सीबीआइ कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी।

ऐसे देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री बना ये केस

एक दशक पहले 15-16 मई 2008 की रात सेक्टर-25 के जलवायु विहार में ही 14 वर्षीय आरुषि तलवार और घरेलू नौकर हेमराज की गला काटकर निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई थी। हत्या से पहले दोनों के सिर पर किसी भारी चीज से हमला भी किया गया था। आरुषि का शव 16 मई 2008 की सुबह उसके कमरे में उसके बिस्तर पर सोयी हुई स्थिति में मिला था। उस वक्त नौकर हेमराज का शव बरामद नहीं हुआ था। लिहाजा तलवार दंपती ने थाना सेक्टर-20 में हेमराज के खिलाफ हत्या की नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई थी। हेमराज को ही हत्यारोपी मानकर नोएडा पुलिस की एक टीम भी नेपाल के लिए रवाना हो गई थी। अगले दिन 17 मई 2008 की सुबह मामले में तब नया मोड़ आ गया जब हेमराज का शव तलवार दंपती के छत पर ही खून से लथपथ पड़ा मिला। नौकर हेमराज का शव अगले दिन बरामद होना यूपी पुलिस की बड़ी लापरवाही थी। इसके बाद यूपी पुलिस की काफी आलोचना हुई। अब भी बहुत से लोगों का मानना है कि पुलिस की लापरवाहियों की वजह से ही आज आरुषि-हेमराज हत्याकांड देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री बन चुका है।

आरुषि-हेमराज हत्याः एक दशक बाद भी अनसुलझी है मर्डर मिस्ट्री

10 साल पहले 15-16 मई 2008 की रात जब 14 वर्षीय आरुषि तलवार की हत्या हुई थी तब यह सवाल उठा था कि हत्यारा कौन है? मामले की जांच शुरू हुई और जांच एजेंसी की लगातार बदलती थ्योरी और उस पर उठते सवालों के बीच यह केस आगे बढ़ता रहा। हालांकि शुरुआत से लेकर आखिर तक यह केस मिस्ट्री बना रहा और अब भी यह सवाल कायम है कि आखिर कातिल कौन है? अब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है और सीबीआइ ने तमाम आधार पर हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। सीबीआइ ने अपनी अपील में कहा है कि निचली अदालत का फैसला सही था और हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को दरकिनार कर दिया, जो सही नहीं है।

दैनिक जागरण से



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