Sun. Apr 28th, 2024

सरकारी आतंक और माओवादी जनयुद्ध, कौन खतरनाक ? श्याम सुन्दर मण्डल

janyuddh-maaobadi



श्याम सुन्दर मण्डल,  भारदह,सप्तरी, २८ पुस |  १ वर्ष ३६५ दिन का होता है | २०५२ से लेकर ०६१ तक नेपाल में १० वर्ष माओवादी जनयुद्ध चला | माना जाता है, इस जनयुद्ध में १३ हजार लोगों (मानव) की हत्या हुई | हिसाब करके देखें तो माओवादी जनयुद्ध के दौरान दैनिक औसत [१३०००÷(१०×३६५)] = ३.५६२ मानव की मौत हुई |

श्यामसुन्दर मंडल
श्यामसुन्दर मंडल

माओवादी युद्ध नियन्त्रण के नामपर नेपाली सरकार हथियार में खरबों खर्च किए | * ३० हजार स-शस्त्र पुलिस रखना पड़ा | औसतन रू १० हजार प्रति माह वेतन के दरसे ७ वर्ष का ही खर्च जोड़े तो केवल वेतन में ३ अरब से अधिक राजकोष खर्च होती है | * १ लाख सैनिक में से यदि हम ६०% सैनिक ही माओवादी नियन्त्रण में खटनपटन का खर्च जोड़े तो ५ वर्ष में ४ अरब से अधिक खर्च आता है | * जनपद पुलिस में सैनिक खर्च का आधा ही जोड़े तो २ अरब से अधिक खर्च होती है | * सुरक्षा भत्ता, लजस्टीक, अतिरिक्त भत्ता, क्षतिपूर्ति, सैनिक समायोजन खर्च आदि में कितना अरब गया होगा ? * युद्ध सामग्री के खरिद, कमिसन, भ्रष्टाचार आदि में ? अर्थात, रोजाना ४ से कम मानव की मौत हो रहे माओवादी युद्ध को नियन्त्रण करने के लिए दिनरात एक कर दिया था | लोगों में युद्ध का भयावहता को इतना जोड़तोड़ के साथ प्रचारित किया था मानो…(आप ही सोचिए) ? सरकार प्रायोजित आतंक : “वैदेशिक रोजगार और मानव मौत ! ?” सरकार लोगों को उत्साहित करके, प्रोत्साहित करके विदेश भेजता रहा है अर्थात बेच रहा है ताकि देश में रेमिटान्ष आए | उल्लू बनाने की सरकारी जाल में लोग फँसकर रोजाना विदेश जा भी रहे हैं | पैसा/रेमिट पठा रहे हैं | सरकार का नं. १ आय श्रोत बना रहे हैं |

लेकिन क्या कभी आपनें इसे मानवीकरण करके सोचा है ? इसपर कभी गम्भीर होकर विचार किया है ? एकबार जरूर करिए ! ° आज रोजाना ७/८ लाशें विदेश से यहाँ आ रहे हैं | लाश आने की ईस दर को देखें तो १० वर्ष में, जम्मा मानव मौत, [७×३६५×१०] = २५,५५० अर्थात माओवादी जनयुद्ध से दोब्बर !? क्या कहेंगे आप ? माओवादी युद्ध खतरनाक था या अभी का सरकारी आतंक ? मानव जीवन रक्षा की गारन्टी लेनेवाला सरकार योजनाबद्ध लोगों को विदेश भेजता है | विदेश पहुँचे लोगों से रेमिट के नामपर पैसे भी वसूल करता है | परंतु, विदेश में मर जायँ तो सड़ने तक वहीं छोड़ देता है | ईतना ही नहीं, ° बाल बच्चे की भविष्य सँवारने की उद्येश्य लेकर विदेश पहूँचे लोग लौटकर घर पहुँचने तक उलटा रिजल्ट पाता है | ° अभिभावकत्व के अभाव में बच्चे बिगड़ गया रहता है, प्यार के अभाव में बच्चों का दिल कठोर बन गया रहता है | ° वीवी भटक गई रहती है, सामाजिक चरित्र में गिरावट बना चुकी होती है | ( प्रशासन कार्यालयों में ईस सम्बन्धी केश फायल देखें |) ° खुद में सामाजिक लगाव क्षय हो गया रहता है | ° बुढे माता पीता का अन्तिम काल और भी कष्टमय बन जाता है | ° अन्य बहुत सारे… माओवादी जनयुद्ध को समाप्त करने के लिए खरबों खर्च करनेवाला सरकार ईस विकरालता के बारे में क्या कर रहा है ? विदेश जाने के लिए रोक लगाने की योजना ला रहे हैं या विदेश जाने के लिए और ज्यादा प्रोत्साहन भर रहे हैं ? क्या, सरकारी यह आतंक माओवादी आतंक से अधिक खतरनाक नहीं है ?? और सोचने की जिम्मा आपका… जय मधेश !



About Author

यह भी पढें   चीन से हथियार लेकर फसा ईरान, चीन की रक्षा तकनीक सवालों के घेरे में
आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Loading...
%d bloggers like this: