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प्रधानमंत्री ओली और प्रचंड के बीच मध्यस्थता के लिए टास्क फोर्स का गठन



बेशक प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और पुष्प कमल दहाल प्रचंड के बीच सुलह का एक रास्ता निकल गया है। बृहस्पतिवार को दोनों नेताओं के बीच प्रधानमंत्री निवास बालूवाटार में हुई बैठक के बाद दोनों नेताओं की भूमिकाएं तय हो गई हैं, लेकिन नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी ने इसके बावजूद एक 6 सदस्यीय टास्क फोर्स बना दी है।

ये टास्क फोर्स पार्टी के अंदरूनी मामलों और अंतर्विरोधों को हल करने का काम करेगी। पार्टी महासचिव बिष्णु पौडेल समिति के अध्यक्ष होंगे। शुक्रवार की देर शाम प्रधानमंत्री निवास बालूवाटार में एक बार फिर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक हुई। बैठक में इस बात को लेकर खासी चिंता जताई गई कि इतनी कोशिशों के बाद भी प्रचंड और ओली के बीच खुलकर बातचीत नहीं होती और दोनों नेता हफ्तों से एक दूसरे से बात नहीं कर रहे।
बृहस्पतिवार को दोनों नेताओं के बीच हुई बैठक के दौरान भी पार्टी के कुछ अहम नेता मौजूद थे और ये सहमति बनाई गई कि ओली प्रधानमंत्री बने रहें, लेकिन प्रचंड को पार्टी की पूरी जिम्मेदारी दे दी जाए, यानी वो बतौर पार्टी अध्यक्ष स्वतंत्र रूप से काम करें और पार्टी के मामलों में ओली का कोई दखल न हो।
पिछले दिनों सैद्धांतिक तौर पर ये भी तय हो गया था कि आगामी दिसंबर में होने वाले पार्टी के महाधिवेशन में अंतिम तौर पर ओली पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ देंगे, लेकिन ओली की बातों पर प्रचंड और उनके समर्थकों का भरोसा खत्म हो चुका है, इसलिए वो दिसंबर तक इंतजार नहीं कर सकते।

जाहिर है कि इस समझौते के बाद भी दोनों नेताओं के बीच बातचीत शुरू नहीं हुई और ओली भीतर ही भीतर पार्टी तोड़ने की धमकियां देते रहे। यहां तक कि नेपाल के चुनाव आयोग में उन्होंने अपनी पुरानी पार्टी सीपीएन- यूएमएल को फिर से रजिस्टर तक करवा लिया। आखिरकार पार्टी को टूटने से बचाने के लिए प्रचंड को झुकना पड़ा और उन्होंने इस शर्त पर ओली का इस्तीफा मांगना बंद कर दिया कि उन्हें पार्टी अध्यक्ष की स्वतंत्र जिम्मेदारी मिल जाएगी।

इस बीच पार्टी के अन्य नेताओं और तमाम सांसदों ने दोनों नेताओं के अहंकार और अंतर्विरोध को खत्म करने के लिए हस्ताक्षर अभियान भी चलाया। आखिरकार शुक्रवार शाम को हुई बैठक में तय हुआ कि दोनों नेताओं के अलावा पार्टी के अन्य अंदरूनी मसले सुलझाने के लिए एक 6 सदस्यीय टास्क फोर्स बना दी जाए, जिसका फैसला ओली भी मानेंगे और प्रचंड भी।

बिष्णु पौडेल की अगुवाई में बनाई गई इस टास्क फोर्स के बाकी सदस्य हैं– जनार्दन शर्मा, शंकर पोखरेल, भीम रावल, सुरेन्द्र पांडे और पम्फा भुसाल। इस टास्क फोर्स को कहा गया है कि वह पार्टी के अंदरूनी मतभेदों और मसलों को हल करने के लिए एक ड्राफ्ट तैयार करे।

हाल ही में प्रधानमंत्री ओली ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा था कि पार्टी के जो अंदरूनी मसले हैं और विवाद की जो खबरें आ रही हैं, उन्हें पांच दिनों के भीतर हल कर लिया जाएगा। जाहिर है तभी से उनके दिमाग में इस तरह की किसी टास्क फोर्स को बनाने की योजना थी और इसके लिए वो पार्टी में चर्चा भी कर चुके थे।

हालांकि अभी प्रचंड ने इस बारे में खुलकर कुछ नहीं कहा है, लेकिन माना जा रहा है कि बृहस्पतिवार को ओली के साथ हुई उनकी बातचीत के बाद ही इस टास्क फोर्स को अंतिम रूप दे दिया गया था और इसे निष्पक्ष तौर पर काम करने को कहा गया है।



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