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नेपाल-भारत की जुड़ी हुई सीमाएँ और आपूर्ति श्रृंखलाएँ : विनय मोहन क्वात्रा (भारतीय राजदूत)


विनय मोहन क्वात्रा, काठमांडू ,( हिन्दी में प्रस्तुति- डा श्वेता दीप्ति )  पहली बार 2019 में सामने आई कोविड-19 महामारी ने एक बार फिर से दक्षिण एशियाई क्षेत्र को अपनी चपेट में ले लिया है। चूंकि इस क्षेत्र में कोरोना वायरस संक्रमण की नई लहर तेजी से फैल रही है, इसलिए हमारे लिए उपलब्ध संसाधनों को जुटाना और आवश्यक सामग्री की खरीद करना अनिवार्य हो गया है। पिछले साल की तरह, महामारी ने हमें सिखाया है कि आपूर्ति श्रृंखला हमारी सुरक्षा और समृद्धि के लिए कितनी महत्वपूर्ण है।



जब 2020 में महामारी ने हम पर प्रहार किया, तो विश्व डरा हुआ था और सभी यही चाह रहे थे कि हवाई क्षेत्र, सीमाओं, लोगों का आवागमन, सामानों और अन्य चीजों की आवाजाही पूरी तरह से रोक दी जाए। लेकिन भारत और नेपाल के बीच की सीमा कोई विभाजन रेखा नहीं बल्कि संबंधों का मजबूत आधार है जो दोनों देशों को साथ लाता है। किसी भी विपरीत परिस्थिति में यह अनिवार्य है कि दोनों देशों के बीच अंतर-देशीय व्यापार सेवा सुचारु रहे ताकि दोनों देशों और स्थानीय समुदायों के जीवन को चलने में कोई असुविधा ना हो।
आज जबकि अधिकांश राष्ट्र ने अपनी सीमाओं को बंद कर रखा है, भारत और नेपाल दोनों देशों के बीच व्यापार मार्गों का संचालन आज भी पूर्व की तरह ही जारी हैं और सभी ने इसका सुखद परिणाम देखा है। अप्रैल 2020 में कुछ उतार-चढ़ाव के बावजूद, भारत और नेपाल के बीच व्यापार ने गति पकड़ी हुई है, और निरन्तर जारी है । इस विपदा में भी आवश्यक दैनिक चीजों की आपूर्ति सहज है।
नेपाल सीमा शुल्क के अनुसार, भारत नेपाल का सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है। नेपाल के कुल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 74 प्रतिशत है। संयुक्त राज्य अमेरिका 10 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर है, इसके बाद जर्मनी (3 प्रतिशत), यूनाइटेड किंगडम (2 प्रतिशत), तुर्की (1.5 प्रतिशत), फ्रांस (1 प्रतिशत) और जापान (1 प्रतिशत) का स्थान है।
यह अनूठी विशेषता भारत-नेपाल व्यापार संधि से संभव हुई है। पिछली बार 2016 में नवीनीकृत संधि ने नेपाल को भारतीय बाजार में पूरी तरह से शुल्क मुक्त सुविधा प्रदान की है। भारत-नेपाल पारगमन संधि, जो दोनों देशों के बीच व्यापार के क्षेत्र में एक मजबूत नींव है, ने भारत के सड़क, रेलवे और बंदरगाह नेटवर्क के माध्यम से नेपाली सामानों के निर्बाध परिवहन की सुविधा प्रदान की है।

 

 

नेपाल सीमा शुल्क द्वारा प्रकाशित आंकड़े बताते हैं कि भारत में नेपाल के निर्यात में पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में 23.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। ऐसे समय में जब देश के बाकी हिस्सों में व्यापार प्रवाह में लगभग 5 प्रतिशत की गिरावट आई है, नेपाल की उपलब्धियां वास्तव में सराहनीय हैं। इसके अलावा भारत को नेपाल के निर्यात में वृद्धि का मुख्य कारण कृषि और खाद्य उत्पाद हैं जिन्होंने नेपाल के किसानों को इस तरह के व्यापार से बहुत लाभ उठाने का अवसर दिया है।
सबसे दिलचस्प बात यह है कि इसी नौ महीने की अवधि में, भारत और शेष दुनिया के साथ नेपाल का 99 प्रतिशत ऑन-साइट व्यापार भारतीय सीमा पर सीमा शुल्क चौकियों के माध्यम से था जो दोनों दिशाओं में खुले और आगे बढ़ रहे थे। खुली और साझा सीमाओं के साथ, आपूर्ति की कोई समस्या नहीं थी, रोजगार सुरक्षित था, और अर्थव्यवस्था महामारी का सामना करने में सक्षम थी।
पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति में अंतर-देशीय संपर्क की भूमिका सबसे अधिक देखी गई। दोनों देशों के भविष्य से जुड़ी और निवेश की प्रतीक प्रतिष्ठित मोतिहारी-अमलेखगंज पाइपलाइन ने नेपाल ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड को कोरोना आपदा के बावजूद हर महीने करीब 147 मिलियन रुपये बचाने में मदद की है। पाइपलाइन ने अकेले दिसंबर 2020 में ही करीब 10 करोड़ लीटर डीजल बांटकर नया कीर्तिमान स्थापित किया।
मई 2021 में नेपाल विद्युत प्राधिकरण के भारतीय ऊर्जा एक्सचेंज का सदस्य बनने और वास्तविक समय में ऊर्जा खरीदने में सक्षम होने के बाद, नेपाल अंतर्देशीय बिजली व्यापार पर भारत के हाल ही में जारी निर्देश से लाभान्वित होने वाला पहला देश बन गया है। आने वाले बरसात के मौसम में ऊर्जा केंद्र बनने के उद्देश्य से, निर्देश नेपाल को भारत को समान आसानी से बिजली बेचने और लोगों की बढ़ती समृद्धि सुनिश्चित करने में मदद करेगा। महामारी की दूसरी लहर में भी हम व्यापार करते रहे हैं। इस दौरान बड़ी मात्रा में कोविड रोधी दवाएं और जरूरी उपकरणों की आपूर्ति की गई है। यह दोनों देशों की सरकारों के बीच एक प्रकार का द्विपक्षीय सहयोग है, जिसमें भारत के केंद्रीय, राज्य और जिला स्तर के राज्य तंत्र और नेपाल सरकार के सभी स्तर शामिल हैं जो एक दूसरे की मदद करने के लिए सदैव तैयार हैं।
स्पष्ट है कि साझा समृद्धि का रास्ता खुली आपूर्ति और मजबूत कनेक्टिविटी के जरिए ही पहुंचा जा सकता है, क्योंकि दोनों देशों में कोविड-19 महामारी से हुई तबाही से उबरने की प्रबल इच्छा है. कनेक्टिविटी में निर्बाध सीमा अवसंरचना, रेलवे, सड़कें, बिजली प्रशारण लाइनें और संचार के डिजिटल वित्तीय साधन शामिल हैं।( साभार कांतिपुर )

(क्वात्रा नेपाल में भारतीय राजदूत हैं।)



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