साहित्यिक र्सर्वे !
मुकुन्द आचार्य
सरकार को जब कभी तथ्यांकों की जरुरत आन पडती है, वह आँख मूँदकर र्सर्वे करती/कराती
सरकार को जब कभी तथ्यांकों की जरुरत आन पडती है, वह आँख मूँदकर र्सर्वे करती/कराती